रवीश जेल क्यूँ जाना चाहते हैं?

ऑन एन एवरेज रवीश या एनडीटीवी हर दिन एक से दो फ़ेक न्यूज फैलाते हैं. रवीश या एनडीटीवी का सम्बन्ध कुछ इंदिरा और इण्डिया जैसा हो गया है, खास कर कश्मीर से 370 हटने के बाद. क्योंकि प्रणय रॉय अब चुनाव का ओपिनियन या एग्जिट पोल करते नहीं, इन दोनों को छोड़ कर भक्त किसी और को उतना प्यार भी नहीं करते. हालांकि आईटी सेल ने भक्त के काम को आसान जरुर बना दिया है उन्हें रवीश का पंचिंग पॉइंट देखने के लिए अब रवीश का पूरा शो नहीं देखना पड़ता.

पर पिछले दिनों अनुपम के एक विश्लेषण को देख कर लगा कि एनडीटीवी में भी रवीश की अब वो इज्जत नहीं रही. पर अनुपम ने उस विश्लेषण में बच्चों वाली कर दी थी. अनुपम ने कहा कि रवीश को एनडीटीवी हाशिये पर धकेल रहा है. पर आज सुबह मोर्निंग वाक पर औनिन्द्यो चक्रवर्ती से बात हुई तो उन्होंने पहले अपना ही दुखरा सुनाया.

दुखरा सुनाते हुए औनिन्द्यो चक्रवर्ती ने एनडीटीवी के दर्शकों को ही बड़ा-भला कहा. उन्होंने बताया कि रवीश का प्राइम टाइम के दर्शक एकदम मूर्ख होते हैं. वो प्राइमटाइम पहले टीवी पर देखते हैं. फिर यूट्यूब पर इसके बावजूद, जब भी किसी भक्त से भिडंत होती है तो हर बार उन्हें धोबिया पछाड़ का सामना करना पड़ता है.

औनिन्द्यो चक्रवर्ती ने कहा कि दर्शकों के इसी शिकायत के बाद उन्होंने ‘सिंपल समाचार’ शुरू किया था. इसके बाद दर्शकों ने कहना शुरू किया कि सिंपल समाचार में प्राइम टाइम वाली बात नहीं है. फिर दर्शक कम होते गये और एक दिन प्रणय रॉय ने उन्हें ‘लगभग’ गाली देते हुए चैनल से निकाल दिया.

अनुपम के रिपोर्ट को ख़ारिज करते हुए उन्होंने बताया कि दरअसल पूरे चैनल में रवीश के छोड़ कर कोई दर्शकों को आकर्षित नहीं कर पाता.

मैंने निधि राजदान का नाम लिया. चक्रवर्ती ने कहा कि निधि में अब पहले वाली बात नहीं रही.

वेबसाइट पर आने वाले लोग सीधे रवीश को पढ़ के निकल जाते थे. इसलिए रवीश का ब्लॉग कोने में रखा गया ताकि लोग वेबसाइट पर जाने के बाद कम-से-कम स्क्रॉल कर के नीचे तो जायेंगें.

फिर मैंने फेक न्यूज पर सवाल पूछा. इस पर औनिन्द्यो चक्रवर्ती ने लगभग गुस्से कहा कि जब आल्ट न्यूज वाला टकला फेक न्यूज फैला सकता है तो एनडीटीवी का तो हक़ बनता है.

मैंने कहा वो सब तो ठीक है पर रोज का उठौना क्यूँ लगवाए रहते हैं फेक न्यूज का?

इस बात चक्रवर्ती विस्तार से बताया कि कैसे एक अजीत नाम के लफंगे के आने के बाद से भक्तों ने भी एनडीटीवी देखना कम कर दिया है. क्योंकि रवीश जहाँ अपने प्राइम टाइम के बीच में हैं-हैं-हैं और खोंकी करते हुए एक घंटा काटता है वहीँ वो लफंगा 30-40 मिनट में रवीश के प्राइमटाइम और फेसबुक पोस्ट क्या बोला-क्या लिखा गया ये बताते हुए उसका जवाब भी दे देता है.

औनिन्द्यो चक्रवर्ती ने बताया कि प्राइम टाइम तो वो पहले भी नहीं देखता था क्योंकि अर्नब का रिपब्लिक देखने से फुर्सत ही नहीं मिलता था. पर अब अजीत भारती वाला वीडियो जरुर देखता है. इस तरह प्राइमटाइम का दर्शक भी एकदम कम हो गया है. बीच में जब रवीश को मग्सेसे मिला था तो ठीक-ठाक व्यूअरशिप मिल जाता था.

चक्रवर्ती ने आगे बताया कि अब जब दर्शक कम हो गये हैं और जो उनके कोर दर्शक हैं वो दंगे करने में भिड़े हैं तो प्रणयरॉय रवीश के साथ गाली-गलौज तो कभी-कभी चैनल से निकालने की धमकी देता है. इसलिए रवीश का आत्मविश्वास डावांडोल हो गया. हाल ही में टेलीप्रोमोटर पर लिखा ‘शाहरुख़’ था पर वो पढ़ अनुराग रहा था.

चक्रवर्ती ने आगे खुलासा किया कि इस तरह फेक न्यूज फैला कर रवीश एक तीर से दो-तीन निशाना लगा रहे हैं. वो इतना फेकन्यूज फैलाना चाहते हैं कि मजबूरन सरकार को एनडीटीवी बंद करना पड़े या रवीश को जेल भेजना पड़े. जेल जाने के बाद रवीश एक बार फिर लाइमलाइट में आयेंगें. पूरे दुनियां में चर्चा होगा कि मेगसेसे अवार्डी को जेल भेजा गया. इतनी सी कहानी है कि रवीश अवसाद में जी रहे हैं. आजकल तो उनका बलात्कार का आरोपी भाई भी उन्हें कुछ-कुछ सलाह दे देता है.

एक दिन ब्रजेश पांडे (रवीश का भाई) कह गया कि अजीत भारती से कुछ सीखो. इसपर रवीश एकदम बमक गये. कहने लगे कपिल सिब्बल से कहके हमने तुम्हें बलात्कार के आरोप में जेल जाने से बचाया और तुम हमको सिखाओगे.

चलते हुए मैंने चक्रवर्ती से पूछा कि क्या लगता है, रवीश इससे उबर पायेंगें कभी? रवीश ने हंसते हुए कहा कि जब विभीषण राम से मिल जाए तो रावण आखिर कब तक बचेगा?

”क्या चक्रवर्ती दादा, क्या आप राम-रावण विभीषण करते चले जा रहे? इसलिए आपका सिंपल समाचार फ्लॉप हो गया” मैंने कहा.

चक्रवर्ती ने इस पर गुस्सा नहीं किया. कहा कि अनुपम और रवीश दोनों बिहार के एक ही जिला से हैं और अनुपम जाके अजीत से मिल गया है. तो हुआ ना राम-रावण-विभीषण..!!

मैंने कहा कि सब कुछ तो ठीक है लेकिन चम्पारण को आप लंका बना दिए ये ठीक नहीं है काहे से कि चम्पारण में भी लोग रावण रूपी रवीश को कोई पसंद नहीं करता.

बात को गुप्त रखने की शर्त पर चक्रवर्ती ने बताया कि वो ओसामा बिन लादेन वाला पेपरवेट पर रवीश और विष्णु सोम दोनों झूठ बोल रहे हैं. दरअसल विष्णुसोम जहाँ बैठता है वहां पहले निधि सेठी बैठती थी. वो पेपरवेट निधि सेठी का ही है. एनडीटीवी से निकालने पर वो पेपरवेट लाना भूल गयी.

मैंने पूछा कि अब ये निधि सेठी कौन है और एनडी टीवी से उसे निकाला क्यूँ गया? चक्रवर्ती ने इस पर मेरी चुटकी ले ली. कहा तुम राष्ट्रवादियों कि यही कमजोरी है कि तुमलोग भूलते बहुत हो.

चक्रवर्ती ने बताया कि निधि सेठी वही है जिसने पुलवामा हमले पर ‘हाउ इज द जैस’ लिखते हुए ख़ुशी मनाई थी. जिसके बाद उसे एनडीटीवी से निकाला गया था. ये सब बस दिखाने के लिए किया गया था, क्योंकि खुद रवीश और प्रनॉय रॉय ऐसे किसी मौके पर प्योर हलाल खस्सी मंगवाते हैं.

राष्ट्रवादियों के भूलने की बात मुझे भी चुभ गयी थी. इसलिए मैंने भी पूछ लिया नसीर याद है आपको?

”हाँ क्यूँ नहीं, नसीरउद्दीन शाह हमारे ही कल्ब के मेम्बर हैं” चक्रवर्ती ने बिना समय गंवाएं हुए कहा, ”क्यूँ  उन्हें क्या हुआ?”

”नसीरउद्दीन शाह नहीं सर नसीर अहमद याद है आपको?” मैंने फिर पूछा.

”नाम से सुना सुना लगता है, सर्जील का साथी है क्या?” चक्रवर्ती ने अंदाजा लगाते हुए कहा.

”कम से कम सर्जिल के साथ उसका नाम मत जोड़ो सर. नसीर अहमद पुलवामा हमले में शहीद होने वाला सीआरपीएफ का जवान था”.

Rohit Kumar: Just next to me is Rohit. I'm obsessed of myself. A sociology graduate, keen in economics and fusion of politics.
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