आर्थिक मन्दी से देश नहीं, देश का विपक्ष जूझ रहा है

राहुल गाँधी पिछले 5 सालों में 16 घोषित और अघोषित विदेश यात्राएं कर चुके हैं. गौरतलब बात यह है कि इसी 5 साल की अवधि में उन्होंने अमेठी के भी इतने चक्कर नहीं लगाए जितनी बार उन्हें विदेश भागना पड़ा है. जिस तरह की आर्थिक मन्दी की बात कांग्रेस समेत देश का पूरा विपक्ष कर रहा है, उसके चलते राहुल गाँधी बार-बार विदेश का रुख क्यों कर रहे हैं, इसका अंदाज़ा लगाना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है. किसी भी व्यक्ति के जब आमदनी के सभी साधन यकायक बंद हो जाते हैं तो वह हताश होकर बैंकों में जमा अपनी जमा पूँजी को निकालने के लिए बैंकों की तरफ ही भागता है.

दरअसल पिछले 6 सालों से जब से केंद्र और ज्यादातर राज्यों में भाजपा की सरकारें आयी हैं, कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्षी दलों के नियमित आय के सभी साधनों पर रोक लग गयी है -पिछले 60 सालों में मचाई गयी लूट के पैसे से इन लोगों की रोजी रोटी तो चल पा रही है लेकिन देश की जनता को लूटकर जिस तरह की जबरदस्त अय्याशी इन्होने पिछले 60 सालों में की थी, उसके अभाव में इन्हे जबरदस्त “आर्थिक मन्दी” का सामना करना पड़ रहा है. इन लोगों का यह कहना कि देश में इस समय आर्थिक मन्दी है, उस हद तक सही भी है क्योंकि इन विपक्षी पार्टियों के ज्यादातर नेता,कार्यकर्त्ता और समर्थक जबरदस्त आर्थिक मन्दी की चपेट में आये हुए हैं.

नोट बंदी से जिस तरह से काले धन और नकली नोटों का कारोबार ठप्प हुआ था उसकी सर्वाधिक चोट भी विपक्षी पार्टियों और उनके समर्थकों को ही लगी थी.इसके बाद जब सरकार ने विपक्ष के तमाम विरोध के बाबजूद पूरे देश में जी एस टी लागू कर दिया तो इन लोगों के दो नंबर के कारोबार पर भी करारी चोट लगी है. नोटबंदी और जी एस टी का धक्का शायद यह विपक्षी पार्टियां झेल भी जातीं लेकिन पिछले 60 सालों में मचाई गयी लूट के सिलसिले में जब इनके तथाकथित दिग्गज नेताओं को जेल में चक्की पीसनी पड़ गयी तो यह लोग उस सदमे को झेल नहीं पाए और अपनी दुष्प्रचार की आदत के चलते “आर्थिक मन्दी” का राग अलापने लगे.

हालांकि इस बात में कोई दो राय नहीं है कि देश की सभी विपक्षी पार्टियों, उनके नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों को भ्रष्टाचार पर लगी लगाम के चलते जबरदस्त आर्थिक मन्दी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन देश में आर्थिक मन्दी जैसी कोई चीज़ नहीं है. फ्लिपकार्ट और अमेज़ॉन पर कुछ ही दिनों में हुई “सेल” में अरबों खरबों के लक्जरी सामान का बिकना और धनतेरस वाले दिन सिर्फ दिल्ली एन सी आर में कई हज़ार करोड़ की सोना-चाँदी की खरीदारी ने विपक्षी दलों की काल्पनिक “आर्थिक मन्दी” का पूरी तरह भंडाफोड़ कर दिया है. विपक्ष कह रहा है कि लोग “पार्ले-जी” के बिस्कुट नहीं खा रहे हैं लेकिन “पार्ले-जी” बनाने वाली कंपनी का मुनाफा कई गुना कैसे बढ़ रहा है, इसके बारे में विपक्ष ने चुप्पी साधी हुई है.

विपक्ष कह रहा है कि आर्थिक मन्दी के चलते कारें कम बिक रही हैं लेकिन यह नहीं बता रहा है कि सड़कों पर चलने वाली आधे से ज्यादा कारें इस समय ओला और ऊबर की होती हैं और लोगों ने अपनी सुविधा के चलते गाड़ियों का खरीदना कम कर दिया है. विपक्ष यह भी नहीं बता रहा है कि सरकार का टारगेट अगले दो-तीन सालों में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लाने का है और कोई भी समझदार व्यक्ति जो अपनी पुरानी गाड़ी बदलना चाहता होगा या नयी गाड़ी लेने चाहता होगा वह पेट्रोल या डीज़ल की गाड़ी लेकर फंसने की जगह इलेक्टिक कार के आने का ही इंतज़ार करेगा. जब तक लोग अनपढ़ थे और सोशल मीडिया की पकड़ नहीं थी, विपक्षी दल इस तरह का दुष्प्रचार और फेक न्यूज़ फैलाकर सत्ता हथियाते रहते थे लेकिन अब यह सब बंद हो गया है. विपक्ष मोदी, भाजपा या संघ से बिलकुल भी परेशान नहीं है-उसकी असली परेशानी देश की जनता की बढ़ती हुई जागरूकता है और जितनी जागरूकता देश के लोगों में बढ़ती जाएगी, विपक्षी दलों,उनके नेताओं ,कार्यकर्ताओं और समर्थकों की “आर्थिक मन्दी” उसी अनुपात में बढ़ती चली जाएगी.

RAJEEV GUPTA: Chartered Accountant,Blogger,Writer and Political Analyst. Author of the Book- इस दशक के नेता : नरेंद्र मोदी.
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