जब #ExitPoll देखकर झूठी हंसी से अपना दर्द छुपाते हुए मसीहा पत्रकार ने कहा की कुछ एंकरों को नेताओं के प्रचार करने के बदले में मंत्री बना देना चाहिए, तब मैं थोड़ी देर के लिए सोचा की ये किसकी बात कर रहे हैं?
फिर उनकी ये तस्वीरे दिमाग में आई, याद आया अच्छा…शायद साहब अपनी बात कर रहे हैं. क्योंकि जो रविश को जानते हैं वो जानते हैं की वो किसकी जित की कामना कर रहे थे.
जिस तरह से वो मायावती की रैली में भीषण गर्मी और धुप छाव में कोने में किसी चपरासी या बोडिगार्ड की तरह खड़े थे,
और आखिर में जनसभा के बीच बुल्कुल जमीन में गड़े हुए नेता की तरह राहुल गाँधी का इंटरव्यू लिया जिसमें रविश ने राहुल गाँधी के मुंह से वह सब बुलवाया जो राहुल गाँधी कभी सपने में भी खुद नहीं बोल सकते, जहाँ रविश ने उन्हें एक बड़े दिल वाला नेता दिखाने की कोशिश जो परमज्ञानी और द्वैत अद्वैत के सिद्धांत को समझ गया हो “मैं राहुल गाँधी को समाप्त करना चाहता हूँ, राहुल से राहुल को अलग करना चाहता हु, मैं मोदी के दिल में प्रेम जगाना चाहता हूँ” और कई परमज्ञानियों वाली गूढ़ बाते जो महर्षि और साधू संत भी नहीं समझ सकते|
तब जाकर मुझे रविश जी के उन गूढ़ शब्दों की गहराई समझ आई की वो इस उम्मीद में बैठे थे की 5 साल तक उन्होंने और उनके लिबरल, कौमी गैंग ने जो लगातार प्रोपगैंडा किया है, कभी अवार्ड वापसी, कभी असहिष्णुता, कभी आपातकाल, कभी दलित-मुस्लिम अत्याचार, कभी गौरी लंकेश, कभी काली स्क्रीन, कभी माइम आर्टिस्टों को बुलाया|अब इसके बाद मोदी का आना लगभग असंभव है, और फिर से अपनी विचारधारा और एजेंडों को खाद पानी देने वाली सरकार आएगी..जिसमें उनकी लाल सलाम ब्रिगेड भी शायद जोंक की तरह पीठ पर चिपक कर सरकार में जाए जिसके बाद शायद उन्हें इनाम के रुप में मंत्री या राज्यसभा की सीट मिल जाए.
कितने दूरदर्शी और इमानदार हैं रविश जी…आप तो सच में मसीहा पत्रकार हैं… नमन है आपको…
#RavishKumar #NDTV Ajeet Bharti Ravish Kumar