आखिर कौन है वो जिसके खौफ से भारत के सभी तथाकथित विपक्षी दल एक साथ आ खड़े हुए हैँ। आखिर कौन है, वो जिसने केवल १० वर्षों में हि पाकिस्तान के परमाणु और चिन के अंडाणु और अंग्रेजों के कीटाणु बम को "फुसफुशिया लुत्ति" बम में बदल दिया है।
अविश्वाश प्रस्ताव बुरी तरिके से असफल हो गया। सत्य की जीत हुई और धर्म विजयी हुआ। वर्ष २०१८ की भांति एक बार फिर एकजुटता का दम्भ भरने वाला विपक्ष फ्लोर टेस्ट में असफल हो गया।
मोदी विरोध में अपने ही देश के सेना पर सवाल खड़े कर दिया था इन लोगों ने। सुरक्षाबलो पर बलात्कार का आरोप लगाना हो या बीएसएफ जवान का पतली दाल वाला नौटंकी सब साजिश का हिस्सा था। पूरी छवि बिगाड़ने की कोशिश की गई थी लेकिन पुलावामा हमले के बाद वही सीआरपीएफ के जवान इनके लिए राजनीतिक मुद्दा बन जाते है।
आने वाले पंद्रह महीने हम सब एक युद्ध की स्थिति में हैं। वैचारिक युद्ध… जो कि हमारे राष्ट्र की नियति तय करेगा। इस युद्ध में अगर हम गिलहरी योगदान भी दे सके तो वह हमारे जीवन का स्वर्णिम कार्य होगा।
दुष्ट व्यक्ति दूसरे की उन्नति को देखकर जलता है वह स्वयं उन्नति नहीं कर सकता । इसलिए वह निन्दा करने लगता है और यही कार्य आज ये विपक्षि मिलकर कर रहे हैं।
The preparations for forming a strong opposition against Narendra Modi may have already started, but, who will be the face of this opposition, the most debate is to be held on this matter. BJP has an undisputed and powerful face in the form of Narendra Modi.
The opposition should trust the government, the government should extend it hand to the opposition despite the risk of betrayal because perhaps that is the best way to bring out the best in both and for the nation.