Friday, March 29, 2024
HomeHindiहोली 2020

होली 2020

Also Read

हर साल होली पर
उगते थे इंद्र धनुष
दिल खोल कर लुटाते थे रंग

मैं उन्हीं रंगों से सराबोर होकर
तरबतर कर डालता था तुम्हें भी
तब हम एक हो जाते थे
अपनी बाहरी और भीतरी
पहचानें भूल कर

लेकिन ऐसा नहीं हो सकेगा
इस बार
सिर्फ एक रंग में रंग डालने के
पागलपन ने
लहू लुहान कर दिया है
मेरे इंद्र धनुष को

अब उसके खून का लाल रंग
सूख कर काला पड़ गया है
अनाथ हो गए मेरे बेटे के
आंसुओं की तरह
जिसकी आँखों ने मुझे
भीड़ के पैरों तले
कुचल कर मरते देखा है

जिस्म पर नाखूनों की खरोंचें और फटे कपड़े लिए
गली से भाग, जल रहे घर में जा दुबकी
अपनी ही किताबों के दम घोंटू धुएँ से
किसी तरह बच सकी
तुम्हारी बेटी के स्याह पड़ गए
चेहरे की तरह

आसमान में टकटकी लगा कर
देखते रहना मेरे दोस्त
फिर से बादल गरजेंगे
फिर से ठंडी फुहारें बरसेंगी
फिर इन्द्र धनुष उगेगा
वही सतरंगा इन्द्र धनुष
और मेरा बेटा, तुम्हारी बेटी, हमारे बच्चे
उसके रंगों से होली खेलेंगे |

– कैलाश सत्यार्थी

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

- Advertisement -

Latest News

Recently Popular