व्यंग्य : पनीर बंद करने से केजरीवाल सरकार पर नाराज

दूध से बननेवाले पनीर का उपयोग मिठाई की जगह सब्जियों में जिस तरह बदल गया उससे सरकार का मिठाई बाजार परेशान था। कभी कलाकंद का स्वाद बढ़ानेवाला पनीर धीरे – धीरे पनीर बटर मसाला, शाही पनीर, पानीर भुर्जी और पनीर अचारी के नाम पर गैर कानूनी ढंग से प्रयोग किया जा रहा था।

2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने लोगों को भरोसा दिलाया कि वो पनीर का गैर कानूनी उपयोग बंद करवाकर रहेंगे और उसी के चलते कुछ दिन पहले देश के नाम रात 8 बजे एक संदेश देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने पनीर का क्रय-विक्रय गैर कानूनी घोषित कर दिया।

इस फैसले के बाद जनता में पनीर को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म हो गया। सरकार ने जनता को उनका पनीर सरकारी डेरी में जाकर बदलने की लिए कहा है। पनीर देकर जनता को रबड़ी लेने का पर्याय दिया गया। ऐसी बातों ने जनता को सुबह पनीर की दुकान के बाहर लंबी – लंबी कतारों में खड़े रहने के लिए मजबूर कर दिया।

पनीर बंदी की घोषणा से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बहुत नाराज हो गए। कभी आलू की सब्जियों का शौक रखनेवाले केजरीवाल जब से मुख्यमंत्री बनें हैं तब से वो दोनों समय पनीर की भाजी खाना ही पसंद करते थे और मोदी सरकार के पनीर बंदी के कानून से केजरीवाल के पनीर भोजन को बहुत बड़ा आघात लगा।

दिल्ली में सरकार बनाने के पहले केजरीवाल स्वयं पनीर के खिलाफ और आलू के हितैषी थे परंतु सत्ता की चमक और रुतबे ने उन्हें आलू के प्यार से हटाकर पनीर के प्यार की तरफ मोड़ दिया। पंजाब चुनावों में केजरीवाल ने वहाँ की जनता से वोट लेने के लिए जमकर पनीर खिलाने का वादा किया था लेकिन सरकार के निर्णय के चलते उनका सारा पनीर बेकार हो गया है।

केजरीवाल ने सरकार के फैसले का विरोध करते हुए कहा है कि पनीर बंद करने से आम जनता परेशान है। जिस आम जनता को आजादी के इतने साल बाद भी दाल और चावल
मुश्किल से मिलता है वो पनीर बंदी से क्यों दुखी होगी इसका जवाब केजरीवाल के पास नहीं है।

अरविंद केजरीवाल के साथ – साथ कई ऐसे राजनीतिक दल हैं जिन्होंने पनीर का बहुत स्टॉक अपने पास जमाकर कर रखा था और वो भी केजरीवाल के साथ मिलकर मोदी सरकार के पनीर बंदी के फैसले के खिलाफ आवाज उठा रहें हैं। जिसके जवाब में मोदी जी ने कहा है की ” मुश्किल हो जीना फिर भी, पड़े जहर पीना फिर भी। पनीर बंदी का फैसला ना होगा ख़ारिज, आ आ कसम खा ले.”

Puranee Bastee: पाँच हिंदी किताबों के जबरिया लेखक। कभी व्यंग्य लिखते थे अब व्यंग्य बन गए हैं।
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