परजीवी उदारवादी

उदारवादी शब्द के सुनते ही ऐसा लगता है कि कोई बंगाली बाला कुछ गुनगुना रही हो परंतु इस भ्रम से धोखा मत खा जाना। उदारवादी यह शब्द सुनने में जितना अच्छा लगता है, भारत की वर्तमान स्थिति में यह शब्द उतना ही अधिक गिरा हुआ है। यदि गंदगी से भरे गटर में आपका कुछ सामान गिर जाये तो थोड़ी बहुत कोशिश करने के बाद मिले या शायद ना मिले लेकिन यदि भारतीय उदारवादी किसी गटर में गिर जाये तो लाख कोशिश करने के बावजूद नहीं मिलेगा क्योकि गटर और उदारवादी दोनों आपस में ऐसे घुल मिल जाते हैं कि आप को गटर में सिर्फ और सिर्फ गंदगी दिखेगी।

सही – सही कहें तो सिर्फ उदारवादी कहने से उदारवादी शब्द का अपमान हो  सकता है इसलिए इन्हें परजीवी उदारवादी कहना ही सही होगा। परजीवी इसलिए क्योंकि उदारवाद के नाम पर इस प्रजाति के लोग गरीबी, आत्महत्या और भुखमरी जैसे सभी मुद्दों पर लाभ कमाते हैं।

परजीवी उदारवादी मनुष्यों की कई प्रजातियां अलग-अलग स्थान पर पाई जाती है परंतु इनका सबसे बड़ा समुह दिल्ली और लुटियन इलाके में बहुताय मात्रा में पाया जाता है। चूँकि दिल्ली और लुटियन क्षेत्र में सबसे अधिक मात्रा में डकैत पाये जाते हैं और परजीवी उदारवादी की आय का सबसे बड़ा साधन लुटियन क्षेत्र के डकैत ही है। परजीवी उदारवादी की एक प्रजाति पत्रकार के रूप में भी पनप रही है। ये पत्रकार असली मुद्दे की बात रखना चाहते है। असली मुद्दा यह है की हमारे देश के प्रधानमंत्री किस कम्पनी की कलम से हस्ताक्षर करते है उनके पास महँगी घड़ियाँ और अरमानी के कपड़े खरीदने के पैसे कहा से आये है। इस प्रजाति वाले पत्रकार i-फ़ोन – i-पैड से ट्वीट करके किसान की गरीबी तथा सादा जीवन उच्च विचार से प्रेरित होने की बात करते हैं।

परजीवी उदारवादी की एक प्रजाति उंगल बाज होती है। इनकी उंगलियाँ बेहया के डंडे  के जितनी लंबी होती है। इनकी उंगली इनके काबू में नहीं रहती है। ये हर किसी को लिफ्ट में, प्लेन में और ऑफिस में उंगली करते रहते हैं, विशेषकर महिलाओ को। उंगल बाज परजीवी उदारवादी रावण की पूजा करते है क्योंकि भगवान को पूजना तो संपूर्ण परजीवी उदारवादी प्रजाति के खिलाफ है। ये रावण की पूजा इसलिए करते है क्योंकि उंगली करने की प्रेरणा इन्हे रावण से मिली है। इनका मानना है की रावण को सीता पसंद थी तो उसने अपनी आदर्शवादी विचारधारा के तहत सीता का अपहरण किया और सीता का बचाव ना कर पाना श्री राम की असफलता को दर्शाता है।

परजीवी उदारवादी को कलयुग का नारद कहना गलत नहीं होगा क्योंकि वो हर अच्छी चीजों में बुराई ढूंढ लेते है। चाय थोड़ी और गरम होती तो मजा आ जाता। भाजी में हल्का सा नमक कम था। आज बरसात तेज हो रही है, आज ठण्ड ज्यादा है, आज गरमी बढ़ गई है, पुलिस ने आतंकवादियों को क्यों नहीं पकड़ा ? पुलिस ने आतंकवादियों को क्यों छोड़ दिया ? इसमे तो सेना की ही गलती होगी। परजीवी उदारवादी हर चीज में ये खामिया ढूंढ लेते हैं। ये फ्री सेक्स और ओपन माइंड की इतनी बात करते है की कभी – कभी इनके खुद की बहन – बेटियों के कारनामे इन्हे सीधे समाचार पत्रों या टीवी से मिलते है।

परजीवी उदारवादी अपने से विपरीत राजनैतिक विचारधारा रखने वालो को पसंद नहीं करते हैं और परजीवी उदारवाद की विचारधारा पर तर्क करने पर वो लोगों को समाप्त कर देने की कोशिश करतें हैं। परजीवी उदारवादियों का मानना है की भीष्म ने अपनी भुजाओ के बल पर गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र से करवाया इसलिए महाभारत में बतलाया शकुनी का एक – एक काम सही है और भारत सरकार को उन्हें भारतरत्न दे देना चाहिए।

Puranee Bastee: पाँच हिंदी किताबों के जबरिया लेखक। कभी व्यंग्य लिखते थे अब व्यंग्य बन गए हैं।
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