जो जो बातें रोज़ घटित होती है।
उससे याद रखना जरूरी न भी हो तब भी
सब याद रखा जाएगा।
जो व्यवहार किये है हम पर काफिर समझ कर,
खुद को मोमिन बता कर, मुझ को मुश्रिकीन बना कर,
काफी बातो को अनसुना कर कर,
मैंने भले ही खुद से कही आखिर में जाकर
क्यों हमेशा हमे ही बनाया जाता है मोहरा
हमारे ही साथ खेला जाता है ये खेल दोहरा
नही भूले है हम कश्मीर हमारा
नही भूलेंगे दिल्ली दुबारा
सबकुछ लोगो को बताया जाएगा
सब याद रखा जाएगा।
सब याद रखा जाएगा।
भूले हो कही बाते अक्सर
भूल नही सकते उनके मकसद
फिर हो कश्मीर या हो गुजरात के दंगे
केरल बंगाल हो या हो मेवात के पंगे
आज भी जब जब आघात होगा हमारे संस्कृति पर
जब जब बाटा जाएगा सनातन को पंथ जातियों पर
तब तब आगे आना होगा इनको माफ नही किया जाएगा
सब याद रखा जाएगा।
सब याद रखा जाएगा।