सूरत अग्निकांड से कब सबक सीखेंगे हम!

गुजरात के सूरत स्थित तक्षशिला कॉम्प्लेक्स में २४ तारीख को शुक्रवार देर शाम लगी भीषण आग में वहाँ चल रहे कोचिंग क्लासेस में 21 बच्चों की मौत जबकि 18 लोग गंभीर रूप से घायल हैं. प्रत्यदर्शियों के मुताबिक 10 से ज्यादा बच्चे जान बचाने के लिए दूसरी और तीसरी मंजिल से नीचे कूद गए थे. इस हादसे का विडियो बहुत ही दर्दनाक था ऐसे अनेक हादसे जो इस देश में होते रहे है लेकिन हम कब अपने बच्चो को ऐसे हादसों से अपनी और अपने दोस्तों की जान बचाने की कला सिखाएंगे? हमने किताबी ज्ञान में ठूंस दिया बच्चों को लेकिन नहीं सिखा पा रहे है लाइफ स्किल. बच्चों को नहीं सिखा पाए डर पर काबू रख शांत मन से काम करना. असलियत में हमनें उन्हें समाज में चल रही रैट रेस का चूहा बना बना रखा हैं. बच्चों को नहीं सिखा पा रहे जीने का तरीका- खुश रहने का मंत्र ऐसे मुसीबत के समय एक लीडरशिप क्वालिटी.

विदेशों में जैसे जापान, न्यूजीलैंड, इसराइल, अमेरिका कई देशों में लाइफ सेविंग स्किल छोटे छोटे बच्चो को सिखाई जाती है. फायरफाइटिंग से जुड़े कर्मचारी और अधिकारी हर माह स्कूल आते है. बच्चों को सिखाया जाता है विपरीत परिस्थितियों में डर पर काबू रखते हुए कैसे एक्ट किया जाए. ह्यूमन चेन बनाकर कैसे एक-दूसरे की मदद की जाए. हेल्पिंग हेंड से लेकर खुद पर काबू रखना ताकि मदद पहुंचने तक आप खुद को बचाए रखें. आग लगने पर निचे लेट जाना और घिसरते हुए घुटनों के द्वारा आगे बढ़ना. जींस पेंट जैसे जड़ कपड़ो को उतार फेकना या उनकी मदद से रस्सी बनाकर उसे किसी दिवार या लोहे की खिड़की से बंधकर सुरक्षित निचे उतरना. किस तरह से कूदना. कूदते समय कीसी पाइप या खिड़की या सज्जे का सहारा लेना. जब पानी में डूबता है तो कैसे ज्यादा से ज्यादा समय तक अपने को बचाना.

जब भूकम्प आये तो कैसे अपनी रक्षा करना. इन आपदाओ और दुर्घटनाओं के साथ कैसे निपटे जिससे कम से कम नुकसान हो. हाल ही में भयानक “फानी तूफ़ान” को वैज्ञानिकों ने सही समय पर पहचान लिया सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं तकनिकी की सहायता से और समय पर मोदी सरकार द्वारा १२ लाख लोगो को तुरंत वहां से हटा दिया गया अनेक लोगो की जान बच गई जिसकी विश्व ने मोदी सरकार की तारीफ़ की.

हर जगह पर सरकार से उम्मीद लगाना भी ठीक नहीं है जांच बैठाकर, कुछ मुआवजे बांटकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा. कुकुरमुत्ते की तरह उग आए कोचिंग संस्थान नहीं बदलनेवाले है न ही ऐसे हादसे पूरी तरह से रुकनेवाले है. उपाय एक ही है हमें अपने बच्चों को जो लाइफ सेविंग स्किल सिखानी होगी. जिस तरह से हम उनके करियर की चिंता करते है उसी तरह से इस तरह की विपरीत परिस्थितियों में बच्चों को कैसे निपटना, क्या करना क्या नहीं ये सिखाने की भी चिंता होनी चाहिए. याद रखिए जान है तो जहान है.

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