बंगाल चुनाव: 213:77 के अनुपात का अर्थ क्या? भा.ज.पा के लिए आशा की किरण या निराशा की वजह

पश्चिम बंगाल मूलतः शीघ्र राजनैतिक परिवर्तन करने वाला राज्य नहीं रहा है, सदैव से स्थिर व स्थायी सरकार रही, फिर चाहे वो आजादी के बाद, 1952 में पश्चिम बंगाल के आम चुनवों से 1977 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का शासन रहा हो, या 1977 से 2011 तक, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) या 2011 से 2021 तक, दो पंचवर्षीय बहुमत के साथ पूर्ण कर चुकी व तीसरी पंचवर्षीय शासन के लिए, वर्त्तमान सत्तासीन सर्वभारतीय तृणमूल कांग्रेस का शासन हो, पर इस सबसे भी विशेष व महवपूर्ण जो बात है, वो यह है कि बंगाल में, ऐसा कोई प्रतिद्वंद्वी विपक्षी दल नहीं रहा, जो सत्तारूढ़ न हुआ हो, आज भारतीय जनता पार्टी, 77 सीटों के साथ, एक मात्र मजबूत विपक्षी दल के रूप में व तृणमूल कांग्रेस के विकल्प के रूप में, व भविष्य के एक प्रबल दावेदार के रूप में उभर चुकी है।

सर्वभारतीय तृणमूल कांग्रेस का गठन 1 जनवरी 1998 को हुआ, ममता बनर्जी बंगाल के लिए एक सशक्त चहरा थीं, पार्टी के गठन के बाद, बंगाल के पहले आम चुनावों में, तृणमूल कांग्रेस को 60 सीटों पर विजय प्राप्त हुई थी, लेकिन पांच वर्ष बाद 2006 के बंगाल आम चुनावों में, तृणमूल को मात्र 30 सीटों पे समझौता करना व सिकुड़ना पड़ा, और फिर 2011 में, तृणमूल कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत, 184 सीटों के साथ मजबूत सरकार का गठन किया, ऐसा ही कुछ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से, सत्ता भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पास जाने के समय देखने को मिलता है, 1972 के बंगाल आम चुनावों में, 14 सीटों पर विजय प्राप्त करने वाली पार्टी 1977 में, सीधे 178 सीटें जीत कर सरकार बना लेती है।

वर्तमान व अपेक्षाकृत परिणाम का मूल कारण रहा, भारतीय जनता पार्टी की चुनावी रणनीति का सीधा लाभ तृणमूल कांग्रेस को प्राप्त होना, जहां बहुमत का ध्रुवीकरण कर पाने में, भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं, मिली वहीं 27% की आबादी, अल्पमत का ध्रुवीकरण तृणमूल के पक्ष में, सफलता से हो गया, परिणाम स्वरूप 88 मुस्लिम प्रभावित सीटों में से 77 सीटें तृणमूल कांग्रेस जितने में, सफल रही व मुर्शिदाबाद व मालदा के क्षेत्र में, तृणमूल को 80% सीटों पर जीत हासिल हुई।

जहां अन्य सभी राज्यों में, भाजपा को नगरों व महानगरों में, मजबूत पकड़ वाली पार्टी के रूप में देखा जाता है, वहीं बंगाल में इसका, विपरीत देखने को मिला, बंगाल चुनाव में भाजपा के लिए ग्रामीण क्षेत्र सहायक व प्रमुख रूप से अनुसूचित जाति व जन-जाति सिद्ध हुए, 294 में से 84 आरक्षित सीटों में, अनुसूचित जाति के लिए 68 व अनुसूचित जनजाति के लिए 16 सीटों में से, भाजपा को लगभग 46.42% फीसद, अर्थात 39 सीटों पर विजय प्राप्त हुई व तृणमूल को 45 सीटें प्राप्त हुई, जो भाजपा के औसत प्रदर्शन से काफी बेहतर रहा।

चुनाव परिणाम घोषित होने के पश्चात सर्वाधिक चर्चा में, नंदीग्राम से शिवेंदु अधिकारी का ममता बनर्जी को 1956 वोटों से हरा कर विजयी होने रहा, ममता बनर्जी को नंदीग्राम में, 47.64% वोट मिले वहीं शिवेंदु अधिकारी को 48.49%, ये 0.85% का अंतर और अधिकारी की जीत, भाजपा को बंगाल में एक बेहतर बंगाली भाषी क्षेत्रीय नेतृत्वकरता व अगले बंगाल आम चुनावों में बेहतर करने का विश्वास दे गया।

Pranjal Chaturvedi: Pranjal Chaturvedi is an Advocate by profession. Pranjal is B.A.LL.B, LL.M (Criminal Law) from Sharda School of Law, Sharda University and has worked with the Ministry of Labour and Employment and the Competition Commission of India.
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