जातिवाद का ज़हर, होगा बेअसर

राजमहलों में ठाट बाट से पैदा हुआ और पला बड़ा इंसान राहुल गाँधी और उसके केजरीवाल, जिगनेश, शाहला रशीद, उमर खालिद जैसे टटपुँजिये साथी सत्ता हथियाने के लिए अपने आपको आजकल दलितों के मसीहा बनाने में लगे हुए हैं. इसलिए उनके इस घिनौने खेल का पर्दाफाश करने के लिए कुछ बातें जानना जरुरी है.

मैं दिल्ली से 225 किलोमीटर दूर हरियाणा राजस्थान बॉर्डर पर 600 परिवारों के एक छोटे से गाँव के बनियो के घर में पैदा और पला बड़ा हुआ. मेरे घर के ठीक सामने एक दलितों (जाती से चम्मार, धानक और नायक समुदाय) की बस्ती थी जिसमे लगभग 100 परिवार रहते थे.

ये दलित परिवार के लोग या तो खेती बाड़ी करते थे या गाँव की छोटी सी अनाज मार्किट में मजदूरी करते थे. इन लोगों के साथ मैंने अपनी जिंदगी में बचपन से कभी भेदभाव नहीं देखा सिवाय कुछ ब्राह्मिणो को छोड़ के, जो छुआछूत में विश्वास करते थे और उनसे थोड़ी दूरी बनाके रखते थे. लेकिन ये आज से 30 साल पहले होता था.

मैंने हमेशा उनको मेरे पापा दादा के साथ एक चारपाई पे बैठ के प्यार और सम्मान के साथ जीवन व्यापन करते हुए देखा. हमने कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं किया. हम उनके घरो में जाके उनके साथ खेलते थे. बस वहां नहीं जाते थे जहाँ नॉन वेज खाना पकाया जाता था. दलित बनिया वाला कभी कोई भेदभाव नहीं था.

ये तो बातें आज से कई साल पहले की हैं. अगर आज की बात करें तो हमारे गाँव के दलितों के बच्चे हमसे कहीं आगे है. आज ब्राह्मणो ने भी सब भेदभाव छुवाछुत की भावनाओं को दरकिनार करके एकता और भाईचारे की एक मिस्साल पेश की है. हमारे यहाँ सब एक सामान जिंदगी जीते हैं.

आज जो ये जातिवाद का घिनौना खेल खेला जा रहा है उसका दायरा सिर्फ कुछ कस्बों और शहरों तक सिमित है और रहेगा भी. मैं जातिवाद का खेल खेलने वाले राहुल गाँधी जैसे खिलाडियों को आगाह कर रहा हूँ की देश को टुकड़ो में बांटना बंद कर दें. इस आग के साथ न खेले तो बेहतर है.

सोशल मीडिया, अखबारों और टेलीविज़न की इस नयी दुनिया में गाँव के लोग शहरो से ज़्यादा जागरूक हो चुके हैं और इस गंदे खेल को भी बखूबी समझते हैं और इसके मोहरों को भी. अब गाँव गाँव बिजली पहुँच रही हैं, सड़के बन रही हैं और लोग समाज से बड़ी संख्या मैं जुड़ रहे हैं.

सत्ता के लालची भेड़ियों, इन लोगो के सब्र का इम्तिहान लेना बंद कर दो. जितनी संख्या में तुम लोग सड़को पे उतर के दंगे करोगे, लोगों का जीना दुशवार करोगे, देश के जागरूक लोग उतनी ही मजबूती के साथ तुम्हे अपने मताधिकार का प्रयोग करके माकूल समय पे जवाब देंगे.

मेरा काम है तुम्हे इस कड़वी सच्चाई से रूबरू करवाना बाकी आप अपने आप को धरती पे सबसे बुद्धिमान और शक्तिवान समझते ही हो. लेकिन बड़े बुजर्गो ने सही कहा है “विनाशकाले विपरीत बुद्धि” इसलिए तुम्हारी समझ में ये सब अभी नहीं आएगा. वक्त तुम्हें खुद समझायेगा.

PRADEEP GOYAL: Chartered Accountant | Fitness Model | Theatre Artist | RTI Activist | Social Worker | Nationalist | Nation and Forces First
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