Saturday, April 20, 2024
HomeHindiकश्मीरी हिन्दूओ का नरसंहार और 31 साल का इंतजार

कश्मीरी हिन्दूओ का नरसंहार और 31 साल का इंतजार

Also Read

Nickunj Rathod
Nickunj Rathod
Nikkunj Rathhod is / author/ columnist/ Poet. He is an author of one book FAT 2 FIT, published in the year 2020. His hobbies are creative writing and coaching. He likes to write in the self-help genre.

19 जनवरी 2021 के दिन उस हेवानियत से भरी दास्ताँ के 31 साल हो गए। 19 जनवरी 1990 का वो दिन न सिर्फ भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक काला दिन है। 19 जनवरी 1990 का वो दिन कोई भी कश्मीरी हिन्दू कभी नहीं भूल सकता। 1989 के अंत और जनवरी 1990 के शुरुआती दिनों मे कश्मीर मे जो हुआ वह शायद ही कोई कश्मीरी हिन्दू भूल पाएगा उसके बाद भी वह हेवानियत का सिलसीला न थमा। कश्मीरी हिन्दूओ के एक पूरे के पूरे समुदाय को रातो-रात बेघर कर दिया गया। सेंकड़ों हिन्दू पुरुषो का कत्लेआम किया गया अनगिनत हिन्दू बहन, बेटीओ का बलात्कार कर बेरहमी से मारा गया। बच्चो और नवजातों को हवा मे उछाल-उछाल कर मारा गया लेकिन किसी ने उफ़्फ़ तक नहीं किया। किसी भी मीडिया मे ज्यादा चर्चा नहीं हुई, चूपचाप सब निपट गया। उस रात जो उनके साथ हुआ उसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। उनके दर्द को हम महसूस तो नहीं कर सकते, लेकिन कुछ शब्दोंको एक कविता ‘वह मेरा था’ मे पिरो कर पेश कर रहा हूँ।

वह मेरा था…

फसलों से लहलहाता वह खेत-खलियान मेरा था,
धरती के स्वर्ग से जुड़ा वो हर एहसास मेरा था…

सेबो से महकता वह बागान मेरा था,
चैनों-अमन से मुस्कुराता वह गुलिस्ताँ मेरा था…

जिसे मासूमों के खून से रंगा गया वह रास्ता मेरा था,
जिसे रात के अंधेरे मे जलाया; अरमानो से सजा हुआ वह आशियाना मेरा था…

पैरों तले फूल के जिस बागान को रोंदा गया वह मेरा था,
हवा मे उछाल कर जिस ‘फूल’ को मारा गया वह मेरा था…

बहन से किया जो वादा टूटा वह मेरा था,
भाई की कलाई से जो धागा टूटा वह मेरा था…

गुस्से से जो खून खौला था वह मेरा था,
उस रात जो सितारा गर्दीश मे था
वह भी मेरा था…

दर्द मे सिसकते-बिलकते उस रात जो जुदा हुआ वह दोस्त मेरा था,
सात जन्मो का जिस से नाता था उस रात जो दर्द मे जुदा हुआ
वह जीवन साथी मेरा था…

हसीन वादियों मे जिसे दबाया गया वह होसला मेरा था,
बर्फ की चादर तले जिसे छुपाया गया वह फसाना मेरा था…

इतिहास की तारीख मे जिसे खून से सना गया वह शामियाना मेरा था,
गोलियों से जिसे छलनी किया गया वह जिस्म भी मेरा था…

दर्द मे कर्राहते हुए जो पूछ रहा था की ‘मेरा कसूर क्या था?’
वह कश्मीरी हिन्दू भाई मेरा था,
खून से लथपथ उस सूनसान सड़क पर जो पड़ा था वह बेजान शरीर मेरा था।

कश्मीरी हिन्दू समुदाय को समर्पित।

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

Nickunj Rathod
Nickunj Rathod
Nikkunj Rathhod is / author/ columnist/ Poet. He is an author of one book FAT 2 FIT, published in the year 2020. His hobbies are creative writing and coaching. He likes to write in the self-help genre.
- Advertisement -

Latest News

Recently Popular