कुछ मन की बातें: नमन अटल जी को

Atal Bihari Vajpayee

“हार नहीं मानूंगा ,रार नहीं ठानूंगा,
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं,
गीत नया गाता हूं गीत नया गाता हूं। “

भारतीय राजनीति के पुरोधा (युग पुरुष, स्तम्भ पुरुष, क्या कहूँ उन्हें सारे अलंकरण छोटे पड़ जाते हैं उनके कद के सामने) श्रद्धेय अटल जी की ये कविता आज पढ़ रहा था। मन अचानक विचलित हो उठा जब ये सोचता हूँ की अब उनकी उम्र ज्यादा देर तक साथ नही देगी। एक अन्दर टीस सी उठती है, की काश आज भी वो राजनीती में सक्रिय होते तो हमारी आने वाली पीढ़ी एक इस सशक्त राजनेता (एक वास्तव में राजनेता) की प्रतिभा को जान पाती। उनका नाम सुनते ही, पूरा शरीर प्रणाम करने की मुद्रा में आ जाता है। वीरों की गाथाएँ सुनी थी, लेकिन ऐसे सामने खड़े ऐसे इतिहास पुरुष (निर्भीक व साहसी) को मैं देख पाया, बड़ा सौभाग्य है मेरा।

उनके हर एक भाव से सीखने को मिलता है कुछ ना कुछ। साथी क्या विरोधी क्या, सभी उनके आगे नतमस्तक होते हैं। आज भी याद है, जब संसद में वो खड़े होते थे तो एक एक सांसद उनकी बात को ऐसे सुनता था जैसे कोई बड़ा संत प्रवचन दे रहा हो। सामने लाखों की भीड़ को अपनी सम्मोहन क्षमता से ऐसे बाँध देते थे की क्या कहने। विपक्ष भी कभी कभी सोचता था, की अटल जी बातों का विरोध करें भी तो कैसे करें। राजनीती में उनके कद के आगे कोई भी नेता बौना सा प्रतीत जो होता था। धुर विरोधियों का भी दिल जीत लेने की एक अलग कला थी उनमे। तालियों की गडगडाहट कभी उन्हें विचलित नही करती थी, और वो वैसे ही विनम्र मुश्कान के साथ सबका अभिवादन करते थे। उनके मुख पर हमेशा विराजमान रहने वाली यह मधुर मुस्कान किसी का भी दिल जीत लेती थी।

भारतीय राजनीती के सर्वकालीन महानतम राजनेता कवि ह्रदय श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेयी जी को मेरा शत शत नमन। अब बस यही प्रार्थना है, इश्वर उनको दीर्घायु प्रदान करे।
~ सुयश दीप राय

Suyash Deep Rai: Engineer, Activist, Traveled Bharat. Ex Founder of a Nationwide Youth Movement called “Youth Democratic Front” and writes on various democratic, political, social reforms.
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