देशभर में हिंसक विरोधप्रदर्शन और सेक्युलरों का मौन

पिछले कई दिनों से देश में सीएए (सिटिज़नशिप अमेंडमेंट एक्ट) और एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स) के विरुद्ध प्रदर्शन हो रहा है। पहले देश के पूर्वोत्तर भाग में हुआ, वहाँ से दिल्ही और अब गुजरात और देश के बाकी कई हिस्सों में भी फ़ैल गया है।

और विरोध किस तरह? बसें जलाकर, पुलिस के ऊपर पथ्थरबाजी कर, निर्दोष नागरिकों को हानि पहुँचाकर। पिछले हप्ते दिल्ही की जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के छात्र सिटिज़नशिप अमेंडमेंट एक्ट के विरुद्ध में रस्ते पर उत्तर आए, और पुलिस पथ्थर फेंके, बसों को जलाया गया, वाहनों को नुकसान पहुँचाया गया। और भी कई जगहों पर इस एक्ट के विरुद्ध हिंसक प्रदर्शन किए गए।

ये विरोध करने वाले ज्यादातर मुस्लिम है उस बात में कोई शंका नहीं है। कुछ पार्टियाँ और संगठन मुस्लिमो में ऐसी भ्रमणा फैला रहे है की यह एक्ट मुस्लिमो के खिलाफ है, और सरकार मुस्लिमो को देश के बाहर करना चाहती है। और उसके बहकावे में आकर कुछ युवा छात्र बाहर आकर विरोध में हिंसक प्रदर्शन कर रहे है। जबकि विरोध करने वाले में से नब्बे प्रतिशत लोगो को यह मालूम नहीं होगा की यह एक्ट क्या है और उसमे क्या प्रावधान है? और विरोध क्यों हो रहा है?

बिल जब से संसद में पेश हुआ तब से सरकार और अन्य माध्यमों द्वारा समझाया जा रहा है की बिल मुस्लिम विरोधी नहीं है। और उससे भारत में रहने वाले मुस्लिमो को कोई नुकसान होने वाला नहीं है। यह बिल सिर्फ तीन पडोशी इस्लामिक देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में रहनेवाले और वहाँ प्रताड़ित हुए अल्पसंख्यक समुदाय, जो भारत में शरणार्थी बनकर रह रहे है उनको नागरिकता देने के लिए है।

कुछ लोगों का कहना है की बिल में मुस्लिमों का उल्लेख नहीं। लेकिन जाहिर सी बात है की मुस्लिम इन तीनो राष्ट्र में बहुसंख्यक है। तो उनको वहाँ कोई प्रताड़ना नहीं हो रही है। जब की हिंदू,सिख,ईसाई,पारसी और जैन धर्म के लोग वहाँ अल्पसंख्यक है, और यह एक्ट उनको नागरिकता प्रदान करने के लिए लाया गया है।

फिर भी सरकार के खिलाफ, मोदी के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए प्रदर्शन हो रहा है। न सिर्फ यह एक्ट के लिए, बल्कि आर्टिकल ३७०, राम मंदिर जैसी सरकार की सफलताओं के खिलाफ एक साथ गुस्सा बाहर आ रहा है। उसमे देश के कुछ पत्रकार, स्यूडो सेक्युलर, वामपंथी प्रदर्शनकारीओं को यह कार्य में सहकार दे रहे है। कुछ कांग्रेस और ‘आप’ जैसे राजकीय पक्ष अपने निजी लाभ के लिए उनका समर्थन कर रही है। क्योंकि उनको अपनी वोटबेंक की चिंता है। कुछ बॉलीवुड एक्टर्स भी विरोधियों के समर्थन में आए है, लेकिन उनको ध्यान पर न ले वही अच्छा है। वह लोग पैसो के लिए किसी भी हद तक जा सकते है।

लेकिन कुछ दंभी धर्मनिरपेक्ष और हिंदूद्वेषी के मुँह सील गए है। इतना हिंसक प्रदर्शन हो रहा है फिर भी सेक्युलर प्रजाति कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। आप इंटरनेट पे वाइरल हो रहे सब फ़ोटोग्राफ़्स देखेंगे तो उसमे दिखाई दे रहा है की किस तरह सरकारी सम्पति को नुकसान किया जा रहा है ,किस तरह पुलिस के ऊपर पथ्थरबाजी हो रही है, किस तरह बस और ट्रेन जलाई जा रही है। लेकिन यहाँ उनका सेक्यूलरिज़म बीच में आ जाता है। अगर प्रदर्शनकारी मुस्लिम है तो कुछ मत बोलो। ऊपर से उनको समर्थन करो।

कल से टाइम्स ऑफ़ इण्डिया के सौजन्य से एक फोटोग्राफ इंटरनेट पर तेजी से वाइरल हो रहा है। जिसमें एक पुलिसकर्मी रास्ते पर पड़ा है, और एक मुस्लिम युवक उस पर पथ्थर फेंकता दिख रहा है। एक क्षण के लिए सोचिए अगर वह युवक हिंदू होता तो ? तो यह सारे सेक्युलर बाहर आकर उत्पात मचाते की हिंदू आतंकी पुलिस पर पथ्थर फेंक रहा है। लेकिन जब की यह हिंदू नहीं है तो अभी तक कोई भी वामपंथी, सेक्युलर पत्रकार इस पर कुछ नहीं बोल रहा। और ऊपर से ऐसे फोटो शेअर कर रहें है जिसमें पुलिस छात्र या प्रदर्शनकारीओ पर लाठीचार्ज कर रही हो। लेकिन यह नहीं बताएंगे की ऐसा क्यों करना पड रहा है ? अगर देश की शांति को हानि पहुँचाने की कोशिश करें तो पुलिस लॉ एन्ड ऑर्डर को काबू में लाने के लिए एक्शन ले वह स्वाभाविक है। और जरूरी भी।

और सेक्युलर, हिंदू विरोधीयों का यह सदियों से चलता आ रहा है। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर यही विरोधी हिंदू धर्म और संस्कृति को अपने पैरों तले कुचलते आए है। बलात्कार की घटना हो उसमे अगर आरोपी हिन्दू और पीड़िता मुस्लिम हो तो पूरा धर्म बदनाम कर दिया जाता है। लेकिन अगर आरोपी मुस्लिम हो तो सेक्युलरिज़म आ जाता है। तब कोई कुछ नहीं बोलता। हैदराबाद रेप केस में एक आरोपी मुस्लिम होने की वजह से सब शांत थे। लेकिन जब पिछले साल उन्नाव और कठुआ में आरोपी हिंदू थे तो इन्हीं सेक्युलर लोगों ने पुरे धर्म को बलात्कारी घोषित कर दिया था। उनको हिंदू होने पर शर्म आ रही थी।

फिल्म पद्मावत का राजपूत समाज और करणी सेना ने विरोध किया था। उसमे कुछ हिंसक प्रदर्शन भी किए थे। गुरुग्राम में एक स्कूलबस के ऊपर पथ्थर फेंका गया था। और देश के अन्य कुछ हिस्सों में हिंसक आंदोलन हुए थे। तब यही लोगोंने राजपूत को गुंडे कह दिए थे। उनको तब सरकारी सम्पति की फ़िक्र थी। बेशक़, करनी सेना ने जो किया था वह गलत था। कोई भी ऐसे सरकारी सम्पति को या नागरिको को नुकसान नहीं पहुंचा सकता।

लेकिन अब उससे कई ज्यादा हद तक हो रहा है, अहमदाबाद और कई जगहों पर पुलिस पर पथ्थरबाजी हुई। हिंसक आंदोलन हुए लेकिन तब उनमे से कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। और ऊपर से प्रदर्शनकारीओं समर्थन कर रहे है।

बात हिंदू-मुस्लिम वैमनस्य की नहीं है। लेकिन यह सत्य हकीकत है की धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हमेशा हिंदू धर्म को बदनाम किया जाता है। यह देश अगर सच में धर्मनिरपेक्ष होता और सब धर्मो को सामान गिना जाता तो हिंदू धर्म के प्रति यह मिडिया और सेक्युलर इतने बायस्ड न होते। देश सेक्युलर है, क्योंकि यहाँ हिंदू बहुसंख्यक है। भारत के हिंदू चाहते तो पाकिस्तान के मुस्लिमों की तरह देश आज़ाद होने के बाद हिंदू राष्ट्र बना सकते थे। पुरे विश्व में सिर्फ एक मात्र हिंदू बहुसंख्यक देश होने के बावजूद भी यहाँ हिंदू, अल्पसंख्यक को साथ लेकर चलने की भावना रखते है। सोचिए अगर मुस्लिम बहुसंख्यक होते तो यह देश धर्मनिरपेक्ष होता ? विश्व में ५१ मुस्लिम बहुसंख्यक राष्ट्र है और सब इस्लामिक नेशन है। फिर भी उसका गलत फायदा उठाकर हमेशा नुकसान हिंदू धर्म को ही हुआ है।

और फिर कहा जाता है की हिंदू आक्रोशित हो रहा है। वास्तव में आक्रोशित नहीं बल्कि जाग्रत हो रहा है। और उसमे सबसे बड़ा योगदान २०१४ के बाद की भाजपा सरकार और मोदी-शाह का है। स्यूडो सेक्युलर, लिबरल और लेफ्टिस्ट अब लोगों के सामने बेनक़ाब हो रहे है। हिन्दू विरोधी और कुछ जयचंदो को अब देश के लोग पहचान गए है। और अगर ऐसे ही चलता रहा तो भविष्य में घातक परिणाम भुगतने पड़ेंगे। क्योंकि हिंदू जगत की सबसे सहिष्णु प्रजाति है लेकिन जब जब उसकी परीक्षा हुई है तब बात दूर तलक गई है।

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