जातिगत आधार पर कुख्यात अपराधी विकास दुबे की पैरवी करने वाले लोगों को कुछ तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए

बीते दिनों कानपुर में उत्तर प्रदेश पुलिस और विकास दुबे गैंग के बीच हुई मुठभेड़ के दौरान आठ पुलिसकर्मी वीरगति को प्राप्त हो गए थे। विकास दुबे और उसके साथियों ने कायरता से छुप कर ये हमला किया था, जिसमें पुलिस के जवानों को बंदूक उठाने का भी मौका नहीं मिल पाया था।

इस कांड के बाद से ही कुख्यात अपराधी विकास दुबे फरार है। लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ लोग विकास दुबे को एक समाज का मुखिया या हीरो की तरह पेश कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विकास दुबे का घर गिराए जाने का भी विरोध कर रहे हैं।

एक कुख्यात अपराधी का समर्थन सिर्फ इस लिए किया का रहा है क्योंकि अपराधी कथित तौर पर ब्राह्मण समुदाय से आता है। ऐसे में जातिगत आधार पर कुख्यात अपराधी विकास दुबे की पैरवी करने वाले लोगों को कुछ तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए :

  1. आप जिसे अपना ब्राह्मण भाई समझ कर शेर बता रहे हैं या उसके अपराधी बनने के पीछे सिस्टम को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, आपके उसी शेर विकास दुबे ने जितनी हत्याएं अब तक की है उनमें से 80% ब्राह्मण ही हैं।
  2. विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम में शहीद हुए डीएसपी देवेंद्र मिश्र भी ब्राह्मण हैं। डीएसपी देवेंद्र मिश्र की हत्या करने के बाद विकास दुबे और उसके साथियों ने देवेंद्र मिश्रा का सर और पांव भी कुल्हाड़ी से काट दिए।
  3. अपराधी विकास दुबे द्वारा 2001 में शामली पुलिस थाने में जिस दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या की गई थी, वो भी ब्राह्मण ही थे।
  4. कानपुर के ही एक रिटायर्ड प्रिंसिपल सिद्धेश्वर पांडे (ब्राह्मण) को भी अपराधी विकास दुबे ने मारा।
  5. 2018 में असफल जानलेवा हमले के बाद दुबे का शिकार बने उसके ही चचेरे भाई अनुराग दुबे भी ब्राह्मण ही थे।

अगर विकास दुबे का समर्थन करने वाले सिर्फ उसकी जाति देख रहें हैं तो इन तथ्यों पर भी उनको एक बार विचार करना चाहिए। उनको ये समझना चाहिए कि अपराधी, अपराधी ही होता है। चाहे वो किसी भी जाति-धर्म-पंथ का हो।

विकास दुबे पर उत्तर प्रदेश में हिस्ट्री शीट 152 A में उसके तमाम मामले दर्ज हैं। आज नहीं तो कल उसका भी एनकाऊंटर हो ही जाएगा। इससे ज्यादा मूर्खता क्या होगी की एक अपराधी को आप लोग हीरो बना देना चाहते हैं। शेर बोलना है तो वीरगति को प्राप्त हुए DCP देवेन्द्र मिश्र को बोलिए। गर्व करना है तो उनपर करिए।

आपको एक अपराधी की काली कमाई से बना उसका घर तोड़े जाने का दुख हो रहा है? जरा उन 8 पुलिसकर्मियों के परिवारों के बारे में एक बार सोचिए। फिर भी मकान तोड़े जाने के पीछे जो तथ्यात्मक बात बताई जा रही है वो ये है कि, कानपुर मंडल के आयुक्त सुधीर बोबड़े ने मकान गिराने के बारे में बताया है कि ग्रामसभा की ज़मीन क़ब्ज़ा करके ये मकान खड़ा किया गया था। इससे जुड़ी रिपोर्ट एसडीएम ने डीएम को दे दी है।

अब भी यदि आपको विकास दुबे हीरो लगता है तो यकीन मानिए अब तक आपकी पढ़ाई पर जितना भी पैसा आपके मां बाप ने खर्च किया है वो बेकार चला गया है।

Abhishek Singh: Columnist : Politics. National Issues. Public Policies.
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