खेला होबे या विकास होबे

आगामी दिनों में चार राज्यों बंगाल, असम, केरल ऑर तमिलनाडू ऑर एक केंद्रशासित प्रदेश पांडुचेरी में विधान सभा का चुनाव होने वाली है, लेकिन विशेष रूप से सबकी नजर बंगाल के चुनाव पर है। बंगाल में मुख्य रूप से दो राजनीतिक पार्टी सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ऑर भारतीय जनता पार्टी में काटें की टक्कर है। इस चुनाव प्रचार में दोनों तरफ से नारों ऑर वादों का सिलसिला चल रहा है। उन नारों में सबसे लोकप्रिय नारा तृणमूल कांग्रेस के प्रमुख ममता बनर्जी के तरफ से दिया गया नारा ‘खेला होबे’ के प्रतिउत्तर में प्रधनमंत्री मोदी द्वारा दिया गया ‘विकास होबे’ का नारा अतिलोकप्रिय हो रही है।

बता दें कि जिस तरह से पिछले कुछ सालों से पश्चिम बंगाल में तुष्टीकरण की राजनीति की गयी व ह किसी से छिपी नहीं है। एक विशेष समुदाय को खुश करने के लिए माँ दुर्गा का विसर्जन तक रोक दिया गया था। ‘जय श्रीराम’ बोलने पर चमड़ी उधेड़ने की धमकी भी दी गयी। भाजपा हमेशा यह आरोप लगाती रही कि उसके सकड़ों कार्यकर्ता की राजनैतिक हत्या कर दी गयी है। और हमने कुछ दिन पहले हीं देखा था कि भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमला हुआ। यूं कहें तो बंगाल में कानून व्यवस्था चरमरा सी गयी है। हालांकि बंगाल में पहले भी हिंसा का इतिहास रहा है, लेकिन उसी वामदलों के शासन में बढ़ती हिंसा का हवाला देकर तृणमूल कांग्रेस लंबे समय सत्ता में रहने वाली लेफ्ट की सरकार को हटाकर सत्ता में आई थी और ममता बनर्जी ने 10 वर्षों तक शासन भी किया, फिर भी बंगाल में विकास की गति धीमी दिखाई पड़ती है। ममता सरकार पर हमेशा से यह आरोप लगते आया है कि एक समुदाय विशेष को खुश करने के हेतु हिन्दू भावना को ठेस पहुंचाती है, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान एक दिन में आठ–आठ मंदिर में पुजा और दर्शन करते हुए देखी गयी, जिसे बीजेपी ममता बनर्जी का स्वांग बताती है । वह चुनाव प्रचार के दौरान यह बोलती आई है कि ‘खेला होबे’ इसका मतलब यह निकाला जाय कि जिस तरह के माहौल वह बंगाल में कुछ वर्षों से बनाकर राजनीति करती आई है ,उसी महौल के सहारे वह बंगाल जीतने की बात कह रही है।

कुछ दिन पहले ममता बनर्जी को अपने ही गाड़ी के गेट का सामने पॉल से टकराकर उसकी पैर में चोट लगी, ऑर हड्डियों में फ्रैक्चर की बात कही गयी, जिसके बजह से ममता बनर्जी व्हीलचेयर पर चुनाव प्रचार कर रही है। हालांकि इन सबके पीछे ममता बनर्जी ऑर उनके पार्टी के तरफ से भाजपा के साजिश का आरोप लगाया है, लेकिन भाजपा और चश्मदीह गवाहों को माने तो, यह एक दुर्घटना है, क्योंकि एक मुख्यमंत्री का सुरक्षा के बीच कैसे कोई इस तरह की घटना का अंजाम दे सकता है। जानकारों को कहना है कि यह ममता बनर्जी का वोट लेने का सहानभूति वाला हथियार है। क्योंकि उन्हे मालूम है कि पिछले पाँच वर्षों में विकास का कोई काम नहीं हुआ है, सिर्फ सांप्रदायिकता के सहारे वोट बैंक की राजनीति की गयी है, इसलिए उन्हे हारने का डर सता रहा है, और ऐसे में अपने को विक्टिम बताते हुए वोट लेने की कोशिश कर रही हैं।

परंतु इन सब के बीच ‘खेला होबे’ के जबाब में नरेंद्र मोदी एक रैली में कहा ‘विकास होबे‘ इसका साफ –साफ मतलब यह है कि बंगाल का जितना विकास होना चाहिए, उतना नहीं हुआ मोदी का कहना है कि अगर उनकी सरकार बनती है तो बंगाल में विकास होगा। प्रधानमंत्री मोदी हमेशा से विकास की बात करते हैं। आपको याद होगा जब मोदी 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री के उम्मीदवार बने, तब भी विकास का नारा दिया। ऑर यह सही भी है जनता को विकास से मतलब है न कि खेला से। जनता यह चाहती है कि सरकार किसी का भी हो लेकिन विकास के कार्यों में बाधा न हो। लोगों को अच्छा स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, पानी, रोजगार मिल सके वह भी किसी भेदभाव के, बिना किसी पक्षपात के, क्योंकि मोदी जी का कहना है कि, ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास ‘ यही भारत के विकास के मूलमंत्र हैं। भारत की राजनीतिक पार्टियां इन नारों को आत्मसात कर ले, तो किसी प्रकार की खेला खेलने की जरूरत न होगी।

 ज्योति रंजन पाठक -औथर–’चंचला’ (उपन्यास)

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