Saturday, April 20, 2024
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चीन और भारत आमने-सामने

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आखिर क्यों भारत की ज़मीन पर चीन करना चाहता है हस्ताक्षेप, क्यों भारत को चीन मानता है अपने आँखों की किरकिरी क्या है चीन की मंशा-

  1. चीन द्वारा प्रताड़ित करने पर तिब्बत से भारत आये थे दलाई लामा और भारत ने दिया था उन्हें शरण
  2. CPEC (China Pakistan Economic Corridor)
  3. Eight finger
  4. परमाणु प्रेक्षण के लिए यूरेनियम की आपूर्ति

सबसे पहले हम बात करते हैं सन 1950 की जब चीन ने तिब्ब्त पर कब्ज़ा करने की। बौद्ध भिक्षुओं को दबाने के लिए उन्हें प्रताड़ित किया, जिसके कारण 1959 में दलाई लामा अपने प्राणों की रक्षा के लिए तिब्बत छोड़कर भारत आ बसे। दलाई लामा को भारत में शरण देने की नीति से चीन भारत से उखड पड़ा जो आगे चलकर 1962 के भारत-चीन युध्द के कारणों में एक था।

दूसरा कारण है CPEC जो चीन के “वन बेल्ट वन रुट” प्रोजेक्ट का हिस्सा है। यह प्रोजेक्ट शिजिंयांग के काशगर से बलूचिस्तान के गवादर बंदरगाह तक व्यापार के लिए हाईवे, एयरवे, रेलवे, गैस लाइन और हाइडल पावर प्लांट का निर्माण चाहता है। जिसकी कुल लागत 4600 करोड़ है।

आइये जानते हैं चीन को इस कॉरिडोर से क्या फायदे हैं-

चीन की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से आयत-निर्यात पर टिकी है। चीन 80% पेट्रोलियम का आयात म० पू० देशों से करता है, जिसके लिए उसे 13000 km का समुद्री मार्ग तय करना पड़ता है। CPEC के पूरा हो जाने पर यह दुरी महज 3500 km ही रह जायेगी।

पाकिस्तान को CPEC के फायदे-

पाकिस्तान भी इस परियोजना में चीन को सहयोग कर रहा है क्योंकि चीन के साथ-साथ पाकिस्तान को भी इससे कई फायदे हैं जैसे रोजगार, सड़कें, बिजली और हाईवे जिसकी पूर्ति अपने दम पर करने में पाकिस्तान असमर्थ है।

अब भारत में इसको लेकर विवाद इसलिए है क्योंकि CPEC का एक हिस्सा POK से होकर गुजरेगा जो भारत के लिए सुरक्षा की दृष्टि से एक बड़ा खतरा है। और इससे हिन्द महासागर में चीन की दावेदारी मजबूत होगी जो भारत के तटवर्ती क्षेत्रों एवं व्यापार के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है।

Eight finger मसला-

पैगंग त्सो झील के सटे पहाड़ी क्षेत्र को फिंगर क्षेत्र कहा जाता है जिसका भारत-चीन युद्ध और सुरक्षा की दृष्टि से विशेष महत्व है। LAC के निर्धारण के बाद Finger 1-8 भारत के अधिकार क्षेत्र में है लेकिन एक समझौते के आधार पर चीनी सेना Finger 5-8 तक के क्षेत्र में प्रवेश कर चुकी है जिसकी कोई आधिकारिक दावेदारी चीन के पास नहीं है। उसी समझौते के अनुसार भारतीय सेना finger 8 तक के क्षेत्र में गश्त लगाती थी और चीनी सैनिकों को भी भारत के अधिकार क्षेत्र फिंगर 1-4 तक गस्त लगाने की अनुमति थी।

अब चीन के आगे बढ़ने का स्वार्थ यह है कि उसका पोस्ट hot spring हाईवे से 140 km दूर है और पहाड़ी इलाका होने के कारण ammunation और artillery ले जाने में काफी कठिनाई होती है वहीँ भारतीय पोस्ट गोगरा समतल पठारी क्षेत्र होने के कारण युद्ध के समय काफी जरुरी साबित हो सकता है। इसकी एक खास वजह यह भी है कि गोगरा पोस्ट से महज कुछ ही दूरी पर भारत द्वारा लद्दाख के विकास के लिए बनाया गया strategic road है जो दौलत बेग ओल्डी से दुरबुक तक है(आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसी दौलत बेग ओल्डी में भारतीय वायुसेना का एयरबेस है। अब आप समझ ही गए होंगे कि इस क्षेत्र का भारत की सुरक्षा की दृष्टि से कितना महत्व है। इसी का फायदा उठाने की कोशिश में चीन लगातार इस क्षेत्र में अपनी टांग घुसेड़ रहा है।

ऑस्ट्रेलिया से बिगड़े रिश्ते अब लद्दाख है आखरी उम्मीद

यह क्षेत्र चीन के एक और स्वार्थ का कारण बना है जो लद्दाख पर अपना कब्जा जमाकर परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ने के लिए यूरेनियम आपूर्ति से है। आपको ज्ञात हो की विश्व का सर्वाधिक यूरेनियम उत्पादक देह ऑस्ट्रेलिया है जो चीन को यूरेनियम उपलब्ध करवाता था और मौजूदा समय में वह चीन के साथ किसी भी प्रकार का व्यापारिक और राजनितिक संबंध रखने को तैयार नहीं है। यूरेनियम की इसी जरुरत को पूरा करने के लिए चीन लद्दाख को अपने अधीन करने की नापाक कोशिश में जुटा है।

हाल ही में जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने पर बहुत विवाद चल रहा था आपको बता दें कि इस धारा को हटाने और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने का उद्देश्य यही था कि उस क्षेत्र को केंद्र सरकार की देख-रेख में रखा जा सके जिससे हमारी सरकार हमारे क्षेत्र और हमारे देशवाशियों को ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा दे पाए।

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