कोरोना की यात्रा और कोरोना के बाद की यात्रा

जब शरद ऋतु अपने शिखर पर था, स्कूल – कॉलेज में क्रिसमस और नए साल की छुट्टियां हो गई थी, सब लोग पिकनिक पार्टी में मस्त थे तब उनको इस बात की तनिक भी आभास नहीं थी कि चाइना में इन हँसी खुशी को मिटाने की पटकथा लिखी जा रही हैl कोई Chinese, मानव सभ्यता को तबाह करने के लिऐ चमगादड़ खा रहा थाl

जब चीन की तैयारियां पुरी हो गई तब वह आखिरकार WHO के माध्यम से दुनिया को इस वायरस के बारे में आधी अधुरी जानकारी दे दी लेकिन साल के अन्तिम रात की डीजे के शोर में यह समाचार बहुतों के कानों तक तो पहुंचा पर लोग इसे पहाड़ में खरोंच की भांति नजरअंदाज कर दिए l Corona मरीज की संख्या लगातार बढ़ रही थी और आखिरकार 13 जनवरी को चीन से बाहर थाईलैंड में Corona मरीज की पुष्टी हुई l दुनिया सचेत होती उसके पहले WHO ने ठीक अगले दिन यानि 14 जनवरी को मानव से मानव रोग के प्रसार की संभावना को खारिज कर पहले से बेफिक्र दुनिया को कान में तेल डालकर सोने को निश्चिंत किया ताकि चाइना अपनी असली मकसद जो की दुनिया को तबाह करने की थी उसमें कामयाब हो सकेl

जनवरी के अंत तक भारत, अमेरिका, इंग्लैंड समेत दुनिया के 28 देशों तक इस बीमारी का प्रसार हो गयाl भारत समेत दुनिया के तमाम देश Corona के प्रभावित शहर से अपने नागरिकों को लाना प्रारंभ कर दिएl सभी महत्वपूर्ण हवाईअड्डों पर थर्मल स्क्रीनिंग होने लगी, कई देश चीन और अन्य प्रभावित जगहों की यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिएl फरवरी के अंत तक यह रोग पूरी दुनिया में फ़ैल चुका थाl चीन में 3000 मौत के साथ संक्रमितों की संख्या 80000 के करीब पहुंच गयाl दक्षिण कोरिया और ईरान इसका नया केन्द्र तथा अन्य देश में भी यह संख्या दहाई के आंकड़ों के पहुंच गया थाl हम नित्य चीन में सैकड़ों मौत की समाचार सुनने लगे उस समय दुनिया को लगा की चीन तो इस बीमारी से समाप्त होने वाला है पर उन्हें यह पता नहीं था की मार्च से यह Corona दूसरे देशों में मार्च करने वाला है अपने मजबूत अर्थव्यवस्था के नशे में अमेरिका, इंग्लैंड इस महामारी की गंभीरता को भापने में असमर्थ थे उन्हें अपनी अर्थवयवस्था की ज्यादा चिन्ता थी इसलिए वे सभी चीजों को याथवत चलने दिएl

अब कोरोना का असली तांडव शुरू हुआl विकसित देश जिनकी स्वास्थ्य व्यवस्था सबसे उन्नत थी अब अपनी असमर्थता जाहिर करने लगे थे, रोज हजारों लोगों की मौत होने लगी, सभी स्टॉक मार्केट क्रैश करने लगे, अन्ततः इस भागदौड़ भरी दुनिया में एक शिथिलता आयीl बड़े बड़े राजनेता कोरोना से ग्रसित हो गएl सारे स्कूल कॉलेज बन्द हो गए, सड़कें बिरान हो गई, लोगों में डर का आलम इतना हो गया की अगर रास्ते में पैसे भी पड़े दिखे तो लोग छूने से डरने लगें, वातावरण साफ होने लगाl

दुनिया को कोई उपाय नहीं सूझ रही, सभी लोग अंधेरे में तीर चलाने लगे कि HCQ से उपचार सम्भव है तो प्लास्मा थेरेपी सेl Hcq के जरूरत को पूरा करने के लिए अमेरिका समेत कई विकसित देश भारत की ओर उम्मीद की नजर से देखने लगे लेकिन भारत भी वसुधैव कुटुंबकम् की परिचय देते हुए किसी को निराश नहीं किया और दुनिया को बताया की व्यापार में भले ही कोई अग्रणी हो पर व्यवहार में अभी भी हम ही श्रेष्ठ हैंl

भारत में भी कोरोना के मामले बढ़ने लगे वैसे ही कई राज्य तथा फिर देश व्यापी बंदी की घोषणा प्रधानमंत्री द्वारा की गईl सारे संस्थान बन्द हो गए, डॉक्टर सफाईकर्मी प्रशासन सब अपनी जान की बाजी लगाकर अपनी कर्तव्य का पालन कर रहे थे, घुटन के कारण हेलमेट नहीं पहनने वाले युवा भी अब बीना मास्क के नहीं निकल रहे थे, बड़े बड़े सितारे भी आज आम लोगों की भातिं खुद का काम खुद कर रहे हैं, धनाध लोग आर्थिक मदद कर रहे हैं, जिस शादी के मौसम में लोग नए संबंध बनानेवाले वाले थे वहां लोग अपने पहले के संबंधी से दूर घर में दुबके पड़े थे, कई निजी संस्थान य समूह अपने आस के गरीब लोग के खाने की प्रबंध कर रहें थे, कुल मिलकर सबलोग अपनी जिम्मेदारियों का पालन कर रहे थेl माफ कीजिएगा सब नहीं एक तब्लीग़ी जमात वाले भी थे जिनको शायाद ये लगता था कि ये बीमारी तो बस काफिरों के लिए बना है य हो सकता है वो उन मानव बॉम्ब बन के इस मौके का लाभ उठाकर पहले के बड़े बड़े आतंकी समूहों द्वारा अधूरे पड़े काम को पूरा करने के लिए लग गए होl तभी तो जहां पुरा देश corona वॉरियर्स पर फुल बरसाकर सम्मान कर रहे थे वहां ये लोग संक्रमण को बढ़ाने के लिए इधर उधर थूकने लगे, जांच के लिए गए डॉक्टर लोग पर जानलेवा हमला करने लगें और इसका परिणाम हुआ कि उस समय होने वाले नए मामले में 30% से भी ज्यादा की योगदान हो गईl

लेकिन इन सबके बावजूद भारत में दुनिया के 17% आबादी के साथ अन्य चुनौतियों के बावजूद अभी तक के अपने सामूहिक प्रयास के बदौलत आज कुल पॉजिटिव केस का मात्र 2-3% और कुल मौत का 1.35% पर सीमित रखा हैl अब भारत पर टिप्पणी करने वाले इंग्लैंड के अर्थशास्त्री Jim O’ Neill को भारत और उनके अपने देश की हालत देख कर ये अंदाजा हो गया होगा कि सबकुछ पैसा से ही नहीं होता कुछ नेतृत्व पर भी निर्भर करता हैl चाहे समय पर यात्रा प्रतिबन्ध हो या lockdown या गरीब लोगों के अकाउंट में डीबीटी के माध्यम से पैसा भेजना अभी तक के सभी निर्णय सही साबित हुए हैंl अब अमेरिका, जापान जैसे कई देश जब ये षडयंत्र को समझे की आखिर वुहान से शुरू होकर ये बीमारी तमाम देशों में तांडव मचा दिया तो आखिर चीन के दूसरे प्रांत में ऐसा क्यों नहीं हुआ तब वो लोग अपने कंपनी को वहां से शिफ्ट करने की तैयारियां शुरू कर रहें हैं। भारत को इस अवसर का लाभ मिल सकता हैl

सकारात्मक खबर के बावजूद अभी भी कई चुनौतियां बना हुआ है जैसे-अप्रवासी मजदूर के समुचित खाने की व्यवस्था, बन्द पड़े शिक्षण संस्थान में पढ़ाई शुरू करने की चुनौती, कोरॉना के बाद अर्थवयवस्था के पुनरुद्धार की चुनौती, साथ वैक्सीन बनने की चुनौती, भविष्य में प्रसार रोकते हुए जनजीवन सामान्य बनाने की चुनौतीl

लोग 1920 के दशक में आए स्पॅनिश फ्लू के बारे में सोचकर ही सहम जा रहें हैं जो कि दुनिया में करोड़ों जान ले लिया थाl 3.9 लाख मौत और 62 लाख से ज्यादा लोगों के संक्रमण के बावजूद अभी भी दुनिया उस अंधेरे बहुमुखी सुरंग में फंसा है जिसमें यह नहीं पता की किस दिशा में जाने पर और कितनी दूर जाने पर यह वैक्सीन रूपी दीपक मिलेगा जिससे इस पूरी दुनिया को उस अंधेरे से बाहर निकाला जा सकेl

Pawan Sharma: Electrical Engineering student at jadavpur University, Vegetarian, bihari,
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