रविश कुमार- 19 साल की लड़की ने पाकिस्तान जिंदाबाद क्या कहा कि मंच पर घबराहट मच गई

बेंगलुरु में 19 साल की लड़की ने पाकिस्तान जिंदाबाद क्या कहा कि मंच पर घबराहट मच गई

वर्तमान में CAA, NRC तथा राजनीतिक विचारधाराओं पर खींचतान व मतभेद के साथ भारतीय मीडिया भी दो धड़ो में बट गई है। एक धडा वो जो सरकार के दिए बयानों गए तथ्यों के साथ जनता को ये बता रहा है कि इन सभी कानूनों से भारत के किसी वैध नागरिक को कोई खतरा नहीं है। जबकि दूसरा धडाअपने चैनल के प्रसारणो के माध्यम से जनता को यह यकीन दिलाना चाहता है कि सरकार कि बातों पर विश्वास मत कीजिए यह आपके खिलाफ एक षड्यंत्र है, और यह सरकार यहां के गरीबों और के अल्पसंख्यकों के खिलाफ है व उन्हें “स्टेटलेस” बनाना चाहती है।

इन्हीं चैनेलो में से एक है NDTV जो BJP, मोदी विरोध मे अक्सर सही और गलत का अंतर भी भूल जाती है।

बात आमूल्या लियोना कि है वह लड़की जिसने बंगलौर मे AIMIM द्वारा प्रायोजित जनसभा मे कई बार “पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे लगाए इसी घटना को शुक्रवार 21 फरवरी को रवीश कुमार ने प्राइम टाइम पर कवर किया जिसमे पाकिस्तान जिंदाबाद कहने वाली उस लड़की की निंदा करने की बजाय रवीश कुमार ने कहा कि-

बेंगलुरु में 19 साल की लड़की ने पाकिस्तान जिंदाबाद क्या कहा कि मंच पर घबराहट मच गई ऐसा लगा कि जैसे धरती फट जाएगी, अमूल्य लियोना नरोना को कोई खींचने लगा तो कोई माइक छीनने लगा”।

रविश ने इस घटना को कुछ इस प्रकार कवर किया कि जैसे एक 19 वर्षीय लड़की को मीडिया, प्रशासन और एक खास विचारधारा वाले लोगो के द्वारा विक्टिम बनाया जा रहा हो। उन्होंने अपने कवरेज मे उस लड़की के दोष को पहचाने तक से इंकार कर दिया और उस लड़की को निर्दोष साबित करने के लिए भावनाओ वाला एंगल डाल दिया तथा इस के लिए भी अंततः उन्होंने मीडिया और प्रशासन को जिम्मेवार ठहरा दिया।

इसके बाद भी अगर उनका बस चलता तो वे आमूल्या लियोना के नाम के आगे डॉक्टर लगा देते और कहते “डॉक्टर अमूल्य लियोना” को गिरफ्तार कर लिया गया। क्या इस देश के विकास में उनका कोई योगदान नहीं रहा होगा? हमारा देश तो वासुदेव कुटुंबकम में विश्वास रखने वाला देश है। क्या यह बातें सिर्फ कहने के लिए रहा गयी है? और क्या हो गया अगर उन्होंने तीन बार पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगा दिया। उसके बाद उन्होंने छह बार हिंदुस्तान जिंदाबाद का नारा भी तो लगाया”।

बता दें कि रवीश कुमार का लगभग प्रत्येक प्राइम टाइम “It suites my agenda” वाले मॉडल पर आधारित होता है जिसमें वे उन सभी खबरों को प्राथमिकता देते हैं व बार बार करते है जो उनके राजनीतिक महत्वाकांक्षा को सूट करती है
जबकि हर उन अन्य खबरों पर वाइट वाश करते है जो उनके Selected narrative के अनुकूल नहीं होती है।

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