विरोधियों की चाल पर भारी पड़ते मोदी के 3 साल

मोदी सरकार को बने हुये लगभग तीन साल पूरे हो चुके हैं. 2014 मे जब मोदी सरकार ने सत्ता संभाली थी तो विपक्ष को भाजपा की जीत और अपनी हार दोनो ही हज़म नही हुई थी. एक हारे हुए खिलाड़ी की बौखलाहट विपक्ष के हर नेता में पिछले 3 सालों से साफ साफ देखी जा सकती है. ऐसा कोई षड्यंत्र नही था, जिसे विपक्षी दलों ने पिछले 3 सालों मे अंज़ाम ना दिया हो.

यह ठीक है कि मोदी ने शालीनता के चलते इन षड्यंत्रकारियों पर अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नही की है, जिसकी देश की जनता को बेताबी से प्रतीक्षा है, लेकिन विपक्षी दलों के यह सभी षड्यंत्रकारी जनता की नजरों में पूरी तरह बेनकाब हो चुके हैं और पिछले 3 सालों में इन विपक्षी दलों की जनता ने इस तरह से ठुकाई की है कि संसद से लेकर विभिन्न राज्यों की सत्ता भी इन षड्यंत्रकारियों के हाथ से आहिस्ता आहिस्ता खिसकती जा रही है. बिहार और दिल्ली की जनता ने इन षड्यंत्रकारियों के हाथ में सत्ता सौंपकर जो भयंकर भूल की थी, उसका भारी खामियाजा इन दोनो राज्यों की जनता आज तक चुका रही है.

मोदी सरकार ने सत्ता संभालते ही काले धन पर ठोस कार्यवाही करने के लिये एस आई टी गठित कर दी और इस क्रांतिकारी फैसले के बाद सरकार ने तीन सालों में भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐसी ऐतिहासिक जंग छेड़ी कि उन सभी लोगों की सिट्टी पिटी गुम हो गयी जिन्होने पूरे देश में भ्रष्ट तंत्र का जाल बिछाया हुआ था. भ्रष्टाचार के खिलाफ जो जंग मोदी सरकार ने छेड़ी, वह विपक्षी दलों को बिल्कुल भी रास नही आई, यह लोग खुलकर तो बोल नही पा रहे थे, दबी दबी जुबान से अपनी नाराजगी जाहिर करते रहते थे.

नोट बंदी तक आते आते इन लोगों के सब्र का बाँध मानो टूट गया और इन्होने दबी जुबान से नही, बल्कि जोर शोर से भ्रष्टाचार के खिलाफ लिये गये इस फैसले का संसद से लेकर सड़क तक विरोध किया. नोट बंदी एक ऐसा फैसला था, जिससे विपक्षी दल और पाकिस्तान एक बराबर और एक साथ परेशान थे. जनता सोशल मीडिया की बदौलत विपक्ष की इस नालायकी को देख भी रही थी और समझ भी रही थी जिसका फैसला उसने अपने चुनाव परिणामों के जरिये सुना भी दिया लेकिन इसे मोदी या भाजपा का सौभाग्य ही कहा जायेगा कि विपक्ष अपनी गलतियों से सबक लेने की बजाये, हर हार के बाद पहले से भी बड़ी गलती करता जा रहा है जिसका सीधा सीधा फायदा मोदी सरकार को मिल रहा है. हाल के चुनावों के बाद अपनी हार के लिये ई वी एम मशीनों को जिम्मेदार बताना विपक्ष को कितना भारी पड़ने वाला है, यह आने वाला वक्त ही बतायेगा.

पिछले तीन सालों में अख़लाक़, रोहित वेमुला,कन्हैया, जे एन यू, लव जिहाद, गौ रक्षा, नोट बंदी और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों पर विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की. अपने चमचों से इन लोगों ने अवॉर्ड वापसी की नौटंकी भी करवाई और याकूब मेमन और अफ़ज़ल गुरु जैसे देशद्रोहियों के साथ भी समय समय पर खड़े नज़र आये. यह लोग समझ रहे थे कि इस देश की जनता का शैक्षणिक स्तर वही है जो आज से 40-50 साल पहले हुआ करता था और यह संसद और सड़क पर शोर शराबा करके मोदी सरकार के बढिया कामों पर पर्दा डाल पाने में सफल हो पायेंगे. लेकिन अपनी तमाम कोशिशो के बाबजूद इन लोगों से यह हो ना सका-अलबत्ता इस कोशिश में यह लोग अपनी रही सही जमीन और जनाधार भी गंवा बैठे.

मोदी सरकार जिस दिशा में आज से तीन साल पहले चली थी, उसी रास्ते पर सरपट दौड़ी चली जा रही है और अपनी आदत से मजबूर विपक्ष अपनी गलतियों से कोई सबक लिये बिना महाविनाश के रास्ते पर उससे भी ज्यादा तेजी के साथ दौड़ लगा रहा है. जब कभी मोदी सरकार के कार्यकाल का इतिहास लिखा जायेगा, यह बात प्रमुखता से लिखी जायेगी कि विपक्ष ने अपनी लकीर बड़ी करने के बजाये, लगातार मोदी सरकार की लकीर को छोटा करने का प्रयास किया, जिसे देश की समझदार जनता ने हर बार पूरी विनम्रता के साथ अस्वीकार कर दिया.

RAJEEV GUPTA: Chartered Accountant,Blogger,Writer and Political Analyst. Author of the Book- इस दशक के नेता : नरेंद्र मोदी.
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