Saturday, April 20, 2024
HomeHindiसंघ पर सोशल मीडिया के द्वारा मिथ्या एवं फर्जी पोस्ट से कुठाराघात करने का...

संघ पर सोशल मीडिया के द्वारा मिथ्या एवं फर्जी पोस्ट से कुठाराघात करने का एक नया वामपंथी चाल

Also Read

पिछले काफी समय से सोशल मीडिया पर संघ को लेकर अनेक भ्रामक एवं मिथ्या पोस्ट आती रही हैं जो सत्य से परे झूठ एवं असत्य के बुनियाद पर लिखी जाती रहीं है। अभी हाल में पूजनीय सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत जी के नाम से एक फर्जी न्यूज वायरल किया गया, न्यूज एक पेपर कटिंग के रूप में बनाई गई। जिसका शीर्षक ‘कोरोना ने तोड़ी मेरी धर्म में आस्था’ एक फर्जी डिजाइन किया हुआ है। कुछ दिन पहले ही एक और वायरल संघ प्रमुख के हवाले से -‘संघ लागू करेगा नया संविधान’ शीर्षक से दुष्प्रचार प्रसारित किया गया।संघ मुस्लिमों, दलितों को खत्म करना चाहता है, फेसबुक, टवीटर से लेकर वॉट्सऐप तक पर ऐसीं अनेक अखबार की फर्जी कटिंग घूमती रहती हैं। इसमें मोहन जी की तस्‍वीर का इस्‍तेमाल करते हुए उनके हवाले से फर्जी खबर बनाई होती है। आखिर यह कौन लोग हैं? उनका लक्ष्य क्या है? उन्हें देश भक्त ‘कथनी नहीं, व्यवहार से स्वयं को समाज के समक्ष प्रस्तुत करने वाले संघ संगठन से घृणा क्यों है?

यह कुकृत उन भारत विरोधी शक्तियों एवं वामपंथी सोच -विचार का है। जिनकी प्रत्यक्ष सामाजिक,राजनितिक धरातल की नींव हिल चुकी है। वे भारत में लगातार हो रहे राष्ट्रीय विचारों के सूर्योदयों से भयभीत हो कर छद्म घात का मार्ग अपनाये हुए हैं। इसमें कम्युनिस्ट आगे हैं। वह पहले हिदुत्व को सांप्रदायिक बताते रहे। वह बंगाल में लंबे समय तक सत्तारूढ़ रहे, लेकिन वह विवेकानंद को नहीं मानते थे। पर जैसे-जैसे संघ का कार्य बढ़ता गया उन्होंने हिदुत्व को नरम और उग्र के खांचे में बांटने की कोशिश की।इनके लोग लंबे समय से हिदू और हिदुत्व के खिलाफ भ्रामक प्रचार करते आ रहे हैं। उनकी कोशिश होती है कि जाति, भाषा और प्रांत के नाम पर हिदू बंटे रहें अन्यथा हिदुत्व ही राष्टीयत्व है के नाम पर सारा समाज जुड़ जाएगा। इनका एक पूरा गिरोह है , इसमें एक फर्जी मुद्दा प्लांट करता है, दूसरा उस पर लेख लिखता है , तीसरा उस पर कथित रिसर्च का नाम दें किताब लिखता है , चौथा पब्लिशर बनता, पांचवा डिस्ट्रीब्यूटर बन यूनिवर्सिटी कालेजों में प्रोफेसरों के माध्यम से पीएचडी करवाता है और इस प्रकर एक असत्य ,झूठ, अनास्था से उत्पन्न विचार समाज में स्थापित होने लगता है।

इस तरह वह संघ को भी बदनाम करने की पूरी कोशिश करते रहे है। संघ पर एक मिथ्या आरोप, को साबित करने के लिए दश और मनगढंत आरोप, केस अलग अलग माध्यमों से प्लांट करते रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रति दुराग्रह रखने वाला वर्ग संघ के विचार को गंभीरता से सुने बिना ही मिथ्या प्रचार कर समाज को तोड़ने में लगा रहता है । यह वर्ग आरएसएस को ऐन-केन-प्रकारेण विवाद में घसीटने की ताक में बैठा रहता है। भारत में राजनीतिक स्वार्थ इतनी चरम पर है की समाज एवं समरसता के लिए काम करने वाला संगठन, झूठ एवं मिथ्या आरोपों को लगातार सहता रहा है। हमने देखा है कि पूर्व में कैसे ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग ने आरक्षण पर अफवाह और भ्रम फैलाकर हिंदू समाज को तोडऩे के प्रयास किए हैं। विभाजनकारी सोच ने सामाजिक मुद्दे का इस तरह से राजनीतिकरण किया है कि समाज भले की बात कहना भी कठिन हो गया है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक तथा सोशल मीडिया के माध्यम से तथाकथित प्रगतिशील बुद्धिजीवी-पत्रकार, कम्युनिस्ट सहित अन्य राजनीतिक दल तो तैयार बैठे रहते हैं, संघ को दलित विरोधी, आरक्षण विरोधी सिद्ध करने के लिए। वे गहे बगाहे ऐसे कुचक्र करते रहे हैं। आजादी के बाद से ही संघ इन दलों और विचारों के कोपभाजन बनता रहा है।

जनसंचार माध्यमों में जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संबंध में भ्रामक जानकारी आती है, तब सामान्य व्यक्ति चकित हो उठते है, क्योंकि उनके जीवन में संघ किसी और रूप में स्थापित है, जबकि आरएसएस विरोधी ताकतों द्वारा मीडिया में संघ की छवि किसी और रूप में प्रस्तुत की जाती है। इसलिए अब बहुत आवश्यक है की ऐसे किसी भी भ्रामक विषय पर संघ के सुचना तंत्र द्वारा प्रकशित पक्ष को ही महत्त्व दिया जाना चाहिए।

“सबल भुजाओं में रक्षित है ,नौका की पतवार। चीर चलें सागर की छाती, पार करें मंझधार।।

ज्ञान केतु लेकर निकला है विजयी शंकर। अब न चलेगा ढोंग, दम्भ, मिथ्या आडंबर।। “

वीरेंद्र पांडेय

सहायक आचार्य एवं शोधकर्ता

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

- Advertisement -

Latest News

Recently Popular