भारत में महिला उद्यमियों के सामने आने वाली समस्याएं और उनका समाधान

महिला होना और ऊपर से बिजनेस का संचालन करना। यह अपने आप मे बड़ी बात है। क्योंकि, अभी अपने देश मे ऐसे विचारधारा वाले लोग हैं, जिनका सोचना है कि महिलाओं को सिर्फ घर संभालना चाहिए। महिलाएं सिर्फ चौका– बर्तन करने के लिए ही बनी हैं। लेकिन, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। आज के समय में महिलाएं हर फिल्ड में अपना स्थान बनाई हुई हैं और पुरुषों के कंधा से कंधा मिलाकर चल रही हैं। हालांकि, बिजनेस चलाने वाली महिला उद्यमियों के सामने कई चुनौतिया आती हैं। जिनसे उन्हें निपटना होता है। आइये इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कि भारत में महिला उद्यमियों के सामने किस प्रकार की समस्याएं आती हैं और समस्याओं का निदान कैसे किया जा सकता है। 

पारिवारिक प्रतिबंध की समस्या

महिलाओं को अपने परिवार के सदस्यों के साथ अधिक समय बिताने की उम्मीद होती है। वे महिलाओं को व्यावसायिक अवसरों का लाभ उठाने के लिए बड़े पैमाने पर यात्रा करने के लिए प्रोत्साहित नहीं करते हैं। इससे महिला उद्यमियों का कई प्रोजेक्ट लटक जाता है या उनके हाथ से निकल जाता है। 

एक महिला, घर मे कई संबंध निभाती है। अगर महिला शादी-शुदा है तो वह बहुत सारे संबंधों से बंधी होती है। पत्नी का धर्म निभाती है। बहु का धर्म निभाती है इसके अलावा भी बहुत से संबंधों का निर्वाहन उसे करना होता है।  ऐसे में, समाधान यह है कि महिला कारोबारी अपने परिवार के सदस्यो को यह समझाए कि जिस प्रकार, अन्य पुरुष कार्य के संबंध में बाहर जाते हैं, उसी प्रकार उसे भी यात्रा करना होगा। क्योंकि, यह उसका काम है और वह काम से समझौता नहीं कर सकती है। 

बिजनेस में फंड की कमी की समस्या

परिवार के सदस्य महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित नहीं करते हैं। वे महिला उद्यमियों द्वारा शुरू किए गए व्यावसायिक उद्यम में पैसा लगाने में भी संकोच करते हैं। बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान मध्यवर्गीय महिला उद्यमियों को अपनी परियोजनाएं स्थापित करने के लिए उचित आवेदक नहीं मानते हैं और वे अविवाहित महिलाओं या लड़कियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने में झिझकते हैं क्योंकि वे इस बात के लिए अनिश्चित हैं कि वे कौन लोन को चुकाएगा – या तो उनके माता-पिता या में -उनकी शादी के बाद शादी। यह अविवाहित महिलाओं को अपमानित करता है और वे आमतौर पर अपना उद्यम स्थापित करने का विचार छोड़ देते हैं। 

यह कोई नई समस्या नहीं है बल्कि, प्राचीन समय से चली आ रही है। उदाहरण के लिए, किरण मजूमदार शॉ को शुरू में अपने बिजनेस के लिए धन संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। बैंक उसे बिजनेस लोन देने में संकोच कर रहे थे क्योंकि उस समय बॉयोटेक्नोलॉजी एक बिल्कुल नया क्षेत्र था और वह एक महिला उद्यमी थी। लेकिन, वह टिकी रही। आज बॉयोटेक्नोलॉजी की मांग हर क्षेत्र मे हो रही है। इसलिए, फंड की कमी के चलते बिजनेस से मुंह मोड़ नहीं लेना होता है, बल्कि, सरकारी लोन योजना, जैसे महिला मुद्रा लोन योजना, स्टार्टअप लोन इत्यादि के लिए आवेदन करना चाहिए। 

सूचना का अभाव

महिला उद्यमियों को आमतौर पर उनके लिए उपलब्ध सब्सिडी और आर्थिक प्रोत्साहन के रुप मे उपलब्ध बिजनेस लोन योजनाओं के बारे में पता नहीं होता है। ज्ञान की कमी उन्हें विशेष योजनाओं का लाभ उठाने से रोक देती है। जिससे उन्हें बड़ा नुकसान होता है। इस नुकसान बचने का सबसे बेहतर विकल्प है कि ZipLoan ब्लॉग से जुड़े। यहां पर महिलाओं से संबंधित सभी सरकारी योजनाओं की समुचित जानकारी प्रदान की जाती है। 

ट्रेनिंग की कमी

जिस प्रकार से सेना या पुलिस की ट्रेनिंग होती है। उसके संबंध में बात नहीं हो रही है। यहां पर उद्यमिता कौशल से संबंधित बात हो रही है। बड़े शहरों में समय – समय पर उद्यमिता कौशल निपुर्ण बनाने के लिए इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग दी जाती है। जिससे यह समझने में सहायता मिलता है कि बिजनेस को कैसे आगे बढ़ाना है और आगे कैसे बढ़ना है इत्यादि। इस कमी को पूरा करने के लिए नियमित तौर पर अखबारों को पढ़ा जा सकता है। क्योंकि, अखबारों में समय – समय पर बिजनेस ट्रेनिंग से संबंधित जानकारी प्रदान की जाती है। 

गतिशीलता न बन पाना

बिजनेस के लिए गतिशील होना बहुत महत्वपूर्ण है। अगर आप अपने आस पास के माहौल से परिचित नहीं रहेंगे तो, दिक्कत हो सकती है। चूंकि, बाजार में और उसके आस-पास घूमना, भारतीय सामाजिक व्यवस्था में फिर से मध्यवर्गीय महिला उद्यमियों के लिए एक कठिन काम है।लेकिन, यह करना अति-आवश्यक है। इसके लिए किसी को काम पर भी रखा जा सकता है। इसे मार्केट रिसर्च कहा जाता है। 

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