दुनिया में सबसे तेज काटने वाला कौन है?

एक बार एक राजा ने शाही दरबार में उपस्थित सभी विद्वानों से पूछा, “दुनिया में सबसे तेज काटने वाला कौन है?” एक विद्वान ने कहा कि बिच्छू सबसे तेज काटने वाला है। कोई कहा कि सांप सबसे तेज काटते हैं, तो कोई कहा मधुमक्खि सबसे तेज काटते हैं।

लेकिन राजा इन सभी जवाबों से संतुष्ट नहीं हुए। उत्सुकतावश, राजा बरिष्ठ मंत्री के ओर देखा। वृद्ध मंत्री अब तक सबकी बातें चुपचाप सुन रहे थे। राजा के जिज्ञासु टकटकी को देखकर, वह उनकी उद्देश्य को समझ गये, और कहा, “हे राजन, आप सभी के उत्तर पहले ही सुन चुके हैं।” राजा ने कहा, “नहीं, यह उत्तर हर कोई कह रहा है। मुझे आपसे एक अनुभव पूर्ण उत्तर चाहिए।”

बरिष्ठ मंत्री नें कहा, “हे राजन, सच तो यह है कि दुनिया में दो तरह के प्राणी होते हैं जो सबसे तेज काटते हैं,”। वे दोनों निन्दुक और चाटुकार होते हैं। निन्दुक तो आपको पीछे से काटता है, जिससे आपका आत्मा को पीड़ा पहुंचाता है। लेकिन चाटुकार सामने से काटता है, जिससे आपके आत्मा अपनी चेतना खो देता है।”

आसन्नमेव नृपतिर्भजते मनुष्यं विद्याविहीनमकुलीनमसंस्कृतं वा ।
प्रायेण भूमिपतयः प्रमदा लताश्च यत्पार्श्वतो भवति तत्परिवेष्टयन्ति ।।
(पञ्चतन्त्र)

अर्थात:- राजा अपने निकटस्थ मनुष्य को ही महत्त्व देता है, भले ही वह विद्याविहीन हो, कुलीन न हो, अथवा सुसंस्कृत न हो। प्रायः होता यह है कि राजा, स्त्री एवं लता अपने निकट जो होता है उसी का परिवेष्टन करते हैं यानी उसी से लिपटते या उसका आश्रय लेते हैं।

आज के युग में राजा का मतलब उस व्यक्ति से है जो किसी व्यवस्था के शीर्ष पर हो। ऐसा व्यक्ति जिन लोगों से घिरा रहता है, उनकी योग्यता का समुचित मूल्यांकन किये बिना उन्हीं की सुनता है। ये लोग आम तौर पर चाटुकार होते हैं। जो बेहद खतरनाक होते हैं। कियूं के चाटुकार आपको सामने से धीरे धीरे ऐसा काटता चलता है की आपको पता ही नहीं चलता पर जिससे धीरे धीरे आपके आत्मा अपनी चेतना खो देता है। कुलीन का शाब्दिक अर्थ होता है अच्छे कुल में उत्पन्न हुआ व्यक्ति। पर व्यापक अर्थ में उस व्यक्ति को कुलीन कहा जायेगा जिसमें श्रेष्ठ गुण हों, अच्छे संस्कार पड़े हों। सुसंस्कृत वह व्यक्ति है जो शिष्ट व्यवहार करे, जो अपने मतभेद को भी रोषपूर्ण शब्दों में व्यक्त न करे और दूसरों के प्रति आदरभाव रखे।

वानस्पतिक लता अपने निकट के पेड़ से लिपटकर ही आगे चढ़ती है। परन्तु हर स्त्रीयों के लिए श्लोक में कही गयी बात सायद सटीक नहीँ हो। स्त्री को विशेषतः तरुणी को प्रमदा कहा गया है। कदाचित् हर स्त्री के लिए प्रमदा संबोधन ठीक नहीं है। इस शब्द का संबंध मद से है। संभव है कि प्रमदा वह स्त्री है जो अपने मदमाते व्यवहार से प्रभाबशाली पुरुषों को अपनी ओर खींच लेती है। तत्पश्चात् उन्हीं का आश्रय लेकर अपना फायदा हासल कर लेती है, और फिर उन्हीं को डूबा देती है।

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