कुछ सवाल सरकार से भी कीजिये

देशद्रोही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अपनी थाईलैंड की लम्बी यात्रा से जैसे ही भारत वापस पहुंचे, एयरपोर्ट से निकलते ही उन्हें “सबकी खबर” टीवी चैनल के चीफ रिपोर्टर ने अपने कैमरामेन के साथ पकड़ लिया और अपने सवालों की पोटली में से निकालकर पहला सवाल दाग दिया.

रिपोर्टर: सर आपकी थाईलैंड यात्रा कैसी रही?

नेताजी: अरे भाई, थाईलैंड में तो लोग मौज़-मस्ती के लिए ही जाते हैं सो अपनी यात्रा भी मौज़-मस्ती भरी रही

रिपोर्टर: नहीं सर, मेरे पूछने का मतलब यह था कि नागरिकता कानून में संशोधन के बाद से जिस तरह देशभ28क्त पार्टी के खिलाफ आपने हिंसक प्रदर्शन करके अपनी आवाज़ उठाई थी, उसे देखकर लग रहा था कि यह लड़ाई लम्बी चलेगी, लेकिन आप सब कुछ बीच में छोड़कर चुप चाप थाईलैंड की यात्रा पर निकल गए

नेताजी: आप जैसे “वरिष्ठ पत्रकार” से ऐसे बचकाना सवाल की हमें कतई उम्मीद नहीं थी. देखिये हम लोग नेतागिरी कर रहे हैं और हमारा विपक्षी नेता होने का मतलब यही है कि हम सरकार के हर अच्छे काम का जमकर विरोध करें. विरोध की आग हमने पूरे देश में फैला दी और जब देखा कि सभी उपद्रव मचाने वाले लोग अपने-अपने काम को बखूबी अंजाम दे रहे हैं तो हम दबे पाँव अपनी मौज़ मस्ती के लिए विदेश निकल लिए. इसमें भला गलत क्या किया हमने?

रिपोर्टर: आपने गलत किया या नहीं किया, उसे देश की जनता अगले चुनावों में बता देगी लेकिन जिन लोगों को आप उपद्रव मचाने के लिए छोड़ गए थे, उन्होंने अरबों-खरबों की सरकारी संपत्ति को तोड़ फोड़ और आगजनी के हवाले कर दिया-इसे क्या आप सही मानते हैं?

नेताजी: देखिये यह सवाल आप सरकार से पूछिए. विपक्षी दलों का तो काम ही यह है कि सरकार को उसका काम न करने दे और सरकार अगर जनता के हित में या फिर देश हित में किसी काम को अंजाम देने की कोशिश करे तो हम उसका अपनी पूरी ताकत के साथ विरोध करेंगे.

रिपोर्टर: लेकिन आपकी इस नीति से तो जनता आपके खिलाफ जाकर आपको अगले चुनावों में सबक सिखा सकती है

नेताजी: आप पत्रकारिता ही करिये. राजनीति की आपको बिलकुल भी समझ नहीं है. राजनीति हम पर ही छोड़ दीजिये. अपनी इन्ही नीतियों पर चलते हुए हमने कई राज्यों में देशभक्त पार्टी को सत्ता से बाहर करके अपनी सरकारें बनाई हैं और जनता के अपार समर्थन से ही सरकारें बनाई हैं. जनता को ठीक चुनावों से पहले कैसे बरगलाया जाता है, उसका हमारी पार्टी को लम्बा अनुभव है. हम लोग राजनीति को एक धंधा समझते हैं और येन केन प्रकारेण, सत्ता हथियाना ही हमारा प्रमुख उद्देश्य रहता है.

रिपोर्टर: लेकिन आपके इस सत्ता हथियाने के फॉर्मूले से तो देश का काफी नुकसान हो रहा है

नेताजी: हमें देश के नुकसान से नहीं, अपने नफा-नुकसान से मतलब है. देश तो जैसे हमने लगभग ६० सालों तक चलाया था, अगर दुबारा मौका मिला तो उसी तरह आगे भी चला देंगे.

रिपोर्टर: लेकिन आपकी सरकार के समय तो इकॉनमी का बैंड बज गया था -आपने सरकारी बैंकों के ख़ज़ाने अपने चाहने वालों के लिए बिना किसी रोक टोक के खोल दिए थे , जिनमे से काफी लोग देश छोड़कर भाग खड़े हुए हैं

नेताजी: जिस समय यह लोग देश छोड़कर भागे हैं, उस समय हमारी सरकार नहीं, देशभक्त पार्टी की सरकार थी, लिहाज़ा यह सवाल आप सरकार से करिये. हमारी सरकार तो सभी लोगों को मनचाहा लोन देती थी ताकि कोई भी देश छोड़कर न जाए. जब किसी व्यापारी को बिना किसी सिक्योरिटी रखे मनचाहे लोन का मज़ा मिलता रहेगा तो वह देश छोड़कर क्यों भागेगा. अगर यह सरकार इतनी सिंपल बात को भी नहीं समझ सकती तो इसे सत्ता में बने रहने का क्या अधिकार है?

रिपोर्टर: आपके कहने का मतलब यह है कि मौजूदा सरकार को भी बिना सिक्योरिटी लिए लोन बांटने शुरू कर देने चाहिए?

नेताजी को जब लगा की वह अपने जी बिछाये जाल में पूरी तरह फंस गए हैं तो एकदम झल्लाकर बोले: “देखिये पत्रकार महोदय, बहुत हो गया, हमारे पास और भी बहुत काम हैं. कुछ सवालों को सरकार में बैठे नेताओं के लिए भी बचा कर रखिये.”

यह कहते ही नेताजी एक चमचमाती हुई कार में बैठकर रवाना हो गए.

(इस लेख में जिन पात्रों एवं घटनाओं का उल्लेख किया गया है, वे सभी काल्पनिक हैं और उनका किसी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं है)

RAJEEV GUPTA: Chartered Accountant,Blogger,Writer and Political Analyst. Author of the Book- इस दशक के नेता : नरेंद्र मोदी.
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