चीन और पाकिस्तान को नहीं हुआ घी हजम: भारत और अमेरिका ने दिया कायम चूर्ण

सुना है कि आज कल चीन और पाकिस्तान को घी हजम नहीं हो रहा। अब मुझे नहीं पता कि चीन और पाकिस्तान ने अपनी जमात बदल ली या फिर वंहाँ इंसानों ने रहना छोड़ दिया। वैसे चिंता की कोई बात नहीं क्यों कि भारत और अमेरिका जैसे जिन मालिकों ने इन्हे घी पिलाया अब वही इन्हे कायम चूर्ण भी दे रहे हैं फिर चाहे वो व्यापार बैन करने वाले कायम चूर्ण हों या फिर गलवान घाटी में चीनियों को दिया गया भारतीय कायमचूर्ण, या फिर बालाकोट में पाकिस्तान को दिया गया कायमचूर्ण।

पर ऐसी बात नहीं है कि भारत और अमेरिका ये सब निःस्वार्थ भाव से कर रहे हैं। भारत और अमेरिका को यह डर है कि कहीं घी अपच होने के कारण चीन और पाकिस्तान अशांति और अहंकार का गैस छोड़ बदबू फैलाना न शरू कर दें। वैसे भी चीन और पाकिस्तान तो भारत के पडोसी ही हैं तो भारत बेचारा कितना नाक बंद करेगा ! इसीलिए भारत के लिए ये जरुरी हीं है कि अपने इन दोनों पड़ोसियों को कायमचूर्ण दे। अमेरिका को भी इस बात का आभास है कि भले हीं वो इन दोनों का पडोसी न हो किन्तु गैस की बदबू सीमाएं और दुरी नहीं देखती। यही कारण है कि अमेरिका भारत का साथ दे रहा चीन और पाकिस्तान की अपच मिटाने में।

अमेरिका ने तो ना जाने पाकिस्तान को आर्थिक मदद के रूप में कितनी ही बार घी खिलाया है। कभी 300 मिलियन डॉलर का घी तो कभी 3000 मिलियन डॉलर का घी। साथ हीं चीन को व्यापार के बड़े अवसर प्रदान कर चीन को भी घी खिलाया। किन्तु लगता है शायद इन दोनों को घी हजम नहीं हुआ। तभी तो पाकिस्तान के इमरान खान को लादेन शहीद नजर आने लगा, और चीन को अमेरिका नचनियां।
एक समय था जब यूएन सिक्योरिटी कॉउंसिल का सदस्य बनाने वाला घी खाने की हर तरफ चश्का लगी थी। फ्रांस,यूके,रूस,और यूएन पहले हीं इस घी का स्वाद ले चुके थें, और अब वो चाहते थें कि भारत भी इस घी का स्वाद ले। किन्तु अब इसे चाचा जी का पशुप्रेम कहें या फिर मूर्खता जो उन्होंने ये मौका चीन को दे दिया।

अभी कुछ दिनों पहले की बात है मेरे 2 पालतू कुत्ते मुझपर ही भौंकने लगें कि वो दोनों मेरे घर की रखवाली करते हैं दिन रात। अगर वो रखवाली छोड़ दें तो मेरा घर कभी भी लूट सकता है। मैंने उन्हें समझाया कि मैं उहने रहने को घर और खाने को खाना देता हूँ तभी वो मेरे घर की रखवाली करते हैं। किन्तु वो थें कि बिना कुछ सुने बस भोंके ही जा रहे थें। इस डर से कि कहीं उन्हें कोई गंभीर बिमारी न हो मैं उन दोनों को डॉक्टर के पास ले गया । मेरा ये डर सही भी निकला जब मुझे पता चला कि मेरे प्यारे कुत्तों को एक नयी नाइलाज बिमारी हो गयी। मैं इस बात से हैरान परेशान और मायूस कि आखिर मेरे कुत्तों को ये गंभीर बिमारी कैसे हो गयी, अपने घर को लौट आया। सोंचा टेलीविजन देख कर थोड़ा मूड फ्रेश कर लूँ। टेलीविजन खोल कर देखा तो चीन इस बात कि धौंस दिखा रहा था कि “अगर चीन सस्ता सामान बनाना और बेंचना छोड़ दे तो भारत और अमेरिका समेत पूरी दुनिया घुटनों पर आ जायेगी। चीन आज सस्ते सामानों का सबसे बड़ा निर्माण केंद्र है।”

किन्तु चीन शायद यह भूल गया कि वो जिस बात की धौंस दिखा रहा है वो दरसल भारत और अमेरिका जैसे देशों की दया की हीं देन है। अगर ग्राहक ही नहीं मिलते तो चीन अपना सामान बेंचता कहाँ। किन्तु शायद चीन को ये बात समझ नहीं आती। फिर मेरा ध्यान मेरे कुत्तों की बिमारी पर गया, और मैंने गौर किया कि मेरे कुत्तों में भी तो कुछ इसी तरह के बिमारी के लक्षण दिख रहे हैं। वैसे इसमें अचरज की कोई बात नहीं अगर कोरोना और टिकटोक जैसी बिमारी देने वाला ड्रैगन एक और बिमारी दे दे तो।

किन्तु अब भारत और अमेरिका जैसे देश समझ चुके हैं कि चीन और पाकिस्तान ने कुछ ज्यादा हीं घी खा लिया है जो अब पच नहीं रहा। और अगर जल्दी हीं कुछ नहीं किया गया तो पूरी दुनिया को अपनी नाक बंद करनी पड़ेगी। इसी विस्फोट को रोकने के लिए भारत और अमेरिका जैसे देश चीन और पाकिस्तान को प्रतिबंधों का कायम चूर्ण दे रहे हैं ताकि ये दोनों इस बिमारी से निजात पा लें ।

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