Thursday, March 28, 2024
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नए आत्मनिर्भर बिहार का रोडमैप

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Santosh Pathak
Santosh Pathak
Political Scientist and State Media Incharge, BJP Bihar

भाजपा ने हाल में बिहार के विकास का रोडमैप जारी किया है. अन्त्योदय की नीति तथा रीति जो हमने अपने पुरोधा श्यामा प्रसाद मुखर्जी तथा दीनदयाल उपाध्याय जी से सीखी है, यह उसी का मिश्रण है. हम यह मानते हैं की जन भागीदारी सुशासन का महत्वपूर्ण अंग है, इसलिए इस घोषणापत्र को तैयार करते वक़्त भी हमने उसे प्राथमिकता दी है तथा जो 6.25 लाख लोगों हमें सुझाव मिला है, उसे शामिल करके उनके अनुरूप ही इसे बनाया है. रोडमैप जारी होने के तीन दिन के बाद यह लेख मैं इसलिए लिख रहा हूँ, ताकि जनता की प्रतिक्रिया को भी समझा जा सके और मैं गर्व से कह सकता हूँ की हमें जबरदस्त जनसमर्थन मिल रहा है. इस लेख में मैं लालू यादव जी के 15 वर्षों के शासन का तुलनात्मक अध्ययन एनडीए के 15 वर्षों के शासन से भी करना चाहता हूँ, ताकि यह तथ्य स्थापित हो सके की भाजपा अपने घोषणापत्रों में जो कहती है उसे पूरा करती है.

बिहार की जनता ने 2005 में हमें जनता दल (यू) के साथ साझा सरकार बनाने और सुशासन के लिए ऐतिहासिक जनादेश दिया था. वस्तुतः वह जनादेश उस दौर की बेहद जटिल सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों के आलोक में मिली थी. तब शासन के नाम पर राज्य में संगठित अपराध एक मात्र व्यवसाय बचा था, बिहार के बजट का आकार मात्र 23 हज़ार करोड़ रूपए था, कृषि बजट मात्र 20 करोड़ रूपए थी, प्रति व्यक्ति आय 8000 रूपए, बिजली मात्र 22 प्रतिशत तथा सड़कें मात्र 34 प्रतिशत लोगों तक उपलब्ध थीं. बिहार के सभी व्यवसायी, उनके संगठन तथा कल कारखाने बिहार से जा चुके थे और जो सबसे बड़ी चुनौती हमारे सामने थी वो यह थी की जनता में सरकार के प्रति विश्वास कैसे बहाल करें? 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मिलकर हमने सर्वप्रथम जनसरोकार के विषयों पर ध्यान केन्द्रित किया. बिहार से संगठित अपराध को ख़त्म किया और बिना किसी लागलपेट के सबको न्यायिक प्रक्रिया के तहत जेल भेजा ताकि समाज में शान्ति स्थापित हो सके, हमने सरकारी क्षेत्र में 6 लाख से ज्यादा लोगों को अवसर दिया जो राजद के 15 साल के शासनकाल में मात्र 90 हज़ार थी, बिहार में बजट का आकार बढ़कर 2,11,000 करोड़ से ज्यादा हो गया है, प्रतिव्यक्ति आय 47 हज़ार से ज्यादा हो गयी है, स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से 1.20 करोड़ महिलाओं को आर्थिक तौर पर सबल बनाया गया है, सभी के घरों में बिजली का कनेक्शन दिया जा चूका है, 100 तक के आबादी वाले बसावटों तक बिना किसी भेदभाव के 22,500 किमी सड़कें तैयार की जा चुकी हैं, कृषि का बजट आकार 2,400 करोड़ का हो चूका है और विद्यालयों में बच्चों को पोशाक, साइकिल तथा छात्रवृति स-समय उपलब्ध हो रही है तथा प्रदेश में 1.61 करोड़ घरों तक शुद्ध पेयजल पहुँचाया जा चुका है.

इसमें कोई शंका नहीं है की एनडीए के विगत पंद्रह वर्षों के शासनकाल में बिहार में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. बिहार शासकीय अराजकता से शान्ति व सद्भाव की तरफ बढ़ा है; विखंडित सामाजिक चेतना, जातिगत और धार्मिक हिंसा से बाहर निकल आया है. अब यहाँ विकास के प्रतिमान के रूप में सड़कें है, गंगा, सोन, गंडक, कोसी आदि नदियों पर महासेतुओं की श्रृंखला है; चौबीसों घंटे बिजली है; नक्सली हिंसा से मुक्त होकर खेत- खलिहान लहलहा रहे हैं; किसानों की उपज में दुगुनी से ज्यादा वृद्धि हुई है; बच्चे विद्यालय तक पहुँच रहे हैं और सरकार भी उन तक पहुँच रही है; प्रति व्यक्ति आय में पांच गुणा वृद्धि हुई है. विकास के सभी मानकों पर बिहार ने श्री नीतीश कुमार तथा श्री सुशील कुमार मोदी जी के नेतृत्व में शानदार प्रगति हासिल की है.

अब हम आत्मनिर्भर बिहार के दृष्टी पर काम करना चाहते हैं. आप हमसे पूछ सकते हैं कि आत्मनिर्भरता का क्या मतलब है? आत्मनिर्भर होने का मतलब है 21 वीं सदी की आतंरिक तथा वैश्विक परिस्थितियों के अनुकूलता में स्वयं को देखना. हम केंद्र में सरकार बनाने के बाद से ही ‘मेक इन इंडिया’ की बात कर रहे थे और कोरोना कालखंड ने हमारी उस मुहिम पर मुहर लगा दी है कि एक राष्ट्र के तौर पर स्वयं की आवश्यकताओं सहित दुनिया की मांगों के अनुरूप हमें भारत को तैयार करना होगा तथा भारत को एक समर्थ राष्ट्र के रूप में खड़ा करना होगा. हमारे आत्मनिर्भर भारत अभियान में बिहार एक महत्वपूर्ण पड़ाव है इसलिए हमने अपने रोडमैप में 19 लाख रोजगार के अवसर खड़े करने की बात कही है जिसमें सरकारी नौकरियां भी हैं और आर्थिक उन्नति के अन्य अवसर भी हैं.

हमने 15 नए दुग्ध प्रसंस्करण उद्योगों की बात कही है, जिससे गौपालकों को आर्थिक तौर पर समृद्ध बना सके, मीठे पानी में उत्पन्न होने वाली मछलियों के उत्पादन में बिहार को देश का नम्बर एक बनाने ला लक्ष्य निर्धारित किया है, चीन पर निर्भरता कम करने के लिए खिलौने, डेकोरेटिंग लाइट्स, गाड़ियों के पार्ट्स इत्यादि जो कम पैसे तथा कम जमीन में खड़े हो सके ऐसे उद्योगों की स्थापना की बात की है तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूपता में हिंदी भाषा में सभी प्रकार के तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराने की बात हुई है. हमने इस दृष्टी पत्र में हरेक पहलु पर ध्यान केन्द्रित किया है. एक बच्चा जब विद्यालय पहुंचे तब से 21 वीं सदी के अनुकूल कैसे बने से लेकर युवा के रोजगार प्रबंधन तक, महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने से लेकर उनके हरेक हुनर को आत्मसात करने तक, किसानों के अन्नदाता से ऊर्जादाता बनने तक, हर हाथ को काम हर खेत तक पानी पहुंचाने के लक्ष्य तक, गरीबी के जाल में फसें हमारे कमजोर तबके लोगों को भी उस चंगुल से बाहर निकालने का दृष्टी इस पत्र में संकलित है.    

हमारी घोषणाओं में जहाँ बिहार के समेकित विकास का रोडमैप है वहीं राजद विकास के इस बेहद महत्वपूर्ण दौर में जंगलराज में धकेलने की कोशिशों में लगा है. लालू जी के शासन काल में गैर योजना कार्यों पर बजट का 78% खर्च होता था जो हमारे शासनकाल में घटकर 50% से नीचे आ गया है. हमने इस अंतर को कम करके हर तबके तक विकास की रौशनी पहुंचायी है. लालू जी के दौर में बढ़ी हुई गैर योजना व्यय इस बात का परिचायक है की विकास समाज के सभी लोगों तक ना पहुंचकर कुछ लोगों तक सिमटा हुआ था या राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी. आज जिस प्रकार की घोषणाएँ तेजस्वी यादव कर रहे हैं, वह समाज के सर्वांगीण विकास का धोतक ना होकर केंद्रीकृत मानवीय विकास की बात ज्यादा है. श्रधेय अटल जी के दौर में देश भर में आर्थिक उन्नति हो रही थी तब अवसर को गवांकर आज आर्थिक न्याय की बात करना सिर्फ और सिर्फ वोट लेकर वापस उसी दौर में बिहार को ले जाने की कोशिश ही नहीं बल्कि षडयंत्र भी हैं क्यूंकि सीपीआई (माले), सीपीएम, सीपीआई जैसे दलों से गठबंधन करके औद्योगिक विकास के सपने बेचना गंजे को कंघी बेचना ही है. 

लेखक भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य तथा 2020 विधानसभा चुनाव के घोषणापत्र समिति के सदस्य हैं.

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