साधारण ज्ञान (Common Sense) : कोरोना से बचाव का मूलभूत सिद्धांत

Common Sense is the most uncommon thing now a days.

साधारण ज्ञान आप को असाधारण बना देता है !

पहले WHO ने बोला सबको मास्क लगाने की जरूरत नही है फिर बोला मास्क लगाने से कोरोना से बचा जा सकता है! WHO ने बोला 1 मीटर दूरी रखो फिर बोला 2 मीटर दूरी रखो अब बोल रहे है 3 भी काफी नही है! WHO ने बोला हवा से नही एरोसोल से फैलता है अब बोल रहे है हवा में भी 30 मिनट से 3 घण्टे तक ज़िन्दा रह सकता है वायरस!

डॉक्टर और रिसर्च वाले बोलते है न्यूज़ पेपर से फैल सकता है! न्यूज़ पेपर वाले बोलते है न्यूज़ पेपर से नही फैलता है, जबकि कार्डबोर्ड पर, जिसके गुणधर्म पेपर से काफी हद तक मिलते है 24 घण्टे तक वायरस जिंदा रहता है जिसकी न्यूज़ खुद पेपर वाले छाप रहे है! अभी अभी खबर आई है कि 19 साल के पिज़्ज़ा डिलीवरी लड़के से दिल्ली के 72 फैमली को इंफेवशन का खतरा है !!

सरकार, WHO, डॉक्टर, वैज्ञानिकों और विभिन्न राष्ट्रीय संगठनो की अपनी सीमाएं है! ये मानवाधिकारों, अंतर्राष्ट्रीय कानूनों, धर्मनिरपेक्षता, समानता के अधिकार और आर्थिक मजबूरियों के तहत काम करते है और विभिन्न सुझाव, एडवाइजरी जारी करते है!

साधारण ज्ञान हमको दूसरों की ग़लतियों से सिखने के लिए प्रेरित करता है। अग़ल बग़ल में जो ग़लतियाँ होती है उनको दोहराने से बचने के लिए प्रेरित करता है। जो तौर तरीक़े अपना कर दूसरे लोग बचे हुए है बीमारियों से समस्याओं से वो तौर तरीक़े सिखने को कहता है। कुल मिला कर साधारण ज्ञान बोलता है चौकन्ने रहो और दूसरों को देख कर सीखो।

आप का सवास्थ्य और आपके परिवार का स्वास्थ्य आपकीं जिम्मेदारी है। आपके हाँथ में है, अपनी सुरक्षा। अपने परिवार की सुरक्षा। सामान उन्ही लोगो से खरीदे जिन पर आप विश्वास करते हो कि वो स्वस्थ्य है। उसके बाद भी आप सामान को सावधानी से साबुन, disinfectent, sanitizer जो भी उप्लब्ध हो उससे जरूर साफ करें। संक्रमित समूहों से और उन समूहों के साथ रहने वालों को बिना अतिआवश्यक कारण के घर मे घुसाने से बचे। मजबूरी में घर मे घुसाए तो घर के सभी सदस्य उससे उचित दूरी बनाए जा फिर दूसरे कमरे में चले जाएं। काम हो जाने के बाद घर के उन हिस्सों को साबुन से साफ करलें।

नॉएडा के जिम्स की ख़बर कुछ १० दिन पहले एक राष्ट्रीय अख़बार में पढ़ी थी, जिसमें चिकत्सको ने गरम पानी पिलाया था, हल्का फुल्का सात्विक खाना खिलाया था रोगियों को जल्द स्वास्थ्य लाभ के लिए। काफ़ी कारगर था लेकिन काफ़ी न्यूज़ चैनलों ने इस को जनता को दिखाया तक नहीं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अपने लाभ, हानि है। नए इलाज को मान्यता देने के लिए इनको समय चाहिए और साथ में दवा निर्मताओ का समर्थन भी।

मैंने बचपन में बारहवी कक्षा तक सिर्फ़ आयुर्वेदिक दवाइयाँ खायी थी। टाइफ़ॉड, पीलिया, बुखार, खाँसी ज़ुकाम मलेरिया सब कुछ आयुर्वेदिक दवाइयों से ठीक हुआ था। हर बीमारी में उबला पानी अनिवार्य होता था। गरिष्ठ खाना बंद, दाल का पानी, पतली बिना घी की रोटी, पपीता, लौकी हरी सब्ज़ियाँ जो की ज़्यादातर उबली हुयी होती थी या एकदम कम तेल से छुकी होती थी। चौकड़ी मोदी खाना, जयपुर में आज फूलचंद जी वैध्य और सुशील जी वैध्य घर घर में जाना पहचाना नाम है। आज भी बहुत से बुज़ुर्ग मिलेंगे जो सिर्फ़ इनकी आयुर्वेदिक दवा ही खाते है और हर तरीक़े की बीमारी का इलाज करवा लेते है।

योग ध्यान की अनेक विधियाँ प्रचलित है जिससे आप अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यूनिटी) को मज़बूत कर सकते है। चीन में अब जो नए केस आ रहे है उनमें से काफ़ी मरीज़ों में कोरोना के कोई लक्षण नहीं है बस वाइरस उनके शरीर में है। कोरोना अलग है लाइलाज है। लेकिन भारत की अति प्राचीन इतिहास में बहुत कुछ है जिसकी मदद से इससे बचा जा सकता है, जिसकी मदद से इसका इलाज करने में अपरोक्ष रूप से मदद मिले। ज़रूरत है, अपने ऊपर आत्मविश्वास रख कर सोचने और समझने की। थोड़ा सा कॉमन सेंस (साधारण ज्ञान) बचने का और अपनी इम्यूनिटी को मज़बूत करने का।

Shailendra Kumar: Technical Architect by Job. Nationalist and rationalist writer on the topics related to common man and India.
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