कैनेडा में खालिस्तानी समर्थक पार्टियों के वोट गिरे, जगमीत सिंह की पार्टी को 45% सीटों का नुकसान

कैनेडा के आम चुनाव के नतीजों में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। खासकर खालिस्तानी समर्थक दोनों पार्टियों को भारत के खिलाफ हार्डलाइन एजेंडे का खामियाजा भी भुगतना पड़ा है। भारत में आतंकी साजिशों में शामिल रहने वाले खालिस्तानी समर्थकों को वहां की दो प्रमुख राजनीतिक पार्टियों का समर्थन प्राप्त था। जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी और कैनेडा की चौथे नंबर की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी शामिल है। भारत विरोधी कट्टरपंथियों को समर्थन देने वाले जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी को लगभग 45 प्रतिशत सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। जबकि ट्रूडो की पार्टी को 27 सीटों का नुकसान हुआ है और बहुमत से 13 सीट दूर रह गई। वोट प्रतिशत के मामले में ट्रूडो की पार्टी दूसरे नंबर पर रही।

जस्टिन ट्रूडो जीत तो गए हैं लेकिन अगले चार साल आसान नहीं होंगे। उन्हें विपक्षी पार्टियों के साथ सांठ गांठ के साथ विधेयक पास करवाने होंगे।

सबसे ज्यादा वोट कैनेडा के मुख्य विपक्षी दल कंजर्वेटिव पार्टी को पड़े। मगर वह उन्हें सीटों में बदलने में नाकाम रहे। कंजर्वेटिव पार्टी को 2015 में 99 सीटें मिली थीं जबकि इस चुनाव में उन्हें 121 सीटें मिली हैं। पार्टी का चुनाव में वोट प्रतिशत भी 34.4 प्रतिशत रहा जो कि ट्रूडो की लिबरल पार्टी के 33.06 प्रतिशत के मुकाबले ज्यादा रहा।

एंड्रियू शीर, कंजर्वेटिव पार्टी के नेता ने अमृतसर में खालिस्तानी समर्थकों को करारा जवाब देते हुए कहा था कि जो कोई हिंसा में विश्वास रखता है उसके साथ हमारा कोई संबंध नहीं।

कंजर्वेटिव पार्टी ने एंड्रियू शीर के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था। चुनाव से ठीक पहले शीर ने भारत दौरे पर अमृतसर में कहा था कि हमें कैनेडा की राजनीति पर ही फोकस करना चाहिए। कैनेडा में खालिस्तानी अलगाववादियों पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा था कि हमारी पार्टी किसी भी दूसरे देश में हिंसा के बल पर राजनीति करने वालों के साथ कभी खड़ी नहीं होगी। इस तरह की हिंसा का कैनेडा में कोई स्थान नहीं है। हिंसा के समर्थकों के साथ हमारा कोई रिश्ता नहीं। शीर ने खालिस्तानी सोच के लोगों को साफ साफ शब्दों में फटकार लगाई थी। कैनेडा के चुनाव में 19 पंजाबी मूल के उम्मीदवार भी जीते हैं।

बहुमत का आंकड़ा छूने के लिए ट्रूडो की लिबरल पार्टी को 170 सीटें चाहिए

पार्टी
2019 (सीट)
2015 (सीट)
कम / ज्यादा
लिबरल
157
184
-27
कंज़र्वेटिव्स
121
99
22
न्यू डेमोक्रेट्स
24
44
-20
ब्लॉक
32
10
22
ग्रीन, अन्य
4
1
3

अल्पमत की सरकार देश चलाएगीः

कैनेडा में अल्पमत की सरकार बनने जा रही है। जस्टिन ट्रूडो को बेशक साधारण बहुमत भी न मिला हो लेकिन वह चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के नेता के तौर पर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। उनका प्रधानमंत्री बनना तय है। हालांकि अब देखना होगा कि उन्हें संसद में कानून पास करवाने के लिए कौन कौन सी विपक्षी पार्टी सपोर्ट करती है। हर बार किसी बिल को पास करवाने के लिए ट्रूडो को विपक्षी पार्टियों पर निर्भर रहना पड़ेगा। कैनेडा के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि जगमीत सिंह उन्हें कुछ शर्तों पर समर्थन दे सकते हैं। ट्रूडो को 157 सीटें मिली हैं। बहुमत की 170 सीटों से 13 कम। जगमीत की पार्टी को 24 सीटें मिली हैं। जगमीत अगर समर्थन देते हैं तो आने वाली सरकार की भारत के साथ तल्खी बढ़ भी सकती है। ट्रूडो के भारत दौरे पर कई ऐसी बातें हुई थीं जिससे उनकी अच्छी खासी किरकिरी हुई थी। जगमीत खुलेआम खालिस्तान के समर्थक हैं। यानी कैनेडा में खालिस्तानी समर्थक सरकार का बनना अब तय है।

क्यूबेक ने अलगाववाद के लिए वोट दिया

कैनेडा का क्यूबेक राज्य जनसंख्या के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा सूबा है। फ्रेंच बोलने वाले लोग यहां बहुसंख्या में हैं। लंबे समय से क्यूबेक अलग देश की मांग करता रहा है। इस बार भी क्यूबेक ने वहां की ब्लॉक क्यूबेक्वा को अच्छी खासी सीटों के साथ जिताया है। ब्लॉक के लीडर ईव फ्रांसोआ ब्लांशेट ने कहा जो भी पार्टी क्यूबेक की भलाई के लिए काम करेगी हम उसका समर्थन करेंगे।

जगमीत सिंह के जश्न पर सवाल लेकिन वह किंग मेकर की भूमिका में पहुंच चुके हैं

खालिस्तानी समर्थक जगमीत सिंह हार तो गए लेकिन आने वाली सरकार में वह किंग मेकर की भूमिका में रहने वाले हैं।

खालिस्तानी समर्थक जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेट पार्टी 2011 के फेड्रल चुनाव के बाद से लगातार गिरती जा रही है। इस चुनाव की भी सबसे असफल पार्टी रही है। 2015 में उनकी पार्टी ने 44 सीटें जीती थीं। इस बार जगमीत के नेतृत्व में पार्टी 24 सीटें ही बचा पाई। जबकि 2011 के चुनाव में पार्टी के पास 100 से ज्यादा सीटें थीं।

फेड्रल चुनाव न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रदर्शन)
साल सीटें
2011 103
2015 44
2019 24

पार्टी ने अपनी लगभग आधी सीटें इस चुनाव में गंवा दी हैं लेकिन चुनाव के बाद जगमीत सिंह ने जब अपने पार्टी वर्कर्स और समर्थकों के साथ जिस तरह से जश्न मनाया उसे देख वहां के न्यूज चैनल और मीडिया में जगमीत के इस रवैय्ये पर सवाल उठ रहे थे कि जो पार्टी लगभग अपनी आधी सीटें गंवा चुकी हो वह जीतने का नाटक क्यों कर रही है। जगमीत को चाहे इस बार पिछले चुनाव के मुकाबले कम वोट मिले हों लेकिन उनकी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी इस वक्त किंग मेकर की भूमिका में जरुर पहुंच चुकी है। ट्रूडो को अगर जगमीत समर्थन दे देते हैं तो अगली सरकार में उनका अच्छा खासा प्रभाव देखने को मिलेगा। ट्रूडो के बाद सबसे ज्यादा चर्चा में भी जगमीत ही रहे हैं। अब देखना होगा कि ट्रूडो जगमीत के साथ हाथ मिलाते हैं या ब्लॉक उन्हें समर्थन कर देगा। मगर ब्लॉक कैनेडा से पूरी तरह से आजादी चाहता है। जबकि ट्रूडो उसके खिलाफ है। अगर भारत के नजरिए से देखें तो यह बीजेपी और कश्मीर की पीडीपी जैसा गठबंधन होगा। हालांकि पीडीपी आजादी तो नहीं चाहती लेकिन वह पाकिस्तान और अलगाववादियों की समर्थक पार्टी के तौर पर जानी जाती है।

2015 में 18 इस बार 19 पंजाबी कैनेडा की संसद पहुंचे

क्षेत्र के हिसाब से भारत से 3 गुणा बड़े और जनसंख्या के हिसाब से 30 गुणा छोटे कैनेडा के चुनाव पर पंजाबियों की खास दिलचस्पी रहती है। कैनेडा की कुल जनसंख्या की लगभग 1.40 % आबादी सिख और 1.45% आबादी भारतीय मूल के हिंदुओं की है। 2015 में हुए चुनाव में भारतीय मूल के 19 उम्मीदवार जीतकर सांसद बने थे। उनमें 18 पंजाबी थे। जानकारों के मुताबिक इस बार भी 18 ने जीत हैं। ट्रूडो की कैबिनेट में रक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, पर्यटन, इनोवेशन, साइंस और आर्थिक विकास मंत्री पदों पर भारतीय मूल के सिख नेताओं का ही कब्जा था। मंगलवार को आए चुनाव नतीजों में 19 पंजाबी कैनेडा की संसद पहुंचे हैं।


रवि रौणखर, जालंधर
raviraunkhar@gmail.com

Disqus Comments Loading...