Saturday, April 20, 2024
HomeHindiजम्मू-कश्मीर: लक्षित हत्याओं व हिन्दुओं के पलायन को रोकना सरकार के सामने बड़ी चुनौती

जम्मू-कश्मीर: लक्षित हत्याओं व हिन्दुओं के पलायन को रोकना सरकार के सामने बड़ी चुनौती

Also Read

दीपक कुमार त्यागी / हस्तक्षेप
दीपक कुमार त्यागी / हस्तक्षेप
स्वतंत्र पत्रकार, स्तंभकार, राजनीतिक विश्लेषक व रचनाकार

कश्मीर घाटी में आतंकी संगठन एक बार फिर से तेज़ी से अपने पांव पसारने का दुस्साहस करने लगें हैं। राज्य में आतंकियों के निशाने पर फिर से कश्मीरी हिन्दू विशेषकर कश्मीरी पंडित आ गये हैं। हालांकि 5 अगस्त 2019 को जब राज्य से आर्टिकल 370 व 35ए को केन्द्र की मोदी सरकार के द्वारा हटाया गया था, तो उस वक्त संसद में चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के राजनेताओं के द्वारा राज्य से जल्द ही पूर्ण रूप से आतंक व आतंकवादियों के खात्मे के बहुत बड़े-बड़े दावे किये जा रहे थे, हालांकि सरकार के द्वारा जनता को दिखाए गये इन सपनों पर अभी कार्य जारी है। लेकिन 370 हटने के बाद से ही आतंकवादियों ने अपनी आकाओं की जबरदस्त बौखलाहट, छटपटाहट, हताशा व निराशा में राज्य में निरंतर माहौल खराब करने के प्रयास शुरू कर रखें हैं।

वैसे तो आतंकियों की हर कायराना हरकत का मूंह तोड़ जवाब देकर के भारत की जांबाज सेना आतंकियों के नापाक इरादों को कामयाब नहीं होने दे रही है। हर ऑपरेशन में सेना आतंकियों का चुन-चुन कर सफाया करने में व्यस्त है। जिसकी बौखलाहट के चलते पाक परस्त आतंकियों के द्वारा राज्य में निरंतर हिन्दुओं व गैर-कश्मीरियों की लक्षित हत्याएं करने का कायराना कृत्य एक बार फिर से किया जा रहा है। 

फिलहाल जम्मू-कश्मीर राज्य के हालात देखकर ऐसा लगता है कि आतंकवादियों की कायराना हरकत व नापाक मंसूबों में कुछ माह से एकाएक तेजी आ गयी है। पिछले वर्ष 2021 में हिन्दुओं की लक्षित हत्याओं की घटनाओं में तेजी आने के बाद से, अब फिर कुछ माह की शांति के पश्चात वर्ष 2022 में घाटी में एक बार फिर से आतंकियों के द्वारा हिन्दुओं की लक्षित हत्याओं का कायराना दौर शुरू करके घाटी को निर्दोषों के लहू से रक्तरंजित करने का कृत्य किया जा रहा है। पिछले माह 12 मई की शाम को बडगाम जिले के चदूरा में स्थित तहसील कार्यालय में घुसकर के आतंकवादियों ने नाम पूछकर 36 साल के राजस्व विभाग के अधिकारी राहुल भट्ट की गोलियां बरसा कर हत्या कर दी थी। राज्य में एक बार फिर से कश्मीरी पंडित व एक सरकारी कर्मचारी की लक्षित हत्या होने के चलते, कश्मीरी पंडितों व हिन्दुओं की चिंताओं को बढ़ाने का कार्य कर दिया है।

हालांकि इस घटना के बाद से ही राज्य के हिन्दुओं में एक बार फिर से सरकार व सिस्टम के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है, इस घटना के बाद राज्य की सरकारी सेवा में लगे हुए हिन्दुओं ने बड़े पैमाने पर अपने इस्तीफे देकर के सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती उत्पन्न कर दी थी। अभी यह मामला पूरी तरह से शांत भी नहीं हुआ था कि कुलगाम में एक हिंदू टीचर रजनी बाला की लक्षित हत्या आतंकियों ने करके सरकार व सिस्टम को चुनौती दे डाली। वहीं आतंकियों ने गुरुवार सुबह कुलगाम में बैंक मैनेजर विजय कुमार की गोली मार हत्या कर दी और शाम को एक मजदूर की हत्या करके राज्य के सुरक्षा तंत्र की जिम्मेदारी निभाने वाले सिस्टम को चुनौती देने का कार्य कर दिया है। राज्य में पिछले 26 दिनों में आतंकियों ने 10 आम नागरिकों की हत्या करके जनता को वर्ष 1990 की याद दिलाने का कार्य किया है। राज्य में जिस तरह से लगातार हिन्दुओं की लक्षित हत्याएं हो रही है, कुछ लोग उससे हमारी खूफिया एजेंसी, सिस्टम व सरकार की विफलता मान रहे हैं। आतंकियों के खौफ से घाटी से आज फिर हिन्दू परिवार सामूहिक रूप से पलायन करने के लिए एक बार फिर मज़बूर हैं।

लेकिन अब वह समय आ गया है जब देश व राज्य में शासन कर रही सरकारों की जिम्मेदारी है कि वह राज्य मे़ं हिन्दुओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने का कार्य करें, जिससे की हाल में हिन्दुओं के खिलाफ घटित किसी भी आतंकी घटना पर भविष्य में फिर कभी किसी भी फिल्म निर्माता को “द कश्मीर फाइल्स-2” बनाने का अवसर ही नहीं मिल पाये। आज जम्मू-कश्मीर के हालात देखकर समय की मांग है कि केन्द्र व राज्य सरकार को तत्काल ही कश्मीरी हिन्दूओं की सुरक्षा व बड़े पैमाने पर राज्य में पुनर्वास के लिए धरातल पर सख्त कदम उठाने होंगे। सरकार व सिस्टम को यह समझना होगा कि जम्मू कश्मीर में घटित कश्मीरी हिन्दुओं के खिलाफ घटनाओं से देश के आम जन का भी मन बहुत आहत है, अब देश का आम जनमानस नहीं चाहता है कि जम्मू-कश्मीर में घटित हर आतंकी घटनाक्रम के बाद मोदी, शाह, डोभाल, सिन्हा व सेना आदि शीर्षस्थ की बैठकें दिल्ली में होती रहे, अब देश की शांति प्रिय जनता को आतंकियों के सफाए के रूप में धरातल पर जल्द से जल्द सकारात्मक परिणाम चाहिए, कश्मीरी हिन्दुओं का सुरक्षित पुनर्वास चाहिए, उनका खोया हुआ मान सम्मान वापस चाहिए, संपत्तियों पर कब्जा वापस चाहिए।

सरकार व सिस्टम में बैठे हुए लोगों को कम से कम अब तो यह समझना होगा कि जम्मू-कश्मीर राज्य में लक्षित हत्याओं को ‘पाक की नापाक हरकत’ या पाक परस्त आतंकियों की बौखलाहट कह देने मात्र से देश की जन अदालत में अब का नहीं चलने वाला है। उन्हें समझना होगा कि अब भी अगर वह जनता के बीच जाकर ‘किसी को बख्शेंगे नहीं’ या एक-एक आतंकी को धरती पाताल से खोज-खोज करके एक-एक को चुन-चुन के मारेंगे और हत्याकांड की कड़ी निंदा करके काम चलाते रहेंगे, तो वह देश व समाज के हित में नहीं है। उन्हें समय रहते यह समझना होगा कि अगर आतंकियों के द्वारा इसी प्रकार लक्षित हत्याओं को अंजाम दिया जाता रहा, तो वह दिन दूर नहीं है जब एक बार फिर से राज्य में “द कश्मीर फाइल्स- 2” फिल्म की स्क्रिप्ट तैयार करने के लिए फिल्म निर्माताओं के लिए भरपूर मसाला उपलब्ध होगा।

देश व समाज हित में सरकार में बैठे लोगों को समझना होगा कि देश की शांति प्रिय जनता ने आपको चुनावों में विजयी बनाकर के जम्मू-कश्मीर से आतंकियों के सफाये की बेहद महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने का कार्य किया था, अब देश व समाज हित में उस जिम्मेदारी को सख्ती के साथ धरातल पर निर्वहन करने का समय आ गया है और देश के दुश्मन आतंकियों को चुन-चुन का सजा देने का समय आ गया है, लेकिन अगर इस जिम्मेदारी का निर्वहन करने में अभी भी केवल शब्द बाणों से ही यूं ही काम चलता रहा, तो वह दिन दूर नहीं है जब जिम्मेदारी देने वाली जनता सरकार की जवाबदेही भी तय कर सकती है।

जय हिन्द जय भारत।

मेरा भारत मेरी शान मेरी पहचान।

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

दीपक कुमार त्यागी / हस्तक्षेप
दीपक कुमार त्यागी / हस्तक्षेप
स्वतंत्र पत्रकार, स्तंभकार, राजनीतिक विश्लेषक व रचनाकार
- Advertisement -

Latest News

Recently Popular