सी- वोटर के ओपिनियन पोल का सार दीदी की विदाई और भाजपा की अगुवाई?

पश्चिम बंगाल चुनावों के सम्बंध में सी- वोटर का ओपिनियन पोल सामने आते ही भाजपा विरोधी खेमे में खुशियों की लहर दौड़ पड़ी है. अगर सतही तौर पर देखा जाये तो विपक्षी दलों के लिए यक़ीनन ख़ुशी की बात है लेकिन अगर आंकड़ों पर गौर से मनन किया जाये तो ये ख़ुशी क्षणिक है क्योंकि एक बहुत बड़े परिवर्तन के आसार नज़र आ रहें है.

ओपिनियन पोल के अनुसार बंगाल में दीदी को 154, भाजपा को 107 और कांग्रेस/वामपंथी दलों को 33 सीटों की संभावना व्यक्त की गई है. इन आंकड़ों के आधार पर दीदी बंगाल में फिर आ रही हैं लेकिन इसी ओपिनियन पोल में एक और जानकारी दी गयी है जो दीदी के सरकार बनाने के सपने को चकनाचूर कर सकती है और वो है:-

89 सीट्स ऐसी है जहाँ वोट्स का अंतर बहुत ही कम है यानि अगर इस बार के मतदान में इन सीटों पर 1.5 प्रतिशत का शिफ्ट भी बंगाल में सत्ता का खेला बदल सकता है. इन 89 सीट्स में से दीदी 42 सीटों पर, भाजपा 36 सीटों पर, कांग्रेस/वामपंथी 11 सीटों पर आगे है तो अगर भाजपा अपनी सीटों पर बढ़त बरक़रार रखते हुए दीदी और कांग्रेस और वामपंथी सीटों में से 41 सीटों पर ज़्यादा मेहनत करके, कम वोटों के अंतर का फायदा उठाकर बहुमत ले आये तो बाजी पलट जाएगी और फिर गाजे बाजे के साथ दीदी की विदाई हो जाएगी.

दूसरी एक और बात जो नज़रअंदाज़ नहीं की जा सकती और वो है “मौनधारी मतदाता” यानि साइलेंट वोटर  पिछले कई चुनावों में इन्होने ज़ोर का झटका बड़ा धीरे से, चुपचाप से दिया है, ये साइलेंट वोटर भाजपा का नहीं, मोदी का ज़बरदस्त फैन है. ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल में ये ना तो दिखाई देता है, ना ही सुनाई देता है लेकिन अपने मताधिकार का प्रयोग इस कदर करता है कि इनका अस्तित्व फ़िल्मी हीरों की एंट्री जितना धमाकेदार महसूस होता है.

इसलिए भाजपा विरोधी दलों के लिए ओपिनियन पोल के आधार पर बंगाल जीत की खुशियां मनाना जल्दबाजी होगी बेहतर होगा EVM को खलनायक बनाने वाली स्क्रिप्ट पर फिर से काम किया जाये .

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