विश्व पटल पर छाना होगा

Swami Vivekananda at the Parliament of World's Religions.

विश्व पटल पर छाना होगा,
फिर से लहू बहाना होगा आएं जितनी भी आघातें,
हो मुश्किल कितना भी सफर फिर से बाण चलाना होगा 
विश्व पटल पर छाना होगा

कृष्ण नहीं आएंगे फिर से 
गीता भी फिर नही बहेगी
जल में नभ में वसुधा में जन जन में तीव्र क्षुधा में
वो संकल्प जगाना होगा
विश्व पटल पे छाना होगा

राम राज्य हो देव भाग्य हो
अमृत बरसे जन मन में कृष्ण प्रेम हो
सत्य विजय हो बंसी का स्वर फैले कण कण में
ऐसे मन से शुद्ध हृदय से फिर से उसे बुलाना होगा
विश्व पटल पे छान होना मंगल भुवन बनाना होगा।

शक्ति प्रबल हो निर्मल जल हो 
शांत हो अम्बर शीतल तल हो 
सागर की गहराई से गहरा हो
अन्तरतम सत्य निष्ठ हो
कर्म शिष्ट हो वृक्ष घने हो
छाये चहुँ ओर घनघोर घटाएं बरसे घृत बरसे
अमृत बरसे योवन जल
फिर नित नवीन कर्मों से
प्रतिपल विश्व पटल को सजाना होगा
मंगल भवन बनाना होगा

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