श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में खुदाई के दौरान मिला 5 फुट का शिवलिंग

श्री राम जन्मभूमि व प्रभु श्री राम जी की मंदिर के लिए हिन्दू समाज 450 वर्षों से भी अधिक समय से संघर्ष कर ही रहा था। अधक परिश्रम, संघर्ष, श्रद्धा ठीक वैसा ही जैसा प्रभु श्री राम जी की जीवन में संघर्ष थे, उनको भी आखिर में जीत मिली और हिन्दुओं की आस्था की भी जीत हुई।

अनगिनत तारीख मिले ना जाने किन किन कारणों से, षडयंत्रों से मंदिर निर्माण के कार्य को लटकाए रखा गया, सिर्फ अपनी राजनीतिक लाभ को साधने के लिए। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में खुदाई के दौरान को साक्ष्य मिले है मां भारती के गर्भ से वो सिद्ध करता है कि सत्यता क्या है और कितना कठोर कोशिश की गई है हमारे आस्था को चोट पहुंचाने की। परंतु जब खुदाई हुई और खूब हुई जेसीबी ने काम शुरू किया और धरती मां सबूत देने लगी जैसे मानो वो भी चीख के कह रही हो की हा प्रभु श्री राम जी यही जन्मे थे।

खुदाई में प्राचीन युग की मंदिरों के खंडित प्रतिमाएं, खंभे, शिवलिंग वो भी 5 फुट का , आदि निकालने लगे, जिसके बाद भारतीय पुरात्त्व विभाग ने उसे प्रमाणित भी किया। और के माना कि ये आकृतियां यहां कई सालों से दबी थी।

एक अत्यंत दुखद पहलू हैं जो विचार करने योग्य है और किया भी जाना चाहिए, और ये मेरा सवाल भी है कि इसे बर्दाश्त कैसे किया गया? श्री राम मंदिर का मामला जब तक कोर्ट में रहा उसमे एक पक्षकार राम लला बिराजमान को बनाया गया क्यों? इसका अर्थ तो यही होता है कि कोर्ट ने भी भगवान श्री राम के होने का प्रमाण दे दिया था वो भी सबसे पहले फिर भी कांग्रेस पार्टी ने 2007 में कोर्ट में ये कह दिया कि श्री राम हुए ही नहीं, वो काल्पनिक है, और पूरा समाज, वो संविधान भी कुछ नहीं कर पाया जिसके मूल कॉपी पे यदि कोई प्रथम चित्र है तो वो है “भगवान श्री राम जी” का। ये कैसा कानून था हमारा?

किन कारणों से इतना बड़ा पाप किया गया? यदि श्री राम जी का अस्तित्व ही नहीं था, वो काल्पनिक थे, तो कोर्ट ने उन्हें एक पक्षकार क्यों बनाया था? ये कोई नई घटना नहीं है, हिन्दुओं की आस्था को चोट पहुंचने का काम हमेशा से लेफ्ट व कांग्रेस करती आई है। इतना ही नहीं ये कांग्रेस पार्टी, जिन्होंने गांधी जी के नाम पे अवैध कब्जा किया हुआ है, उनको राम लला के अस्तित्व को नकारने से पहले ये तो सोचना चाहिए ना की यदि राम काल्पनिक है तो गांधी जी का दिखाया हुआ रामराज्य का मार्ग क्या एक ढोंग था? छलावा था? गांधी जी ने तो मरते वक़्त भी राम का ही नाम लिया था, उनका पूरा जीवन प्रभु श्री राम जी के आदर्शो पे रहा। यदि राम काल्पनिक है तो गांधी जी का पूरा जीवन झूठ और ढोंग से ज्यादा कुछ भी नहीं है।

26 मई से श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हुआ, केंद्र सरकार ने उसके लिए 450 करोड़ का फंड भी दिया। पर राक्षश प्रवृति के लोग आज भी श्री राम जी के नाम से भय तो खाते ही है, इसलिए इस समय भी वो अपनी पूरी कोशिश कर रहे है जिससे मंदिर निर्माण का कार्य रुक जाए। आरोप पे आरोप लगाए जा रहे है सरकार पे, कि इस आपदा की परिस्थिति में सरकार को मंदिर के लिए पैसा ना दे कर किसी और काम में लगाना चाहिए। मेरा उनसे यही कहना है कि आप चाहे अपनी इक्षा से कुछ भी सोच लें, वैसे भी सोचने और बोलने की आजादी सबसे ज्यादा आप लोगों को ही है, पर मंदिर निर्माण का कार्य अब पूर्ण होने से पहले नहीं रुकने वाला है।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र पे निर्माण कार्य शुरू हुआ, इसके पीछे अनेकों राम भक्तो की वीरगति को प्राप्त होने की वेदना है, अनेकों सैनानियों की तपस्या व संघर्ष है जो आज फलित हुआ है। इस निर्माण कार्य को शुरू होते ही उनको एक छोटी ही सही पर सची श्रद्धांजलि मिल ही गई है। और जल्द ही कार्य पूर्ण होने पे उन वीर आत्माओं को, कोठारी बंधुओ को, अनेकों भक्तो को जिनको गोली मार दी गई, उनको मुक्ति मिल ही जाएगी।

श्री दिग्विजय नाथ जी महाराज से लेकर श्री अशोक सिंघल जी, आडवाणी जी, स्वर्गीय श्री अटल जी, उमा भारती जी, शेर मुख्यमंत्री श्री कल्याण सिंह जी, प्रमोद महाजन जी, मोदी जी व अन्य ना जाने कितनो ने इसे जन आंदोलन बनाया। और इन आंदोलनों का सही रूप से संचालन किया आरएसएस ने जिसने अपनी पूरी निष्ठा से परिश्रम किया और आज जीत हो ही गई। मै तो इनको सिर्फ श्री राम सेनानी कह सकता हूं।

एक बार आप विचार जरूर करें कि भगवान श्री राम जी का अपमान करने वाले कौन कौन थे और अब उनकी स्थिति कैसी है? उदाहरस्वरूप देख दीजिए देश के सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी का क्या हस्र है अभी? क्या हस्र है समाजवादी पार्टी का, बहुजन समाज पार्टी का? लेफ्ट पार्टियां आज किस स्तिथि में है? विचार कीजिए क्या इन लोगो ने जो पाप किया है भगवान श्री राम जी का अपमान कर के उसे बिना भोगे मुक्ति पा लेंगे ? कभी नहीं।

दूसरी तरफ देखिए जिन्होंने प्रभु श्री राम जी के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया, वीरगति को प्राप्त हो गए, जिन्होंने जन आंदोलन बनाया, जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से व संगठनात्मक रूप से संचालन किया वो आज किस स्तिथि में है व उनकी सुखी जीवन की क्या अनुभूति है? जब जीत सत्य की होती है तब धर्मा की स्थापना करने वाले ही राज चलाते है, और आने वाले 60 वर्षों से अधिक समय के लिए बीजेपी व आरएसएस का प्रचण्ड जन समर्थन बना रहेगा देश में।

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