Thursday, April 25, 2024
HomeHindiक्या भारत की 'दुर्गा' वामपंथी पितृसत्तात्मकता को हरा पायेगी?

क्या भारत की ‘दुर्गा’ वामपंथी पितृसत्तात्मकता को हरा पायेगी?

Also Read

भारत वह भूमि है जहां की औरत हाथ में शस्त्र लिए कभी महिषासुर का वध करती है तो कभी रक्तबीज का संघार करने के लिए उसके रक्त की आखरी बूँद तक को भी पी जाती है। भारत में औरत वह शक्ति है जिसके बिना शिव आधे हैं और वह सीता है जिसके बिना राम का नाम अधूरा है।

उसी भारत भूमि पर आज के दौर में ज़्यादातर मार्क्सवादी विचारधारा को मानने वाले प्राणी ट्विटर फेसबुक और पारम्परिक मीडिया पर महिला सशक्तिकरण पर बात करते मिल जाएंगे। परन्तु दिक्कत यह है कि वामपंथियों के लिए महिला सशक्तिकरण की जो परिकल्पना है वह भारत की मूल विचारधारा के काफी विपरीत है।

उदाहरण के तौर पर एक आम भारतीय दुर्गा को माँ के रूप में पूजता है पर वही एक वामपंथी प्राणी के लिए दुर्गा माँ नहीं अपितु ‘सेक्सी दुर्गा‘ है इससे आप यह समझ सकते है के वामपंथियों को औरत न माँ, न बहिन, न प्रेमिका और न ही पत्नी के रूप में मान्य है। उसके लिए औरत केवल सम्भोग की एक वास्तु है जिसका नाम भी लेना हो तो आगे ‘सेक्सी’ लगाना अनिवार्य है।

दुसरे उदाहरण की ओर देखें तो जहां एक तरफ भारत के गाँवों में हर पंचायत में कम से कम 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित है, वहीं भारत में वामपंथियों के सबसे बड़े गिरोह ‘कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया -मार्क्सवादी‘ जिसके सरगना कामरेड सीताराम येचुरी है के पोलितब्यूरो (नीति निर्धारण की समिति) जिसमे कुल 17 सदस्य हैं, उसमे में से केवल 2 पद यानी के केवल 11% प्रतिशत प्रतिनिधित्व ही महिलाओं को दिया गया है। यह अपने आप में महिला सशक्तिकरण के सपनो पर आघात है।

तीसरा आप देखेंगे की वामपंथी कभी लेनिन की, कभी मार्क्स की, कभी माओ की और कभी स्टालिन तथा फिदेल कास्त्रो की पूजा करते मिल जाएंगे पर क्या कभी किसी वामपंथी ने किसी महिला कामरेड का बुत्त लगाकर माला पहनाई है?

क्या महिला सशक्तिकरण का केवल यही अर्थ है के महिला के एक हाथ में सिगरेट और दूसरे में दारु का गिलास हो जिससे सिप लेते लेते वह कहे के ‘देखो कामरेड, हम आज़ाद हो गए‘।

या महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओ को पुरुषो के सामान अधिकार, एक जैसे कार्य के लिए एक जैसा वेतन, हर क्षेत्र में प्रमुख पदों तक पहुँचने के लिए एक जैसे अवसर, निर्विघ्न शिक्षा पाने का अधिकार, अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार।

धन्य है भारत की नारी जो हर विपरीत परिस्थिति के बावजूद भी सेना में, शिक्षा के क्षेत्र में, खेलों में, न्यायतंत्र में, मेडिकल आदि आदि में अपना और अपने परिवार का नाम रोशन कर रही है।

परन्तु संघर्ष अभी बाकी है क्युकी उसे ‘जज दुर्गा’, ‘डॉक्टर दुर्गा’, ‘कप्तान दुर्गा’, ‘नेता दुर्गा’ आदि कहने की बजाये वामपंथी विचारक ‘सेक्सी दुर्गा’ कह कर ही सम्बोधित करते है।

यह तो भविष्य ही बताएगा कि क्या भारत की दुर्गा वामपंथी पितृसत्तात्मकता को हरा पायेगी!
उम्मीद है वह जीते

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

- Advertisement -

Latest News

Recently Popular