कांग्रेस का हाथ- देशद्रोहियों के साथ

How poisonous Congress is?

कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनावों के लिए अपना घोषणा पात्र जारी कर दिया है. घोषणा पत्र में कुछ भी चौंकाने वाला नहीं है -जो लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि घोषणा पत्र पूरी तरह से देशद्रोह और आतंकवाद का समर्थन करता दिखाई दे रहा है, वे शायद कांग्रेस पार्टी के इतिहास से परिचित नहीं हैं. कांग्रेस पार्टी की हमदर्दी और गठजोड़ हमेशा से ही देश-विरोधी ताकतों के साथ रहा है और इस बात को कांग्रेस पार्टी ने कभी छिपाने का प्रयास भी नहीं किया है.

सन 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार आतंकवादियों से निपटने के लिए POTA नाम का कानून लेकर आयी थी. जैसे ही अटल बिहारी की सरकार हारी और कांग्रेस 2004 में सत्ता में वापस आयी, उसने जो पहला काम किया था वह POTA कानून को हटाने का ही था. यही वजह है कि जब जब कांग्रेस पार्टी सत्ता में होती है, देश के अलग अलग हिस्सों में और दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों में भी आतंकवादियों के बम-धमाके होते रहते हैं. कांग्रेस पार्टी की इन धमाकों के बाद भी पूरी कोशिश यही रहती है कि इन धमाकों के लिए पाकिस्तान की बजाये किसी भी तरह से देशभक्त हिन्दुओं को फंसा दिया जाए और अपनी “हिन्दू आतंकवाद” की कहानी को आगे बढ़ाया जाए. जब मुंबई में 26/11 का आतंकी हमला हुआ था, उस समय जो हमलावर मारे गए थे, उन सबकी कलाई पर कलावा बंधा हुआ था. उस हमले का मुख्य अपराधी कसाब अगर गलती से नहीं पकड़ा गया होता, तो कांग्रेस ने इसे “हिन्दू आतंकवादियों” की कार्यवाही करार देने की पूरी तैयारी पहले से ही कर रखी थी. पार्टी के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने तो आनन फानन में एक किताब का विमोचन भी कर दिया था, जिसका नाम था- “26/11 मुंबई हमला- RSS की साज़िश” अख़बारों में यह ख़बरें भी प्रकाशित हुई थीं कि राहुल गाँधी मुंबई आतंकी हमले वाले दिन की शाम को किसी फार्म हाउस में पार्टी मना रहे थे.

जब से मोदी सरकार आयी है, आतंकियों और देशद्रोहियों पर सख्ती जारी है जो न कांग्रेस पार्टी को रास आ रही है और न किसी अन्य विपक्षी पार्टी को. जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में जब एक देश विरोधी कार्यक्रम में “पाकिस्तान जिंदाबाद” और “भारत तेरे टुकड़े होंगे” जैसे देश-द्रोही नारे लगाए गए थे तो उसका समर्थन करने राहुल गाँधी और केजरीवाल दोनों वहां पहुँच गए थे. इसके बाद इन दोनों नेताओं ने और इनकी पार्टियों ने देशद्रोह के इन आरोपियों की अदालत में पैरवी करके उन्हें बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. केजरीवाल तो आज भी अदालत को इन आरोपियों के खिलाफ मुकदमा आगे बढ़ाने की इज़ाज़त ही नहीं दे रहे हैं. अदालत केजरीवाल सरकार को लगातार फटकार लगाए जा रही है लेकिन केजरीवाल के कानों पर जूँ तक नहीं रेंग रही है. हाई कोर्ट में कपिल सिब्बल के नेतृत्व में वकीलों की एक पूरी फौज इन आरोपियों की जमानत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाकर इन सबको जमानत पर रिहा करा चुकी है.

अभी हाल ही में पुलवामा आतंकी हमला हुआ और मोदी सरकार ने जब इसके खिलाफ निर्णायक कार्यवाही करते हुए पाकिस्तान में घुसकर उनके सैंकड़ों आतंकवादियों को मार गिराया तो वह भी कांग्रेस समेत किसी भी विपक्षी पार्टी को रास नहीं आया-इससे पहले भी भी मोदी सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ जो सर्जिकल स्ट्राइक की थी, उस को लेकर भी कांग्रेस की बेचैनी साफ़ नज़र आ रही थी.

अब चुनाव घोषणा पत्र में भारतीय सेना के अधिकार काम करने की बात कांग्रेस कर रही है, ताकि सेना वहां गोलियां खाती रहे, पत्थर खाती रहे और हाथ पर हाथ धरकर बैठी रहे ताकि कांग्रेस के प्रिय आतंकवादी सुख चैन की जिंदगी जीते रहें और देशवासियों की जिंदगी बम धमाकों से समय समय पर हराम करते रहें. देशद्रोह का कानून ख़त्म करने की बात कांग्रेस अब इसलिए कर रही है क्योंकि पिछले 5 सालों में खुद इनके कई नेता देश द्रोह के बयान दे चुके हैं और देशद्रोह के आरोपियों के साथ मंच साझा कर चुके हैं. कांग्रेस की सरकार अगर वापस नहीं आयी तो निश्चित रूप से कुछ इनके नेता और इनके चाहने वाले “टुकड़े टुकड़े गैंग” के सदस्य देशद्रोह में नापे जाएंगे. इसीलिए कांग्रेस इस प्रयास में है कि अगर गलती से भी यह सत्ता में आ जाए तो सबसे पहले देशद्रोह का कानून उसी तरह समाप्त कर डाले जैसे इसने वाजपेयी जी के बनाये गए पोटा कानून को ख़त्म कर के आतंकियों को खुश कर दिया था.

कांग्रेस शायद यह भूल रही है कि 2004 में सोशल मीडिया जैसी कोई चीज़ नहीं हुआ करती थी और इसीलिए उसके काले कारनामों की पूरी खबर जनता तक नहीं पहुँची थी और वह वाजपेयी जी से सत्ता हथियाने में कामयाब हो गयी थी. अब समय बदल चुका है. वाजपेयी की जगह मोदी हैं और सोशल मीडिया की क्रान्ति अपने पूरे शबाब पर है. कांग्रेस की करारी हार को इन चुनावों में अब रोक पाना संभव नहीं है. इस घोषणा पत्र के जरिये दरअसल कांग्रेस ने एक बहुत बड़ा “सेल्फ-गोल” कर लिया है.

RAJEEV GUPTA: Chartered Accountant,Blogger,Writer and Political Analyst. Author of the Book- इस दशक के नेता : नरेंद्र मोदी.
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