Thursday, March 28, 2024
HomeHindiउदारवादी या हिन्दू विरोधी?

उदारवादी या हिन्दू विरोधी?

Also Read

5 अगस्त को होने वाले रामजन्मभूमि पूजन को लेकर देशवासियों में उत्साह का माहौल है। करीब 500 वर्षों का संघर्ष अब मूर्त रूप लेने जा रहा है, पर एक धड़ा ऐसा भी है जो इस भूमिपूजन को रोकने का हर संभव प्रयास कर रहा है। इसी धड़े ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस भूमिपूजन को रोकने के लिए याचिका भी डाली थी पर हाइकोर्ट ने उस याचिका के पन्ने को गोल कर के याचिकाकर्ता को थमा दिया। आइए अब जानते हैं इस धड़ा को और हिंदुओं के प्रति इसकी घृणा के इतिहास को।

ये धड़ा है लिबरलों का, लिबरल शब्द से तो ऐसा लगता है कि ये उदारवादी प्रवृत्ति के होंगे पर ऐसा नहीं है। ये अव्वल दर्जे के पाखंडी हैं जिनका एक मात्र काम है हिन्दू धर्म के खिलाफ टिप्पणी या कार्य करना। ये हर वो चीज़ का उपहास करेंगे जो हिंदुओं की भावनाओं से जुड़ी हुई हैं। ये हिन्दू भावनाओ को आहत करने के लिए ‘बीफ फेस्टिवल’ का आयोजन करेंगे, हिन्दू देवी-देवताओं के अश्लील चित्र बनाएंगे।

ये हिन्दू त्योहारों में चुन-चुन कर दोष निकालेंगे, जैसे होली में पानी बर्बाद होता है,छेड़खानी होती है,दीपावली में पटाखे जलाने से वायु प्रदूषण होता है, छठ पूजा में अर्घ्य देने से जल प्रदूषण होता है इत्यादि इत्यादि, उदाहरणों की संख्या की कमी नहीं है। पर इनका मकसद त्योहारों में नुक्स निकलने तक ही सीमित नहीं है, ये इससे आगे भी जाते हैं।

दरअसल इनका एक समूह है जिनका एक ही काम है,हिन्दू त्योहारों के खिलाफ अदालत में याचिका डालना। ये कभी जन्माष्टमी में मटके की ऊँचाई को लेकर याचिका डालेंगे, कभी जलीकट्टू में जानवरों पर होने वाले अत्याचार पर, कभी रथयात्रा पर पाबंदी लगाने की मांग को लेकर याचिका डालेंगे।

देश के कहीं दूर-सुदूर गांव में अल्पसंख्यक पर अत्याचार होता है तो ये बिना जांच पड़ताल करे पूरे देश में हिंदुओं को हिंसक तथा असहिष्णु घोषित कर देते हैं पर यदि कभी ठीक इसके उलट हो तो ये चुप्पी साध जाते हैं। तिलक, जनेऊ और जय श्री राम के नारों में इन्हें कट्टरता दिखता है और आतंकवादियों में मानवीय पहलू ढूंढते हैं।

इनके निशाने पर हमेशा हिन्दू धर्म ही रहता है क्योंकि वो जानते हैं कि ये ऐसा कर के सुर्खियों में भी आ जाएंगे और सही सलामत भी रहेंगे, ये भूल कर भी कभी किसी दूसरे धर्म के बारे में नहीं बोलते हैं,शायद उन्हें अंदाज़ा है कि ऐसा करने पर उनका अंजाम क्या होगा।

हालांकि अब लोग इनके पाखंड को जानने लगे हैं,सोशल मीडिया की बढ़ती पहुंच ने इनको नग्न कर दिया है। लोग अब इनकी बातों का तर्क सहित उत्तर दे रहे हैं जिसका जवाब ना हो पाने पर ये फड़फड़ाने लगे हैं। जैसे दिया बुझने से पहले फड़फड़ाता है वैसे ही ये भी फड़फड़ा रहे हैं पर इनका तथाकथित लिबरलिज़म रूपी दिया आज नहीं तो कल बुझ ही जाएगा।

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

- Advertisement -

Latest News

Recently Popular