रविश कुमार की मार्मिक एवं कालात्मक विडियो का जवाब

रविश कुमार जी एक बहुत अच्छे वक्ता हैं | 3-4 घटनाओं को ढाल बनाकर शब्दों को कैसे घुमाया जाए कोई इनसे सीखे | हालाँकि जो व्यक्ति आदमी की पहचान करता है “आप कौन जात हो?” उनका राष्ट्र-वाद के बारे में व्यंग्य करना खुद में ही एक व्यंग्य है |

रविश जी ने एक बहुत अच्छी बात कही “कोई अपने समर्थक के विरुद्ध क्यूँ नहीं बोलता” | जिस प्रकार वो आज तक लालू प्रसाद यादव के विरुद्ध व्यंग्य करते कभी देखे नहीं गए | अब ये आपको रविश जी थोड़े ही बताएँगे कि उनके चचा का बेटा महागठबंधन की टिकट पर लड़ा था | उनका प्रेम जायज़ है, हालाँकि ये अलग बात है इतनी मेहनत के बावजूद और अहिष्णुता की मोदी विरोधी लहर के बावजूद वो हार गए |

रविश जी फिर से आपने वही किया | पत्रकारों की विफलता को ढाल बनाकर निष्कर्स यही निकाला जो आप चाहते थे | वही आवाजें सुनाई जो आप चाहते थे| आपका चैनल बहुत भरसक प्रयास कर रहा है TRP बटोरने की | पटिआला हाउस में दर्शकों को खींचने में नाकामयाब हुए तो अब पत्रकारों की विफलता को ढाल बना रहे हैं | रविश कुमार जी, ये अँधेरा अगर मीडिया का, पत्रकारिता का तस्वीर है, तो जनाब आपका चैनल इस अँधेरे का तमराज किल्विस है |

सामने क्यूँ नहीं आते किसी के पीछे रहकर कब तक वार करिएगा ? क्या अब आपके रोज़गार पर बन आई है ? जो आज प्रायश्चित करना चाहते हैं ?

वैसे रविश जी आपके चैनल ने पाप भी कम कहाँ किये हैं | शहादत सर्वोच्य है और इसका राजनितिक इस्तेमाल ठीक नहीं तो ये बताइए आपने रोहित वेमुला के केस में क्या किया ? आपका काम पूछना है विचार प्रकट करना है तो आपका चैनल बार बार न्यायधीश क्यूँ बन जाता है ? क्या आपके बरखा दत्त ने माफ़ी मांगी ? सागरिका घोष के ट्वीट्स ज़रा पढ़ लेते तो समझ आ जाता कि लोग उन्हें हाफ़िज़ सईद से बदतर क्यूँ मानते हैं | एक अपनी किताब बेचना चाहती है दूसरी ज़मीर |

जिस पत्रकार ने अमेरिका में जाकर कैमरा बंद करके लोगों से पिटाई की, शर्ट फटवाये, जो बंदा कहता है हम मालदा नहीं जा पाए क्यूँकि वो थोडा दूर है दिल्ली से, अब लोग उस बन्दे को गालियाँ नहीं देंगे तो क्या फूल बरसाएंगे, आप ही बताइए |

कहते हैं कर्म बोलता है | अब आपका ही दोगलापन देख लीजिये | एक तरफ आप कहते हैं “जो नेता देशद्रोही को गोली मार देंगे कहते हैं क्या वो सही हैं ?” दूसरी तरफ बिहार में आपके परम-पूज्य नेता लालू के चमचों ने दिन दहाड़े 2 नेताओं को गोली मार दी और हमें मिली क्या इन घटनाओं पे “रविश कुमार जी की चुप्पी” | अँधेरा |

वैसे अँधेरे का बड़ा अच्छा प्रयोग किया रविश जी आपने | अब ये बात कितनो को पता होगी कि अक्सर लोगो को हिप्नोटाइज करने के लिए अँधेरे और काले स्क्रीन का प्रयोग किया जाता है | तरीका बेहद अच्छा था रविश कुमार जी पर आपकी नियत नहीं | अगर मालदा पर चुप्पी और सिर्फ एक दल या पार्टी के खिलाफ कटाक्ष करते रहना इमानदार पत्रकारिता है तो रविश जी ये जरुर समझाएँ कि कैसे ?

अगर छात्रवाद के नाम पे देश के विरुद्ध नारा लगाने वालों को छुट दे दी गयी तो आतंकवादी और छात्र में अन्तर क्या रह जाएगा? क्या अगर कोई बम धमाके करे तभी वो आतंकी है ? ये कैसे भूल रहे हैं कि आतंकवाद सबसे ज्यादा लोगो की सोच में है | इसे कभी हरी झंडी नहीं दी जा सकती |

अगर अफजल के साथ याकूब मेमन के साथ बुरा किया गया तो क्या रविश जी जानते हैं कि सरबजीत सिंह के साथ कैसा बर्ताव हुआ था, ये तो फिर भी आतंकवादी थे |

हो सकता है कन्हैया कुमार अपने सहपाठियों की गलती का शिकार हुआ हो लेकिन वो भी उनका नेता था | हम भी जानते हैं रविश जी आपकी मीडिया के हमाम में सब नंगे हैं | कुछ कम कुछ ज्यादा | लेकिन अब आपका चैनल इतना गिर चूका है कि शायद अब आप कुछ सच भी दिखाएँगे तो हमें आप पर शक तो रहेगा | बंद करिए मासूमों के  भावनाओं का  भोग  करना |

भेदिया आया , भेदिया आया ! अब तो बस यही आवाज आती है रविश कुमार जी के चैनल से |

ironyman0007: i help keeping logic alive in this world
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