मोदी जी को गालियाँ तो हर हाल में मिलेंगी ही, स्वीकार कर लें तो बेहतर है- क्योंकि कोरोना से बचा लोगे तो भूखे मरने के लिए मिलेंगी गालियाँ मिलेंगी! भूखे मरने से बचा लिए तो, पैदल चलाने के लिए! जिनसे पैदल चलने के लिए गालियाँ नही मिली तो फिर ट्रैन के नीचे आने के लिए। इन सबसे भी बचा लिया तो नौकरी और व्यापार के लिए गालियाँ खाएँगे। और कुछ नही तो दारू गुटखे की कमी के लिए। भाई भारत की जनता- वो क्या था रेमंड का- “सम्पूर्ण पुरुष” टाइप जनता है। बस हमारे मोदी जी और अमित शाह ही थोड़े निक्कमे निकल गए। कोई इसलिए धन्यवाद नही देने वाला की भारत का कोरोना मरीज़ों की संख्या 30 लाख नही है। वो तो बस गर्म मौसम से भारत बचा हुआ है। लेकिन जो हो रहा है उसके लिए जिम्मेदार तो सिर्फ मोदी ही है।
हमारे राहुल गांधी अगर प्रधान मंत्री होते तो बिना लॉकडाउन किए अर्थव्यवस्था पूरी द्रुत गति से दौड़ती और उसके साथ कोरोना से भी हम सब को बचा लेते और तो और कोरोना के भारत मे आने से पहले वैक्सीन बन जाता नेहरू जी के AIIMS में। 24 फरवरी को नमस्ते ट्रम्प की जगह पूरे भारत का कोरोना टीकाकरण अभियान चल रहा होता। जिसके लिए आमिर खान TV पर विज्ञापन में बोल रहे होते- “दो बूंद जिंदगी की- पिलाना न भूले”। रविश कुमार अपना SAVE DOGS अभियान चला रहे होते, जिससे कुत्तो को कोरोना से बचाया जा सके।
राहुल गांधी, मनमोहन और चिदम्बरम जी जैसे एक्सपर्ट के नेतृत्व में पूरे विश्व को अर्थव्यवस्था और प्रोडक्शन को पटरी पर लाने की योजनाएं बता रहे होते। भारतीय सैन्य बल और डॉक्टर कारोना से पाकिस्तान की जनता को बचा कर रही होती। इमरान खान खुश होकर सोनिया और राहुल की फोटो कराची लाहौर की गली गली में लगवा देते।
गाँधीयो की मुस्लिमों के प्रति रहनुमाई और भारत के लोकतांत्रिक तरीके से पूरे विश्व मे इंसानियत की मदद को देख गदगद हुए तबलीगी जमात वाले मरकज मदरसों पर ताला डाल, CBSE स्कूल खोल देते। पाकिस्तान POK को भारत को सौप देता और खुद कान पकड़ कर उठक बैठक लगाता। कश्मीर के मुस्लिम भाई अपनी गलतियां मान कर न्यूज़ पेपर में इश्तिहार देते – पंडित जी जंहा कंही भी हो वापिस आ जाओ, अपना मकान दुकान खेत खलिहान वापिस ले लो। और हमको हमारे गुनाहों के लिए माफ करो।
अजी हाँ, कल्पना नही है, ये सब वाकई होने वाला था, बस मोदी ने 2014 में आ कर सब गुड़ गोबर कर दिया।