हमारे राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज से नफरत क्यों

आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रगान गाने से छूट मांगने वाली याचिका को लेकर दाखिल याचिका को खारिज करते हुए कहा कि राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज का सम्मान करना सभी नागरिक का संवैधानिक कर्त्तव्य है. लिहाजा जाति, धर्म और भाषा के आधार पर इसमें किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता है. हाईकोर्ट ने आज यह भी स्पष्ट कर दिया कि राष्ट्रगान की तरह भारतीय राष्ट्रध्वज का भी उसी तरह सम्मान दिया जाना चाहिये जैसा कि राष्ट्रगान का सम्मान होता है. जानकारों के अनुसार हाईकोर्ट ने राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान की महत्ता को फिर से सीधे और सरल शब्दों में परिभाषित कर दिया है.

अब मुद्दा ये है की वो कौन लोग है जो राष्ट्रगान से छूट मांगने के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटा रहे है. चलिए समझने की कोशिश करते है.

पिछले 2 या 3 सालो से हमारे देश के ही कुछ नागरिको ने खुलेआम राष्ट्रगान को गाने से और तिरंगे का सम्मान करने से मना कर दिया जो की सीधे तौर पे हिंदुस्तान की एकता, अखंडता, प्रभुता और सम्मान पे हमला है. ऐसे लोग खुलेआम अपने कड़वे और जहरीले शब्दों से भारत माता का सीना छलनी कर रहे हैं. राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का अपमान करना मतलब देश की एकता और अखंडता के लिए शहीद हुए सवतंत्रता सेनानियों और सेना के जवानो का भी अपमान करना है. जिस देश के मिटटी में पैदा हुए, पले बड़े और सम्मान के साथ जी रहे हैं आज उसी मिटटी के साथ गद्दारी करना बड़े शर्म की बात है. जिन लोगों की वजह से आजादी की आबोहवा में सांस ले रहे हैं कैसे वो उन शहीदों का अपमान कर सकते हैं.

हालात यहाँ तक बदतर हैं की देशवासियों में राष्ट्र के प्रति सम्मान और देशभक्ति की भावना को जगाने के लिए 30 नवंबर 2016 को देश की सर्वोच्च अदालत को दखल देने पे मजबूर होना पड़ा. माननीय सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में देश पे सभी सिनेमा घरो में फिल्म के चलने से पहले राष्ट्र गान चलाने और सम्मान मैं सभी को खड़ा होने का फरमान जारी कर दिया जो हमेशा के लिए लागु हो गया है. माननीय न्यायधीश दीपक मिश्रा और अमित्व राय की बेंच ने कहा की अब समय आ गया है की हम सभी मातृभूमि के लिए अपना प्यार और सम्मान दिखायें.

अब इसके पीछे दो ही कारण हो सकते हैं या तो ये लोग देश के दुश्मन हैं और विदेशी ताकतों के हाथो अपना ईमान बेच के देश को तोड़ने की साजिश रच रहे हैं या देश की कुछ राजनितिक ताकतें उनका इस्तेमाल करके उनके कंधे पे बन्दुक रख के गोली चला रही हैं. उन्हें जाती और धरम के आधार पे भड़काया जा रहा है, उनके अंदर इतना जहर भरा जा चूका है की अपनी मातृभूमि को भी गाली देने से नहीं हिचकिचा रहे हैं.

ऐसे लोगों को आजादी के इतिहास के उन पन्नो को पलटना चाहिए जो हमारे सवतंत्रता सेनानियों के पवित्र खून से लाल है, उन्हें एक बार भारतीय सेना के उन जवानों के घर जाना चाहिए जिन्होंने अपने परिवारों की चिंता किये बिना छोटी छोटी उम्र में ही हमारी रक्षा करते हुए अपनी जान की आहुति दे दी. कैसे 1971 और कारगिल युद्ध में हमारे जवानों की क़ुरबानी का मजाक उड़ाया जा सकता है.

ऐसे जयचन्दों को एक बात गांठ बांध लेनी चाहिए की भारत एक वीरों, रणबांकुरों और बलिदानियों की धरती है जहाँ हर जाती, धरम, भाषा और रंग के लोग मिल जूल के रहते हैं, एक दूसरे का समान करते हैं और मुसीबत में एक दूसरे का सहारा बनते है लेकिन जब बात धरती माँ की रक्षा करने पे आती है तो ये ही लोग मिलजुल के किसी भी घिनौनी साजिश का सामना करके उसका मुँह तोड़ जवाब देने की काबिलियत भी रखते हैं.

आखिर में
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है

जय हिन्द

PRADEEP GOYAL: Chartered Accountant | Fitness Model | Theatre Artist | RTI Activist | Social Worker | Nationalist | Nation and Forces First
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