नेता, पत्रकार और हाथरस वाला परिवार!

हाथरस जिला प्रशासन ने जिस तरह से पुरे मामले को ख़राब किया है वो अकुशलता के हर मापदंड पर खरा उतरता है। प्रशासन की अक्षमता ने बेवजह राज्य सरकार को भी संदेह के घेरे में ला कर खड़ा कर दिया। जबकि मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने पहले दिन से मामले की गंभीरता को समझते हुए विधिसम्मत कार्यवाही के स्पष्ट आदेश दिए थे। इस में कोई संदेह नहीं की राज्य सरकार को वस्तुस्थिति के बारे में अँधेरे में रखा गया। परिवार के साथ वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से बात करते हुए मुख्यमंत्री जी ने भी इस बात को महसूस किया की जिला प्रशासन की तरफ से दी जा रही जानकारिया वास्तविकता से परे है। आधी रात में शव को बिना परिजनो की मौजूदगी के जला देना एक घृणित कृत है। आज पुरे दिन पत्रकारों और पुलिस के बीच संघर्ष की खबरे आती रही। पुलिस द्वारा पीड़ित परिवार को लगभग नज़रबंद रखना और मीडिया से न मिलने देना बहुत सारे सवालो को जन्म देता है। आखिर क्या छुपाने की कोशिश की जा रही है।

25 सितम्बर को ही मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी की प्रदेश में महिलाओ के खिलाफ अपराध करने वालो के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। उनके सार्वजनिक पोस्टर भी चस्पा किये जायेंगे। मुख्यमंत्री बनते ही महिलाओ के खिलाफ होने वाली छेड़छाड़ की घटनाओ को नियंत्रित करने के लिए रोमिओ स्क्वाड का गठन किया गया था। अभी हाल ही में प्रकशित राष्ट्रिय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) का डाटा बताता है की उत्तर प्रदेश महिलाओ के खिलाफ अपराध को नियंत्रित करने एवं क़ानूनी कार्यवाही करने में पहले नंबर पर है। कई ऐसे उदहारण है जो बताते है की राज्य सरकार बहिन बेटियों या माँओ के खिलाफ होने वाले अपराधों को नियंत्रीत करने के लिए गंभीर प्रयास कर रहे है। अतः सरकार की नियत पर संदेह करना राजनितिक ही हो सकता है व्यवहारिक नहीं।


राजनीती भी एक अलग स्तर पर जारी है। हाल ही में जन्मी आम आदमी पार्टी ने अभी कुछ महीने पूर्व ही उत्तर प्रदेश में अपनी राजनितिक यात्रा शुरू करने की घोषणा की थी। हाथरस की घटना को आम आदमी पार्टी मुद्दा बना कर खुद को स्थापित करना चाहती है। दिल्ली में आये दिन उनके नेताओ और विधायकों द्वारा किये जा रहे महिला उत्पीड़न के किस्से सुनने को मिल जाते है। पिछले लोकसभा चुनाव में अपनी ही पार्टी की महिला उम्मीदवार के खिलाफ भद्दे पर्चे छपवा कर अपनी भद्द वैसे ही पिटवा चुके है। पीड़िता को न्याय दिलाना इनका मकसद है इस बात में संदेह है। कांग्रेस की तो विडंबना यही है की इनके किसी भी कदम को उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पुरे भारतवर्ष में कोई गंभीरता से नहीं लेता। हर मुद्दे पर मीडिया और कार्यकर्ताओ को जमा कर के थोड़ी देर का इवेंट बनाया जाता है। उसके बाद राहुल और प्रियंका अपने घर चले जाते है। उसके बाद पार्टी ट्विटर पर चलती है।

कांग्रेस का जनाधार उत्तर प्रदेश में लगभग ख़त्म है। प्रमुख नेताओ की विश्वसनियता शून्य के बराबर है। पिछले चुनावों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 सीटों में से 21 पर कांग्रेस की जमानत जब्त हो गयी थी। देश को आज़ादी दिलाने वाली पार्टी के प्रयासों को अब देश ही गंभीरता से नहीं लेता। सपाइयों का तो अपना ही ट्रैक रिकॉर्ड बलात्कारियो का बचाव करने का रहा है। शायद इसी बात का प्रायश्चित करते हुए लाल टोपी में युवा कभी कभार पुलिस की लाठी से पीटते हुए टीवी पर दिख जाते है। बसपा जिसने दलितों को अपना राजनितिक मुद्दा बनाया वो दलित बेटी के साथ कही खड़ी नहीं दिख रही। शीर्ष नेता बस लिखित बयान जारी कर के अपनी जिम्मेदारियो का निर्वाहन कर रही है। किसी भी पार्टी को सरकार को घेरने में कोई सफलता नहीं मिल पायी है। महिला पत्रकारों का प्रयास ज्यादा प्रभावशाली प्रतीत होता है।


हाथरस के मालमे में हर स्तर पर एक जबरर्दस्त विरोधाभाष है। जैसे मामले को वीभत्स बताने के क्रम में यह बताया गया था की पीड़ित लड़की की जीभ काट ली गयी थी। जबकि सच्चाई यह है की लड़की ने घटना होने के बाद कई बार मौखिक बयान दिए। इसके कई वीडियो मौजूद है है। दुष्कर्म होने या दुष्कर्म करके के प्रयास होने के अलग अलग आरोप है। देश के लोग उद्वेलित है। मीडिया खास तौर पर महिला पत्रकार बेहद आक्रोशित है। यह स्वाभाविक भी है। सबका मकसद पीड़िता को न्याय दिला है। पर हम ये न भूले की न्याय अदालतों में होते है। इस मामले में तो कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। अदालतों में सबुतो के बिनाह पर जिरह होती है फिर फैसले लिए जाते है। 3 अलग अलग पोस्टमार्टर्म रिपोर्ट उपलब्ध हैं। जिनमे मौत के कारणों की लगभग एक ही व्याख्या है। आरोपियों और पीड़ितों के बिच पुरानी टसल की बात खुद लड़की की माँ ने माना है। अदालत में वही माना जायेगा जो वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है। हम सब की भावनाओ का कोर्ट की कार्यवाही में कोई प्रासंगिकता नहीं है।


आज योगी सरकार ने जो फैसले लिए है वो स्वागत योग्य है। सबसे पहले तो परिवार पर दबाव बना रहे और पत्रकारों से खास कर महिला पत्रकारों से बदतमीज़ी कर रहे अधिकारियो को नाप दिया गया है। साथ सबंधित लोगो का नार्को पोलीग्राफीक टेस्ट करने की बात की गयी है। ये एक सकारात्मक प्रयास है। पीड़ित युवती को न्याय दिलाने की दिशा में विगत दिनों में किया गया सबसे सराहनीय कदम है। अगर हम ईमानदार है तो हमें इस कदम का स्वागत करना चाहिए। मुझे यकींन है की आने वाले दिनों में इस मामले की कई परते खुलेंगी। न्याय हो कर रहेगा। दोषियों को ऐसी सजा मिलेगी जो नज़ीर बनेगी। मुझे मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश पर पूर्ण विश्वास है।

~ विभूति श्रीवास्तव (@graciousgoon)

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