कन्हैय्या बन है रहा काला पहाड़

गार्जियन में मार्क टाउनसैण्ड की ब्राइटन से रणभूमि तक : कैसे चार किशोर जिहाद की ओर प्रेरित हुए शीर्षक से प्रकाशित समाचार बेहद भयावह है।

यह उन किशोरों के बारे में है जो ब्रिटिश मूल के गैर मुस्लिम थे और जिहाद के प्रचार में डूब कर मुस्लिम बने। ISIS के जिहाद का हिस्सा बन लड़े और मारे गये।

ऐसी ही एक रिपोर्ट अमेरिका के मिसीसिपी की रहने वाली जाएलिन यंग की है जो एक पुलिस अधिकारी की बेटी है। उसने अपना धर्म बदला मुस्लिम बनी और जिहाद लड़ने सीरिया के लिये निकल पड़ने की कोशिश में एअरपोर्ट पर पकड़ी गयी।

कन्हैय्या खालिद अनिर्वाण और उनके गुरुओं की चलायी राष्ट्रवाद की बहस के पीछे मुस्लिम शोषण एक बड़ा मुद्दा है। फिलिस्तीन,कोसोवो,काश्मीर,चेचन्या विश्व भर के जिहादी मुसलामानों की आजादी की लड़ाई का बड़ा प्रतीक हैं।

कन्हैय्या तथा उनके साथी इस लड़ाई के पोस्टर बन गये हैं। उनका गांधी प्रेम सिर्फ गांधी जी के खिलाफत आंदोलन का समर्थन करने के कारण है।

दलित शोषण को रोकने की लड़ाई के सर्वोच्च व्यक्तित्व बाबा साहब थे। वे संवैधानिक भारत में अस्पृश्यता का उन्मूलन कर गये। इस तरह का अमानुषिक अपमान न हो इसके लिये क़ानून बना और लागू है। संविधान में अस्पृश्यता के कारण दलित बने हिंदु भाइयों को सशक्त बनाने के लिये आरक्षण है।

बाबा साहब अम्बेडकर इससे संतुष्ट थे और उन्होंने कहा था की बीते कल को भुला आगे की ओर बढ़ने की आवश्यकता है।

परंतु जिहादी आंदोलन के प्रवक्ता तथा मुख्य मॉडल कन्हैय्या दलितों को भारत तथा नागरिकों से लड़ाने पर तुले हैं।

एक तरफ वो हैं जो समाज के हर वर्ग का सशक्ति करण चाहते हैं समरसता चाहते हैं। दूसरी तरफ वो हैं जो देश में क्रांति चाहते हैं। इसे ईराक और सीरिया की तरह जिहादी लड़ाई तथा माओवादी आतंकवाद में धकेल इस की हर प्रगति को रोक देना चाहते हैं।

गांधी और अम्बेडकर राजनैतिक रूप से दो अलग ध्रुव थे पर दोनों ने भारत को स्वराज्य और संविधान की राह दिखायी।

अम्बेडकर आहत थे पर भारत माता के पुत्र थे। उन्होंने वर्णवादी व्यवस्था को छोड़ा पर धर्मवादीव्यवस्था को नहीं और अपने लोगों के साथ उस बुद्ध धर्म के अनुयायी बन गये जो भारतवर्ष का ही है।

आशा है कि भगवान सद्बुद्धि देगा और प्रसिद्धि तथा प्रतिष्ठा के लिये ये युवक काला पहाड़ नहीं बन जाएंगे।

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