अविश्वसनीय कांग्रेस

अहंकार और अज्ञान का मेल पतन का सूचक होता है। अहंकारी व्यक्ति कदम उठाने से पहले सोचता नहीं और अज्ञान उसे गलत रास्ते पर जाने से रोकता नहीं। आज संसद में इसका प्रत्यक्ष उदाहरण देखने को मिला।

टीडीपी द्वारा प्रस्तावित अविश्वास प्रस्ताव को राहुल गाँधी की अध्यक्षता वाली कांग्रेस ने अपने मोदी-हटाओ-परिवार-बचाओ अभियान के खंड के रूप में संचालित किया। स्वयं सोनिया माइनो ने सरकार गिराने के लिए पर्याप्त संख्या होने का दावा कर दिया। एक आंख पर अहंकार और दूसरी पर अज्ञान के कांच का चश्मा लगाने से भरी दोपहर में भी अंधेरे का भ्रम हो जाता है।

विपक्ष की आशा के विपरीत आत्मविश्वास से भरी सरकार ने जिस सहजता से अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार किया, कांग्रेस उसके लिए तैयार नहीं थी। आधी-अधूरी सी, अनमनी सी कोशिश भी की बहस को टालने की। परंतु अंधेरे का भ्रम कभी-कभी ग्रहण के रूप में सामने आ जाता है।

एक सौ तैंतीस साल पुराना अपना ऐतिहासिक अस्तित्व खो चुकी और साठ साल एक लोकतांत्रिक देश में सत्ता में रहने के बाद एक परिवार की निजी धरोहर बन चुकी कांग्रेस अपने ऊपर लगे ग्रहण को देश में छाये संकट के काले बादलों का नाम देने की भरसक कोशिश कर रही है। कभी सत्ता को विष कहनेवाले राहुल गाँधी आज पुनः सत्ता पाने के लिए इतने लालायित हो उठे हैं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था का सम्मान करना भी आवश्यक नहीं समझते।

पूर्ण बहुमत से एक अप्रत्याशित विजय पाने के बाद जब देश का प्रधानमंत्री संसद की सीढ़ियों पर माथा टेकता है तो न केवल अपने संस्कार दिखाता है बल्कि देशवासियों के मन में संसद के लिए आदर बढाता है। उसी संसद में जब स्वयं को भावी प्रधानमंत्री कहने वाला व्यक्ति अनर्गल भाषण देता है, देश की सुरक्षा जैसे संवेदनशील विषय पर सफ़ेद झूठ बोलता है और नाटकीय आलिंगन करता है तो संसद का ही नहीं, देशवासियों की लोकतंत्र में आस्था का भी अपमान करता है।

आज राहुल ने कहा वह सबको कांग्रेस बना देगा। शायद उसे सलाहकारों ने बताया नहीं कि कांग्रेस आसमान में उड़ती उस पतंग की तरह है जिसकी डोर कट चुकी है, भले ही कुछ देर हवा में लहरा ले, अंत में उसे मिट्टी में मिल जाना है।

Disqus Comments Loading...