गुजरात और हिमाचल में भाजपा की बम्पर जीत लगभग तय

गुजरात और हिमाचल में इसी साल विधान सभा चुनाव होने हैं. दोनों ही जगह मुख्य चुनावी मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है. अपने राजनीतिक वजूद की आखिरी लड़ाई लड़ रही कांग्रेस पार्टी इन दोनों ही चुनावों में अपनी पूरी “ताकत” झोंकने का प्रयास कर रही है. क्योंकि कांग्रेस इन चुनावों में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है, इसलिए यह समझना ज्यादा जरूरी हो जाता है कि आखिर कांग्रेस पार्टी की असली ताकत क्या है, जिसके बल बूते पर इस पार्टी ने इस देश को लगभग ६० सालों तक निर्ममता से लूटा है. दरअसल कांग्रेस पार्टी की असली ताकत है -दुष्प्रचार. अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ मनगढंत दुष्प्रचार करके सत्ता हथियाने में इस पार्टी को महारथ हासिल रही है.

लेकिन पिछले कुछ सालों में लोगों में बढ़ती जागरूकता और सोशल मीडिया के विस्तार के चलते कांग्रेस पार्टी  का यह दुष्प्रचार रूपी ब्रह्मास्त्र अब पूरी तरह बेकार हो गया है. अख़लाक़ और रोहित वेमुला जैसे फ़र्ज़ी मसलों पर कांग्रेस पार्टी और इसके चाटुकारों ने जमकर भाजपा पर हमला बोला. अपने “अवार्ड वापसी गैंग” से अवार्ड भी वापस करवाए, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. नतीजा नहीं निकला लेकिन कांग्रेस पार्टी ने  हार नहीं मानी. जब नोट बंदी का ऐतिहासिक फैसला लिया गया और इन लोगों का सारा काला धन डूब गया तो इन्होने उस फैसले को जन विरोधी बताकर एक बार फिर से दुष्प्रचार शुरू कर दिया. इनके रहमोकरम पर पलने वाले कुछ चाटुकारों और स्व-घोषित अर्थशास्त्रियों ने भी नोटबंदी के खिलाफ जमकर दुष्प्रचार किया. इसका जबाब भी देश की जनता ने उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजों के मार्फ़त दे दिया. अब इन्हे भी लगने लगा है कि दुष्प्रचार रूपी हथियार काम नहीं कर रहा है लेकिन इनके पास कोई और हथियार नहीं है और कोई और विकल्प न होने की वजह से यह लोग उसी बेजान हथियार का एक बार फिर से इस्तेमाल करना चाहते हैं. इस बार इनके दुष्प्रचार का शिकार जी एस टी है, जिसे देश की जनता देश की आज़ादी के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार बता रही है, उसी कर सुधार के खिलाफ कांग्रेस पार्टी दुष्प्रचार करके हिमाचल और गुजरात में अपनी नैया पार लगाना चाहती है.

कांग्रेस पार्टी की जो कमियां हैं, वे सब जग जाहिर है और उन पर जितना भी लिखा जाए कम ही होगा. अब इस बात पर आते है कि भाजपा इन दोनों राज्यों में किस तरह से बम्पर जीत हासिल करने जा रही है.

१. भाजपा के पक्ष में जो सबसे बड़ी बात कही जा सकती है (जिसका उसे पिछले चुनावों में भी फायदा मिला है और इन चुनावों में भी मिलेगा), वह यही है कि पार्टी अपने विकास के रास्ते पर मजबूती से चल रही है और सभी तरह के दुष्प्रचार के बाबजूद देशहित में लिए गए अपने कड़े फैसलों पर आज तक कायम है.

२. कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गाँधी  जिस तरह से अपनी पार्टी के लिए प्रचार करते हैं, उसका फायदा कांग्रेस पार्टी को कितना होता है, यह तो उसके अन्य नेता ही बता सकते हैं. लेकिन राहुल गाँधी जी के भाषणों और उनके चुनाव प्रचार का भाजपा  के शीर्ष नेता भी बेसब्री से इंतज़ार करते हैं क्योंकि भाजपा की आधी जीत अगर अपने “विकास” के अजेंडे से तय होती है तो बाकी की आधी जीत का श्रेय राहुल गाँधी जी की अनूठी प्रचार शैली को दिया जाना चाहिए. राहुल गाँधी बार बार अपनी चुनाव रैलियों और भाषणों में कहते हैं कि हमारी पार्टी की लड़ाई भाजपा और आर एस एस  की विचारधारा से है और हम उससे बिना कोई समझौता किये लड़ते रहेंगे. भाजपा भी तो यही चाहती है कि राहुल गाँधी जी इस तरह की बातें बोलें. जब वह इस तरह के बयां देते हैं तो लोग यह समझ जाते हैं कि पिछले ६० सालों से वे लोग क्या गलती दोहराते आ रहे थे और लोग यह भी कसम खाते हैं कि अब वह गलती दुबारा नहीं दुहराई जाएगी. जब राहुल गाँधी यह बताते हैं कि उनकी लड़ाई भाजपा और संघ की विचारधारा से है तो अनायास ही लोगों का धयान कांग्रेस पार्टी की विचारधारा पर चला जाता है. राजनीति में पार्टियां और व्यक्ति नहीं जीतते है, सिर्फ विचारधाराएं ही जीता करती है. कांग्रेस पार्टी जिस विचारधारा की पक्षधर है, उसे इस देश की सवा सौ करोड़ जनता एकमत से कई बार नकार चुकी है, इस बात को समझने के लिए न तो राहुल गाँधी  तैयार हैं और न ही उनकी पार्टी का अन्य कोई नेता. जब कभी भी कांग्रेस पार्टी के महाविनाश का इतिहास लिखा जाएगा, राहुल गाँधी जी का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा, इसमें कोई संदेह नहीं  है.

३. भाजपा को जिताने के लिए हालांकि ऊपर लिखे दो ही कारण पर्याप्त हैं लेकिन भाजपा के विरोधी अपनी बौखलाहट और छटपटाहट में कुछ ऐसे भी काम कर जाते हैं जिससे भाजपा को बोनस मिल जाता है और उसकी जीत “बम्पर” जीत में तब्दील हो जाती है. ऐसे मसले  लाखों की संख्या में है. लेकिन उनमे से कुछ मसलों का जिक्र करने भर से ही इस पार्टी के चाल, चरित्र और चेहरे की पहचान हो जाती है. जहां सारी दुनिया “इस्लामिक आतंकवाद” से बुरी तरह परेशान है, वहीं अपनी कांग्रेस पार्टी ने “हिन्दू आतंकवाद” नाम का एक शब्द अपने कांग्रेसी शब्दकोष में जोड़ा है और कई बेगुनाहों को “हिन्दू आतंकवादी” घोषित करके जेलों में डालने का काम अपने शासनकाल में किया है. कांग्रेस पार्टी के कई शीर्ष नेता पाकिस्तान में जाकर पाकिस्तान सरकार के आगे गिड़गिड़ाते हैं कि मोदी को हारने में हमारी मदद करो. देश की जनता को कांग्रेस पार्टी ने अगर आज भी बेबकूफ समझ रखा है तो जनता यह जबाब देने में भी सक्षम है कि दरअसल बेबकूफ कौन है?

RAJEEV GUPTA: Chartered Accountant,Blogger,Writer and Political Analyst. Author of the Book- इस दशक के नेता : नरेंद्र मोदी.
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