ये दर्द काहे खत्म नही होता, बे

आजकल देश मे इतने खतरनाक बौद्धिक स्तर पर विचार विमर्ष हो रहा है, जिसे समझने के लिए मेरे जैसे बहुत से मन्द्बुद्धि व्यक्तिओं के तुच्छ मस्तिष्क के समस्त न्यूरॉन कम पड़ जाते है। वित्तिय और बौद्धिक सुधारों के रूप में, बुद्धिमत्ता ऋण देने की योजना का भी केंद्र सरकार प्रावधान करें अन्यथा हम मंदबुद्धि लोगो का इस देश मे जीना कठिन हो जाएगा। बुद्धिजीवि पत्रकार, प्रोफेसर, बिन्दी झोला ब्रिगेड, सर्पनगरी बॉलीवुड के शेषनाग इत्यादि लोग ऐसे तर्क प्रस्तुत करते है, जो हमारी सूक्ष्म सोच पर वज्र सा प्रहार करते है, मस्तिष्क सुन्न हो जाता है। कभी कभी विचार आता है कि हम लोग ऐसे ही मनुष्य योनि में अवतरित हो गए, इन विद्वान मनुष्यों वाले एक भी गुण नही है हमारे अंदर। हे ईश्वर! ये कौन से कर्मो का फल दिया है हमे?

अब देख लो, सुशांत भाई तो चले गए पर सम्पूर्ण सर्पनगरी की चहेती विषकन्या उसको न्याय दिलाने के लिए लड़ती रही। पहले देवीजी ने मोटा भाई से कितनी प्रार्थना की, सीबीआई की मांग करती रही पर सरकार ने एक न सुनी। और जब भारत की स्कोटलैंड पुलिस ने मामला सम्भाल कर हल कर दिया तो सरकार ने सीबीआई का रायता फैला दिया। देवीजी ने दुनिया भर के हलफनामे दिए सर्वोच्च न्यायालय में, बहुत समझाया कि अब तोते की आवश्यकता नही है, संविधान की दुहाई भी दी। पर तोता फुदकर कंधे पर ही आ बैठा-रोज़ प्रश्न पूछने लगा बुला बुलाकर। जब एक उभरती हुई अभिनेत्रि कह रही हैं कि पहले जरुरत थी तोते की, अब नही है तो ये फासीवादी सरकार और कोर्ट को क्यों नही समझ आता है? ये मायानगरी के लोग ही तो हमारी युवा पीढ़ी के रॉल मॉडल है, युवाओं के मार्गदर्शन के लिए इनको पुरुष्कार देना चाहिए, कई प्रगतिशील राज्य सरकारें देती भी है। खैर,  हम ठहरे मूर्ख हमारी समझ से परे है ये सब बातें। 

इधर ये दुःख खत्म हुआ नही कि दूसरा चालू। ये नारकोटिक्स वाले भी हाथ धोकर पीछे पड़ गए। पुरानी चैट जो देवीजी ने फोन से उड़ा दी थी वो भी निकाल ली, अब ये कौन से कानून में लिखा है जी- आखिर राइट टू प्राइवेसी भी कोई चीज़ है। कितनी बार एक ही संविधान ही हत्या करोगे मोटा भाई? चैट से ड्रग्स का पुराना इतिहास खंगाल डाला, न्यूज चैनलों ने इसको 24*7 दिखाया जाने लगा, कोरोना खुद टीवी के सामने बैठकर विषकन्या पर बने कार्यक्रम देखने लगा। नारदरूपी ऐंकर एक से बडे एक रहस्यों से पर्दा उठाने लगे। पूरे देश को बताया गया कि विषकन्या सुशांत को छिपाकर ड्रग्स देती थी। हम मुर्खानंद लोग यही मान बैठे। मेरे ज्ञानचक्षु तो तब खुले जब एक और बुद्धिजीवी देवीजी को सुनने का मौका मिला। ये देवीजी है कुनिका जी, जो आजकल न्यूज चैंनलों पर होने वाले डिबेट में मायानगरी बॉलीवुड के एक खास वर्ग का पक्ष रखती है।

ये वही वर्ग है जिसने सिनेमा के माध्यम से हम मन्दबुद्धि जनता को बताया कि दाऊद देशभक्त था, संजू भाई महान है, मुग़ल देवता लोग थे। डिबेट क्या कहें, युद्धस्थल होता है जहाँ शुरुआत बातों से होती है, गालियों से होते हुए जूतमपैजार तक का सफर तय करते है हमारे सम्मानीय एक्सपर्ट लोग। कुनिका जी ने समझाया कैसे ड्रग्स देकर यह विषकन्या सुशांत की मदद कर रही थी। डिप्रेशन दूर करने के लिए थोडी ड्रग्स देना कोई बुरी बात नही है। अब जाके मेरे दिमाग की घन्टी बजी- कितना मार्मिक तर्क था यह, बात भी सही है चार बूँद ही तो देती थी चाय में। सरकार तो करोड़ों रुपये खर्च करके पोलियो मिटाओ अभियान चलाती है, दो बूंद जिंदगी की। सरकार से प्रेरणा लेकर ही तो कर रही थी वो भी, भले ही ड्रग्स गैरकानूनी हो, इसकी असली अपराधी तो सरकार ही है। अब हम है आम जनता, नासमझ, छोटा दिमाग इसलिए पहले ही बोल देते हैं- सॉरी बाबू।

aryaveer: B.Tech graduate in Electronics & communication engg., Cyber security expert, having interest in Indology and true indian history.
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