कांग्रेस पार्टी अभी और कितना गिरेगी?

जब राहुल गाँधी की मानसरोवर यात्रा की खबर आयी थी, उसी समय इस यात्रा पर पूरे देश को संदेह था. दबी दबी जुबान से उस समय भी चर्चा हो रही थी कि क्या राहुल गाँधी वास्तव में “शिव-भक्त” हो गए हैं और उन्हें कैलाश मानसरोवर की याद आ गयी है या फिर वह अन्य कांग्रेसी नेताओं की तरह देश के खिलाफ किसी बड़ी साज़िश को अंजाम देने के लिए चीन के रास्ते मानसरोवर की यात्रा पर गए हैं. उस समय तो राहुल गाँधी, कांग्रेस पार्टी और उसके नेता यही कहते रहे कि राहुल गाँधी मानसरोवर की यात्रा पर ही गए हैं और उसके कोई और मतलब न निकाले जाएँ. वह तो भला हुआ कि खुद राहुल गाँधी के मुंह से गलती से यह बात निकल गयी और इस बात का पर्दाफाश हो गया कि वह वहां पर चीन सरकार के कुछ मंत्रियों से भी मिले थे और उन मंत्रियों से राहुल गाँधी की बातचीत भी हुई थी.

अगर राहुल गाँधी के चीनी मंत्रियों से मिलने के पीछे कोई साज़िश नहीं थी तो राहुल गाँधी और कांग्रेस पार्टी आज तक इस बात को छिपाती क्यों रही, यह सबसे बड़ा सवाल है. कांग्रेस पार्टी के नेताओं का यह पुराना इतिहास रहा है कि जब भी यह सत्ता से बाहर होते हैं तो यह सत्ता में वापस आने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. चाहे इन्हे पाकिस्तान में जाकर यह फ़रियाद करनी पड़े कि मोदी सरकार को हटाओ और हमें सत्ता में लाओ, चाहे चीनी राजदूत से मिलने की बात हो. गौरतलब बात यह है कि राहुल गाँधी ८ जुलाई २०१८ को चीनी राजदूत से भी चोरी-छुपे मिल चुके हैं और बाद में जब यह बात पकड़ में आयी थी तो कांग्रेस पार्टी को मजबूरी में उनकी मुलाक़ात की बात कबूलनी पडी थी.

कांग्रेस पार्टी के साथ समस्या यह है कि जब-जब यह पार्टी सत्ता में रही है, इसने जमकर भ्रष्टाचार किया है. भ्रष्टाचार की मलाई का स्वाद इस पार्टी और उसके नेताओं को इतना ज्यादा चढ़ गया है कि अब बिना सत्ता के इनका हाल उसी तरह है जैसे “जल बिन मछली” का होता है. इनके लगभग सभी बड़े नेताओं पर भ्रष्टाचार के मामले चल रहे हैं. इनके नेताओं को या तो कोर्ट से जमानत मिल रही है और अगर नहीं मिल रही है तो यह न्यायपालिका समेत सभी संवैधानिक संस्थाओं को भी खुले आम धमकाने से बाज़ नहीं आ रहे हैं. पूर्व मुख्य न्यायाधीश  दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने का मामला हो या फिर सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान जज जस्टिस सीकरी के खिलाफ कांग्रेस पार्टी द्वारा किया गया दुष्प्रचार,यह सारी घटिया हरकतें कांग्रेस पार्टी के इसी सुनियोजित दुष्प्रचार अभियान में शामिल हैं. चाहे अदालत हो, चुनाव आयोग हो,CBI हो ,ED हो या फिर CAG हो, अगर कोई भी संवैधानिक संस्था कांग्रेस पार्टी के हक़ में फैसला दे दे तो ठीक है, वर्ना इस पार्टी के नेता इस हद तक बौखला जाते हैं कि इन संवैधानिक संस्थाओं पर भी हमला करने में संकोच नहीं करते हैं. जब सी बी आई और प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी इनके भ्रष्ट नेताओं पर कोई कार्यवाही करते हैं तो यह लोग इसे न सिर्फ बदले की भावना से की गयी कार्यवाही बताते हैं, बल्कि बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके इन अधिकारियों को धमकी भी देते हैं कि अगर हम सत्ता में वापस आ गए तो उन अधिकारियों को देख लेंगे.

चोरी और सीनाजोरी का इससे बेहतर उदाहरण पूरी दुनिया में शायद नहीं मिलेगा. अब फैसला इस देश की जनता को करना है और उन लोगों को करना जो इतना सब कुछ जानने के बाद भी कांग्रेस का पल्ला आज तक थामे हुए हैं. जितनी बेशर्मी कांग्रेस पार्टी और उसके नेता दिखा रहे हैं, उसे देखकर कांग्रेस पार्टी के समर्थकों का भी सर शर्म से झुक जाना चाहिए.

RAJEEV GUPTA: Chartered Accountant,Blogger,Writer and Political Analyst. Author of the Book- इस दशक के नेता : नरेंद्र मोदी.
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