Saturday, April 20, 2024
HomeHindiआतंकवाद के आंतरिक समर्थक

आतंकवाद के आंतरिक समर्थक

Also Read

कभी तो पाकिस्तान वाले भी सोचते होंगे कि हमने अकारण ही 3 युद्व हिंदुस्तान के साथ लड़े और दुनिया मे हँसी का पात्र बन गए, या फिर वो सोचते होंगे कि अगर हमने पाकिस्तान को लेने की जल्दी न कि होती तो आज पूरे हिंदुस्तान को ही पाकिस्तान बना देते। जी हां दोस्तो, आपको पढ़ के थोड़ा अजीब जरूर लग रहा होगा लेकिन वास्तविकता से मुँह नही मोड़ा जा सकता। भारत को बर्बाद करने के लिए किसी पाकिस्तान किसी चीन की कोई जरूरत नही है, न ही किसी बाहरी के बस की बात है कि वो भारत को नुकसान पहुँचा दे। इस नेक कार्य को अंजाम तक पहुचने के लिए तो भारत में बैठे कुछ क्रांतिकारी, उदारवादी, धर्मनिरपेक्ष जमात ही बहुत है।

वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में चल रहा कुलभूषण केस इसका ताजा उदाहरण है। जब पाकिस्तान के पास खुद ऐसा कोई सबूत नही मिला जिससे वो कुलभूषण जाधव को भारतीय जासूस साबित कर सके, ऐसी मुश्किल की घड़ी में उसके काम आया भारत के ही तीन महान पत्रकारों का लिखा हुआ लेख, जिसे कोर्ट में दिखा कर पाकिस्तान के वकील ने कहा देखिए, हिंदुस्तान के सच्चे पत्रकार खुद मान रहे है कि कुलभूषण जाधव जासूस है। बताइये ऐसे हिंदुस्तानियों के बारे में क्या कहे। इतिहास गवाह है रावण को मरवाने में विभीषण और बाली को मरवाने में सुग्रीव का बड़ा अहम योगदान रहा है, यहाँ भी उसकी पुनरावृत्ति होती दिख रही है।

भारत मे बैठा ये बुद्धिजीवी जमात सदाचार, संविधान, सच्चाई, स्वतंत्रता और आधुनिकता कि आड़ में विषयों को कुछ इस प्रकार क्षत-विक्षत कर देता है कि आप भी एक वक्त के लिए सोच में पड़ जाएंगे कि बात तो सही है। लेकिन उस सही बात की आड़ में जो गलत धंधा चलाया जाएगा उसके बारे में आपको पता भी नही चलने दिया जाएगा। अभी हाल ही में 14 फरवरी को पुलवामा में भारतीय जवानों पे  हुए आतंकी हमलों का मूल्यांकन करते हुए, कुछ महात्मा लोग बताने लगे कि यह भारत सरकार की विफलता है। हमारे सैनिकों को अच्छा खाना नही मिलता, CRPF के जवानों को पेंशन तक नही देती सरकार। अब आपको सुनने में लगेगा कि बात तो सही है, ये बात सच भी है। लेकिन ध्यान से सोचिए कि कितनी धुर्तता के साथ आपका ध्यान आतंकवाद के मुद्दे से हटाकर सुविधाओं की कमी की तरफ मोड़ दिया गया।

जरा सोचिए क्या सुविधाओं की कमी के कारण आतंकवाद को न्यायोचित ठहराया जा सकता है? क्या अच्छा खाना दे देने से जवानों की बम ब्लास्ट में मृत्यु नही होती? क्या पेंशन दे देने से आतंकी घटना नही होती? ये सोचने का विषय है। इन मक्कार कुतर्कवादियों का हमला एक तरफ से नही होता, ये अलग अलग रूपो में हमे अलग अलग दिशाओं में ले जाकर वास्तविकता से भटकाने का प्रयास करते है। कुछ इन्ही की जमात के महान लोगो ने शहीदों की जातियों का गहन मूल्यांकन करके ये बहुमुल्य जानकारी पता लगाई की किस जाति के कितने लोग शहीद हुए, और अपने इस अनुसंधान से यह सिद्ध करने में जुट गए कि भारत मे मनुवाद की जड़े कितनी गहरी है। अगर कभी आप इन्ही जातिवादियों से आतंकवाद की जाति या मजहब पूछेंगे, तो इस देश के सारे रंगे सियार एक सुर में बोलेंगे – आतंकवाद का कोई धर्म नही होता।

ऐसे धूर्त लोगो से बचिए, अपने समाज, अपने देश को भी बचाइए। सरहद पर खड़ी सेना बाहर के दुश्मनों से तो मुकाबला कर सकती है, लेकिन अंदर के इन दुश्मनों से हमे ही निपटना होगा। जिन महान व्यक्तियों ने देश की एकता, अखंडता, स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दिया वो आज जहाँ से भी हमे देख रहे होंगे, बस यही कह रहे होंगे-  हम लाये है तूफान से कश्ती निकाल के, इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्हाल के..

  Support Us  

OpIndia is not rich like the mainstream media. Even a small contribution by you will help us keep running. Consider making a voluntary payment.

Trending now

- Advertisement -

Latest News

Recently Popular