अस्थिर और बौखलाए पाकिस्तान का विधुर विलाप

बीते सप्ताह पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी एवं आईएसपीआर के डायरेक्टर जनरल बाबर इफ्तिखार ने एक प्रेस वार्ता के दौरान भारत पर तंज कसते हुए यह आरोप लगाया के भारत, पाकिस्तान को अस्थिर करने की मंशा रखने के क्षेत्र में कार्य कर रहा है। यह वैसा ही है जैसा फिल्म वेलकम में उदय भाई का कहना कि मजनूं उनकी एक्टिंग स्किल्स से जलता है। जनाब शाह महमूद कुरैशी साहब ने वार्ता इसके साथ आरंभ करी कि भारत एक फासीवाद राज्य में तब्दील हो गया है। वैसे उनके इस कथन पर हंसी व तरस दोनों की अनुभूति होती है, हंसी कुरैशी साहब के फासीवादी शब्द की परिभाषा के ज्ञान पर और तरस पाकिस्तान की जनता पर जिन्होंने कुरैशी मियां जैसे ज्ञानी पुरुषों को अपना विदेश मंत्री चुना। वैसे कहने को तो पाकिस्तान स्वयं को जम्हूरियत बताता है और जम्हूरियत में राजा प्रजा के जैसा माना जाता है तो पाकिस्तानियों पर अत्यधिक तरस खाने की भी आवश्यकता नहीं है।

कुरैशी साहब कहते हैं कि भारत पाकिस्तान के टीटीपी, मिलिटेंट्स ऑफ बलूचिस्तान एवं अल्ताफ हुसैन ग्रुप जैसे आतंकवादी संगठनों को आर्थिक मदद मुहैया करा रहा है ताकि वे पाकिस्तान में अस्थिरता एवं गृहयुद्ध जैसी स्थितियां पैदा करें। इस संदर्भ से बिल्कुल हटकर एक प्रसंग याद आता है जब ओसामा बिन लादेन(अल्लाह उनको जन्नत बक्शे) एक बार मध्य रात्रि में कुछ हराम विशिष्ट पदार्थों के सेवन के दौरान अपनी दूसरी बेगम खदीजा शरीफ से फरमाते हैं कि शायद उनके पुत्र हमज़ा को पड़ोसियों की बुरी संगति बर्बाद कर रही है जो इतनी छोटी सी उम्र में एके-47 चलानी सीख गया है। कुरैशी जी ने यह भी बताया कि भारत CPEC (चीन पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर) की बर्बादी के लिए 80 अरब रुपए लगा रहा है। 80 अरब की रकम सुनकर वार्ता में बैठे सभी पत्रकारों का एक दूसरे से आंखों ही आंखों मैं यही सवाल था कि ‘इतने पैसे भी होते हैं क्या’? कुरैशी साहब की ‘ताजदारे हरम निगाहे करम’ किस्म की उर्दू में गुफ्तगू के बाद बाबर मियां ने कमान संभाली अतः आगे की conversation अंग्रेजी में प्रारंभ हुई। खबरदार किसी ने पाकिस्तानियों और अंग्रेजी वाला टकसाली चुटकुला दोबारा मारा तो। किसी भी देश की फौज का आंकलन उसकी भाषा से नहीं बल्कि उसकी हिम्मत एवं पौरुष से होना चाहिए और पाकिस्तानी फौज का पौरुष 1971 में हम सब ने भली-भांति देखा ही था।

टकसाली चुटकुले से याद आया बाबर साहब ने अपनी वार्ता के दौरान कर्नल राजेश नाम के किसी व्यक्ति का ज़िक्र किया जिन्हें कि भारत ने पाकिस्तान में आतंक फैलाने के लिए नियुक्त किया है। राजेश, रमेश, सुरेश, राहुल, रोहित, पुलकित, अंकित, आरव, अक्षय ऐसे कुछ नाम हैं जो भारत के किसी भी भीड़ भरे बाज़ार में चिल्लाए जाएं तो कम से कम 4 लोग तो आपकी तरफ मुड़ कर देखेंगे ही। तो यह नाम चुनने में तो जरूर पाकिस्तानी फौज एवं आईएसपीआर को काफी गहन अध्ययन करना पड़ा होगा। वैसे Schizophrenia नामक एक बीमारी होती है जिसमें मनुष्य को मनगढ़ंत इंसान या चीजें दिखाई देती है कई बार इस बीमारी से ग्रस्त लोग मनगढ़ंत दोस्त भी बना लेते हैं। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए रिचर्ड कैली द्वारा निर्देशित फिल्म डॉनी डार्को अवश्य देखें।

श्री बाबर ने बताया कि भारत, बलूचिस्तान–खैबर पख्तूनख्वा एवं सिंध के कई आतंकवादी संगठनों को पैसा एवं हथियार प्रदान कर रहा है ताकि वे बलूचिस्तान और समस्त पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियां करें। इस कथन को सुनने के पश्चात बलूचिस्तान एवं पाकिस्तान में मौजूद सभी intern जिहादियों की एक दूसरे को देख कर केवल एक ही प्रतिक्रिया थी–

बाबर मियां के अनुसार मलिक फरीदून नाम के एक भारतीय जासूस ने APS/agri University हमले को अंजाम दिया तथा उसके बाद जलालाबाद के इंडियन काउंसलेट में जाकर जश्न मनाया। जिसके बाद वह 2017 में भारत लाया गया जहां उसका भारतीय अस्पताल में इलाज हुआ। वहां से उसने अस्पताल के स्टाफ के साथ सेल्फी खींची जिन पर YOLO लिखा था, उन्हें उसके द्वारा इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया गया तथा बाबर साहब को ‘burn biatch’ लिखते हुए टैग भी किया गया। बाबर साहब की आंखों में यह दुख साफ नज़र आ रहा था कि जब आप अपनी टोली के सबसे बड़े party animal हों और आपका best buddy वीकेंड पर आपको backstab करके अकेले हौज़ खास में happy hour का मज़ा ले जाए। उस पूरी रात बाबर मियां के कानों में महान गायक श्री इमरान खान का बेवफा–बेवफा गाना तो बजा ही होगा साथ ही–

हम किसी भी प्रकार के हराम पदार्थों के सेवन का प्रचार नहीं करते हैं

इस सब वार्तालाप के बीच-बीच में कुरैशी और बाबर मियां कुछ PPT स्लाइड्स और दस्तावेज़ भी पेश कर रहे थे जिन की प्रमाणिकता शायद उतनी ही थी जितनी इंजीनियरिंग के दौरान मेरी प्रैक्टिकल फाइल में दर्ज ऑब्जर्वेशंस की हुआ करती थी। मैं उनके मुखमंडल पर यह डर प्रत्यक्ष रूप से देख और मेहसूस कर पा रहा था जिसमें साफ लिखा था या अल्लाह बस यह पत्रकार/external इसका प्रमाण दिखाने को न कह दे।

बाबर मियां अपनी वार्तालाप के दौरान कई बार कश्मीर को आज़ाद कश्मीर या इंडियन ऑक्यूपाइड कश्मीर कहते दिखे जिसे सुनकर मुझे मेरे उसी शराबी मित्र की याद आ गई जिसे आठवीं कक्षा में परीक्षा के दौरान पैन ना होने के कारण एक छात्रा ने अपना पैन दिया था तथा वह आज 27 वर्ष की आयु में भी उस घटना एवं छात्रा (जिसका अब एक डेढ़ वर्ष का पुत्र भी है) कोे यही सोच कल याद करता है और कहता है कि ‘सच्चा प्यार तो आज भी मुझसे ही करती है ब्रो’।पाकिस्तानी फौज एवं आईएसपीआर कुछ समय पूर्व ही भारत द्वारा गिलगिट–बलटिस्तान के कुछ नेताओं को मरवाने और पीडीएम (पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट) की रैलियों में बम धमाके कराने की भविष्यवाणी भी कर चुका है। स्कूल में मैं भी हर दिवाली पर कक्षा में पटाखा फोड़ने के पश्चात अध्यापिका के पास सबसे पहले जाकर खड़ा हो जाए करता था और उन्हें यह सुनिश्चित भी करा दिया करता था कि मैं पटाखा फोड़ने वाले को पकड़ने में आपकी पूरी सहायता करूंगा एवं उसे उचित दंड भी प्रदान किया जाना चाहिए।

इतने आरोप–प्रत्यारोप लगने के पश्चात भारत की RAW एवं IB जैसी संस्थाओं को एक चैन की सांस अवश्य लेनी चाहिए कि यह ईश्वर की अनुकंपा एवं उनके पूर्व जन्म के कुछ अच्छे कर्म ही हैं कि शाह महमूद कुरैशी और जनरल बाबर इफ्तिखार ने बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग, एक्सपेंड होते यूनिवर्स और पाकिस्तान के ऊपर की ओज़ोन लेयर में छेद बढ़ जाने का ठीकरा उनके सर नहीं फोड़ा।

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