एक और खूंखार चेहरा “बोको हराम”

मित्रो,
एक सत्य आतंकवादी घटना के बारे में बार बार बताया जा रहा है “जिसके अनुसार नाइजिरीया के एक विद्यालय से ३०० बच्चियों का अपहरण कर लिया गया है” और इसके लिए “बोको हराम” नामक आतंकी संगठन को जिम्मेदार माना जा रहा हैl

अब जिज्ञासा ये उत्पन्न होती है की ये “बोको हराम” है क्या? ये कौन सी शांति फ़ैलाने का प्रयास कर रहे हैं? चलिए देखते हैl

नाइजिरीया:- फेडेरल रिपब्लिक ऑफ नाइजीरिया या नाइजीरिया संघीय गणराज्य पश्चिम अफ्रीका का एक देश है। इसकी सीमाएँ पश्चिम में बेनीन, पूर्व में चाड, उत्तर में कैमरून और दक्षिण में गुयाना की खाड़ी से लगती हैं। इस देश के बड़े शहरों में राजधानी अबुजा, भूतपूर्व राजधानी लागोस के अलावा इबादान, कानो, जोस और बेनिन शहर शामिल हैं। नाइजीरिया पश्चिमी अफ्रीका का एक प्रमुख देश है। पूरे अफ्रीका महाद्वीप में इस देश की आबादी सबसे अधिक है। नाइजीरिया की सीमा पश्चिम में बेनिन, पूर्व में चाड और कैमरून और उत्तर में नाइजर से मिलती हैं। इसे 1 अक्टूबर 1960 को स्वतंत्रता प्राप्त हुयी थी! जनसंख्या की दृष्टी से विश्व में 9वाँ स्थान है और छेत्रफल की दृष्टि से 31 वाँ स्थान हैl

Boko Haram: The Emerging Jihadist Threat in West Africa – Background, Anti-Defamation League, December 12, 2011 इसके अनुसार मोहम्मद युसूफ “जो उस्ताद मोहम्मद युसूफ के नाम से भी जाना जाता है”। वर्ष २००२ में एक इस्लामिक आतंकवादी संगठन “बोको हराम” का संस्थापक व् नाइजीरियाई आतंकी था उसे वर्ष २००९ में हुइ मौत तक बोको हराम का एक स्पिरिचुअल गुरु माना जाता थाl

“West African Militancy and violence”, page 74: इसके अनुसार मोहम्मद युसूफ का जन्म २९ जनवरी वर्ष १९७० को नाइजीरिया के जाकुस्को (जिसे वर्तमान में योब स्टेट कहते है) में हुआ था आरम्भ में इसने स्थानीय शिछा प्राप्त की बाद में इस्लामिक शिक्षा प्राप्त कर “सलाफी” बन गया।

इस सुन्नी जिहादी गुट का उभार उत्तरी नाइजीरिया में साल 2002 में हुआ। उत्तरी नाइजीरिया का ये इलाक़ा मुल्क का मुस्लिम आबादी बहुल क्षेत्र है। अफ्रीका के सबसे धनी देशों में से गिने जाने वाले नाइजीरिया का ये सबसे ग़रीब इलाक़ा है।

“Who are Nigeria’s Boko Haram Islamists?”. BBC News. 26 August 2011:- इसके अनुसार इस संगठन का औपचारिक नाम जमात एहले सुन्नी लिदावती वल जिहाद है।. इन अरबी शब्दों का मतलब है “जो लोग पैगंबर मोहम्मद की शिक्षा में और जिहाद फैलाने में यकीन रखते हैं People Committed to the Propagation of the Prophet’s Teachings and Jihad”).

इस संगठन को इस्लामिक स्टेट्स ऑफ वेस्ट अफ्रीका प्रांर्विस (आइएसडब्लूएपी) के नाम से भी जाना जाता है। 

Johnson, Toni (2011-12-27). “Backgrounder– Boko Haram”. www.cfr.org. Council of Foreign Relations. Retrieved March 12, 2012: इसके अनुसार University of California at Santa Cruz के स्कॉलर पॉल ल्यूबेक के अनुसार अपनी जवानी के दिनों में युसूफ ने इस्लाम की शिछा ली और सलाफी बन गया वो इब्न तय्यिमियाह (Taqī ad-Dīn Aḥmad ibn Abd al-Halim ibn Abd al-Salam al-Numayri al-Ḥarrānī (Arabic: January 22, 1263 – September 26, 1328), known simply Ibn Taymiyyah for short, was a controversial Muslim scholar muhaddith, theologian, judge, jurisconsult, who some have argued was a philosopher,and whom Rashid Rida considered as the renewer of the 7th century)के उपदेशों  से बहुत प्रभावित था।

बोको हराम अरबी शब्द है जिसका मतलब है ‘पश्चिमी शिक्षा हराम’ है। बताया जाता है कि मुस्लिम मौलवी मोहम्मद यूसुफ़ ने नाइजीरिया में शरिया क़ानून को मानने वाली सरकार के गठन के इरादे से ये संगठन बनाया था। बोको हराम इस्लाम के जिस स्वरूप को बढ़ावा देता है, उसमें मुसलमानों को वोटिंग या धर्मनिरपेक्ष शिक्षा जैसे पश्चिमी जीवन मूल्यों और शैली से प्रभावित किसी किस्म की राजनीतिक या सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने की मनाही है।

यूसुफ़ ने इसके लिए एक मस्जिद और एक मदरसे का निर्माण कराया लेकिन उनके संगठन की दिलचस्पी का दायरा शिक्षा के क्षेत्र से बाहर फैलने लगा। उनका राजनीतिक मक़सद एक इस्लामी राज्य की स्थापना था और वो मदरसा जल्द ही एक जिहादी भर्ती केंद्र में बदल गया।

साल 2009 में बोको हराम ने उत्तर पश्चिमी नाइजीरिया के बोर्नो राज्य की राजधानी मायदुगुरी में पुलिस थानों और सरकारी इमारतों पर कई हमलों को अंजाम दिया। इस हमले में बोको हराम के कई समर्थक मारे गए और हज़ारों चरमपंथी शहर छोड़कर भाग गए। नाइजीरिया के सुरक्षाबलों ने बोको हराम के हेडक्वॉर्टर को अपने नियंत्रण में ले लिया। कई चरमपंथी लड़ाकों को गिरफ़्तार किया गया।

“Nigeria row over militant killing”. BBC News. 31 July 2009. Retrieved 27 June 2015:- इसके अनुसार २००९ में पीछा करते हुए नाइजीरियाई सेना ने युसूफ को उसके ससुराल से धर दबोचा और पुलिस के हवाले कर दिया और फिर पुलिस ने उसे जनता के बिच मैदुगुरी के पुलिस मुख्यालय के सामने मार डाला । इसके बाद सुरक्षाबलों ने मौलवी यूसुफ़ की लाश को टेलीविज़न पर दिखलाया और कहा कि बोको हराम का ख़ात्मा कर दिया गया है। लेकिन बोको हराम के लड़ाके अपने नए नेता अबू बकर शेखु के नेतृत्व एक बार फिर से संगठित हो गए।

साल 2013 में बढ़ती हिंसा के मद्देनज़र नाइजीरिया ने बोको हराम के प्रभाव वाले राज्यों में आपातकाल लागू करने की घोषणा कर दी। उसी साल बोको हराम को संयुक्त राष्ट्र ने एक चरमपंथी संगठन घोषित कर दिया । अबू बकर शेखु के नेतृत्व में बोको हराम के बर्बर तौर तरीके और ज़्यादा कुख्यात होने लगे।

आम लोगों पर बमबारी, बच्चों का खुदकुश हमलावर के तौर पर इस्तेमाल, स्कूलों से अगवा किए जाने की घटनाएं इसी सिलसिले का हिस्सा थीं। इस संगठन का राजनीतिक मकसद इस्लामिक स्टेट का गठन है।

आर्म्ड कनफ्लिक्ट लोकेशन एंड इवेंट डेटा प्रोजेक्ट के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 में बोको हराम के हमलों में 6,347 लोग मारे गए थे। साल की शुरुआत में ही बोको हराम ने एक ही दिन में 2000 लोगों की हत्या कर दी थी। ये बोको हराम का अब तक का सबसे बड़ा हमला माना जाता है।

इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन के अनुसार बोको हराम के आतंक से अबतक 10 लाख से भी ज्यादा लोग अपने घरों को छोड़कर भाग चुके हैं।

इस कुख्यात संगठन ने नाइजीरिया के चिबोक कस्बे से अप्रैल के महीने में साल 2014 में 276 बच्चियों को अगवा कर लिया। लड़कियां बोर्डिंग स्कूल से उठाई गई थीं, इस घटना के बाद पूरी दुनिया में तहलका मच गया। किसी को नहीं पता था कि लड़कियां कहां रखी गई हैं और वे जिंदा हैं भी या नहीं। 4 साल बाद 107 लड़कियां लौटा दी गईं। लेकिन अब भी आधी से ज्यादा लड़कियां लापता हैं, परिवार अब उनके लौटने की उम्मीद लगभग खो चुका है।

बोको हराम से छूटकर आई लड़कियों के साथ असल में क्या होता रहा, इसकी कोई पक्की जानकारी  नहीं। हालांकि टुकड़ों-टुकड़ों में कही बातों से सामने आया सच बहुत डरावना है। उन्हें सेक्स स्लेव बनाकर रखा जाता रहा। हर लड़की को एक टेंट में रखा जाता, जहां मिलिटेंट आते और अपने लिए लड़की चुनकर ले जाते।

नाबालिग स्कूली छात्राओं का अपहरण करने के पीछे तीन कारण हैं।

“नाइजीरिया के पूर्वोत्तर में बोको हराम का नियंत्रण है जहां चाड और नाइजर के साथ सीमा लगती है।. दूसरे देशों में हथियार सप्लाई करने के लिए या फिर जो एक टेररिस्ट रूट है, वहां पर इन लड़कियों को इस्तेमाल किया जाता है।.

दूसरा, बोको हराम का ड्रग्स का बड़ा कारोबार भी है. वहां भी इन लड़कियों को इस्तेमाल किया जाता है।.

तीसरा, इन नाबालिग बच्चियों को धर्म के आधार पर पश्चिमी शिक्षा के ख़िलाफ़ किया जाता है, ताकि वे उनके लिए काम करें”।

नाइजीरिया में छह प्रांत बोको हराम के नियंत्रण में हैं और सरकार का यहां कोई प्रभाव नहीं। स्थानीय स्तर पर बोको हराम का ही प्रशासन चलता है। यहां पर इन्होंने इस्लामिक व्यवस्था के आधार पर राज चलाया है। गांव के ग़रीब लोग जान का ख़तरा होने के कारण कुछ नहीं बोलते। उन्हें चाहे-अनचाहे बोको हराम का समर्थन करना पड़ता है।”

“नाइजीरिया प्राकृतिक संपदा से भरपूर है. लेकिन बहुत-सी आर्थिक संपदा होने के बाद भी वहां बड़े समुदाय के पास आजीविका के साधन नहीं हैं, वे ग़रीब हैं, नाइजीरिया शुरू से ही धर्म और जनजातियों के नाम पर बंटा हुआ है। जबकि बोको हराम आज एक बहुत बड़ा आर्थिक गिरोह बन गया है.”आज खरबों डॉलर तेल का व्यापार इसके माध्यम से हो रहा है। साथ ही पश्चिमी अफ़्रीका से होते हुए सीरिया और अफ़ग़ानिस्तान तक फैले हथियारों के नेटवर्क में बोको हराम भी एक सीढ़ी है। इसने अन्य आतंकी संगठनों के साथ भी गिरोह बनाया हुआ है।”

इंस्टीट्युट फार इकोनामिक एंड पीस द्वारा जारी वैश्विक आतंवाद सुचकांक के आनुसार वर्ष 2014 में आईएसआईएस ने 11.872 लोग हताहत किये जबकी दुसरे स्थाध पर रहा बोको हराम संगठन ने 8386 लोगो की हत्या की जिसमें बच्चे तथा वृध्द और युवा सम्मिलित है।

और दिसंबर २०२० में एक बार पुनः नाइजीरिया के उत्तरी कातसीना प्रान्त में आतंकियों ने एक स्कूल पर हमला करके ३00 से ज्यादा बच्चो का अपहरण कर लिया । ये आतंकी गरीबी, अशिछा व् कमजोर प्रशाशन का लाभ उठाकर अपने नापाक मंसूबो को अंजाम तक पहुँचाते है । इन बोको हराम के आतंकियों का भी वही हश्र होना चाहिए जो अबू बकर अल बगदादी व्  ओसामा बिन लादेन जैसे इंसानियत के दुश्मनों और उनके चेलो चपातियों का हुवा था पर यह तभी संभव है जब विश्व के सभी देश इस आतंकवाद के विरुद्ध एक जुट होकर लामबंद हो और भारत की तरह इसे  ख़त्म करने के दृढ संकल्प ले ।

नागेंद्र प्रताप सिंह ९१७२०५४८२८ aryan_innag@yahoo.co.in

Nagendra Pratap Singh: An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.
Disqus Comments Loading...