रोशनी एक्ट ने कश्मीर के जिहादियों की पोल खोली

भारत को हजारों सालों से लूटा जा रहा है। 2014 में आपने एक महमानव को चुना। उसने आकर भारत को लूट के युग से निकालकर विश्वगुरु बनने की दिशा में बढ़ाना शुरू कर दिया है। लेकिन यह घटना उस युगपुरुष के राजनीति में प्रवेश करने से कुछ ही समय पहले की है। 2001 में तत्कालीन फारुख अब्दुल्ला की नेशनल कोन्फ्रेंस सरकार रोशनी एक्ट के नाम से एक बिल लेकर आई। उस बिल के अनुसार जम्मू में शरणार्थियों को उस जमीन पर कब्जा दिया जाएगा, जिस जमीन पर वो रह रहे थे। उसमे कट ऑफ 1990 रखी गयी। यानि 1990 से पहले आए सभी शरणार्थियों को उनके रहने की जमीन पर कब्जा दे दिया जाएगा।

लेकिन सरकार का षड्यंत्र देखिये। उस रोशनी एक्ट के पेश होते ही उसने कश्मीर से लोगों को जम्मू में बसाना शुरू कर दिया। बाद में उस कट ऑफ को 2004 कर दिया गया। कुछ साल बाद उस कट ऑफ को 2007 कर दिया गया। इस प्रकार 25000 परिवारों को कश्मीर से जम्मू में बसा दिया गया। 90 प्रतिशत कब्जे वाले मुसलमान परिवार थे। इसका असर यह हुआ कि जिस जम्मू में 2001 में हिन्दू आबादी 65 प्रतिशत थी और मुस्लिम आबादी 30 प्रतिशत थी, 2011 में वही हिन्दू आबादी घटकर 62 प्रतिशत और मुस्लिम आबादी बढ़कर 33 प्रतिशत हो गयी।

मजे की बात यह है कि जिस जमीन को बिजली के आधारभूत ढांचे के निर्माण के लिए 30 हज़ार करोड़ में बेचने का लक्ष्य रखा था, उसे बेचकर सरकार को सिर्फ 76 करोड़ रुपये मिले। खेती की बेशकीमती ज़मीन मात्र 100 रुपये प्रति कनाल में बेच दी गयी। 2014 में CAG ने जब इस घोटाले से पर्दा उठाया तब तत्कालीन राज्यपाल श्री सत्यापल मालिक ने जांच एसीबी को सौंप दी।

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