Thursday, April 25, 2024
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क्या केवल झूठ और छल फरेब पर ही टिकी है कांग्रेस की राजनीति?

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RAJEEV GUPTA
RAJEEV GUPTAhttp://www.carajeevgupta.blogspot.in
Chartered Accountant,Blogger,Writer and Political Analyst. Author of the Book- इस दशक के नेता : नरेंद्र मोदी.

भारत के मुख्य न्यायाधीश आजकल यौन शोषण के आरोपों से जूझ रहे हैं- सुप्रीम कोर्ट के किसी भी मौजूदा चीफ जस्टिस पर इस तरह के आरोप पहली बार लगाए गए हैं. आरोप सच हैं या झूठ, उसका फैसला तो निष्पक्ष जांच के बाद ही हो पायेगा लेकिन इन आरोपों से सुप्रीम कोर्ट की साख पूरी तरह से मिट्टी में मिल गयी है, इस बात में कोई दो राय नहीं है. सुप्रीम कोर्ट आज इस स्थिति में क्यों खड़ा हुआ है, उसे समझने के लिए हमें लगभग एक साल पीछे की घटनाओं की तरफ जाना पड़ेगा जब सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने पहली बार एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके उस समय के चीफ जस्टिस पर बेबुनियाद आरोप लगाए थे कि वह मामलों का बंटवारा मनमाने तरीके से कर रहे हैं, जबकि चीफ जस्टिस तो वही कर रहे थे तो पिछले 70 सालों से होता आ रहा था. उन्होंने कुछ नया नहीं किया था, फिर भी उन्हें धमकाने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस की गयी. जिन चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, उनमे से एक जज आज चीफ जस्टिस बन गए हैं और जिस तरह से पिछले चीफ जस्टिस को घेरने की साज़िश चल रही थी, उसी साज़िश के शिकार वह खुद बने हुए हैं.

दरअसल कांग्रेस पार्टी ने पिछले 70 सालों में न्यायपालिका पर अपनी ऐसी पकड़ बनाई है और इस संस्था को इतना शर्मशार किया है जिसका अंदाज़ा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 5 सालों में मोदी सरकार किसी भी कांग्रेसी को तमाम सुबूतों के बाबजूद हवालात के अंदर नहीं डाल पायी है. कांग्रेस पार्टी न्यायपालिका पर अपना यह शिकंजा हमेशा कसकर रखना चाहती है और अपने फायदे के लिए उसे इस्तेमाल करती है. राम मंदिर के मुद्दे को चुनाव बाद लटकाने के लिए कांग्रेस ने न्यायपालिका का कैसे इस्तेमाल किया यह देश की पूरी जनता के सामने है और उसके बारे में कुछ अलग से लिखने की जरूरत नहीं है. 4 जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद भी जब कांग्रेस की चाल कामयाब नहीं हुई तो वह चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव भी लेकर आ गयी थी, जो सिर्फ इसलिए विफल हो गया था क्योंकि कांग्रेस सत्ता में नहीं, विपक्ष में थी.

राम मंदिर को लटकाने से भी जब कांग्रेस को तसल्ली नहीं हुई तो उसने “राफेल” के मुद्दे को पकड़कर उस पर जबरदस्त झूठ पूरे देश में फैलाना शुरू कर दिया, इस झूठ का उसे फायदा भी हुआ और वह राजस्थान,मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता हथियाने में कामयाब हो गयी और उन राज्यों में लूटपाट मचानी शुरू कर दी. लूट कितनी रफ़्तार से मचाई गयी, उसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों मध्य प्रदेश में पड़े आयकर छापे में कुल मिलाकर 767 करोड़ रुपये का घोटाला पकड़ा गया, जबकि सरकार बने हुए वहां अभी कुछ ही महीने हुए हैं. कमोबेश यही हालात अन्य कांग्रेसी राज्यों में भी होंगे, इस बात में किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए.

जब “राफेल” पर फैलाये गए झूठ के बल पर कांग्रेस ने तीन राज्यों की सत्ता हड़प ली तो इनका उत्साह बहुत ज्यादा बढ़ गया लेकिन यह क्या, सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ, CAG ने भी जब “राफेल” मामले में सरकार को क्लीन चिट दे दी तो यह बात कांग्रेसियों को बिलकुल भी रास नहीं आयी. इनका तो एक ही एजेंडा था कि “राफेल” के झूठ को बार-बार बोलकर इतना आतंक फैला दो कि किसी तरह से देश की सत्ता यह लोग हथियाने में कामयाब हो जाएँ और एक बार देश को फिर उसी तरह से लूटना शुरू करें, जिस तरह से यह देश को मई 2014 तक लूट रहे थे.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने राफेल पर सुप्रीम कोर्ट और CAG की क्लीन चिट के बाबजूद भी अपने झूठ और दुष्प्रचार को जारी रखा और “सत्ता” हथियाने के जोश में यह बयान तक दे दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह कहा है कि देश का “चौकीदार चोर है.” जब उन्होंने अपने झूठ में खुल्लमखुल्ला सुप्रीम कोर्ट को भी शामिल करने की कोशिश की तो सुप्रीम कोर्ट को भी सख्ती दिखाते हुए उन्हें अदालत की अवमानना का नोटिस जारी करना पड़ा जिसमे दो साल की सजा का प्रावधान भी है. इधर यह नोटिस जारी हुआ और उधर कुछ प्रोपोगंडा फैलाने वाले मीडिया के एक वर्ग ने चीफ जस्टिस पर यौन शोषण के आरोपों की पूरी कहानी अपनी ऑनलाइन वेबसाइट पर प्रकाशित कर दी.

यहां ध्यान देने वाली बात यही है कि यह यौन शोषण की कहानी “मेन स्ट्रीम मीडिया” की जगह कुछ ऐसी प्रोपोगंडा वेबसाइट पर ही क्यों छापी गयी जिनकी कांग्रेस से नज़दीकियां किसी से छिपी नहीं हैं. जो घटना अक्टूबर 2018 की बताई जा रही है, उसे लोकसभा चुनावों के बीच में ही क्यों उठाया गया ? यह ऐसे सवाल है, जिनका जबाब किसी भी कांग्रेसी के पास नहीं हैं.

दरअसल कांग्रेस के रणनीतिकारों को यह लग रहा है कि मोदी सरकार को सिर्फ झूठ और छल फरेब से ही हराया जा सकता है और मोदी को अगर वह 24 घंटे “चोर-चोर” कहेंगे तो शायद कुछ लोग उनकी बातों में आ जाएँ लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पहले इस मामले में क्लीन चिट देकर और अब मोदी को चोर कहने पर राहुल गाँधी को जिस तरह से निशाने पर लिया है, उसे देखते हुए कांग्रेस को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ा और अपनी दबाब की राजनीति के तहत चुनावों के बीच में इस तरह से यौन शोषण के आरोपों को छपवाना पड़ा. न्यायपालिका पर कांग्रेस की यह दबाब की राजनीति कितनी कारगर सिद्ध होगी, यह आने वाला समय ही बताएगा.

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