Friday, March 29, 2024
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ये आतंकवादी हमला सही है

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Subrat Saurabh
Subrat Saurabh
Author of Best Seller Book "Kuch Woh Pal" | Engineer | Writer | Traveller | Social Media Observer | Twitter - @ChickenBiryanii

माननीय प्रधानमंत्री जी,

मै भक्त हूँ मगर अंधभक्त नही। प्रजातंत्र मे आलोचना का एक अहम स्थान है। मगर ये खत सिर्फ आलोचना के लिए नही, विचार करने के लिए लिख रहा हूँ।

कल रात अमरनाथ यात्रियों पे हुए आतंकी हमले की निंदा करने वालों की होड़ लगी है। हर कोई अपने तरीके से अपनी आवाज उठा रहा है। कोई जंग चाहता है, कोई धैर्य, किसी को इसमें हिन्दू-मुस्लिम सदभावना पे हमला दिख रहा है तो कोई ये कह रहा है की मुस्लिम समुदाय ने कश्मीर में हिन्दुओ का हमेशा साथ दिया है और ये वक्त एकता दिखाने का है।

शायद सभी लोग अपनी जगह सही है। अगर ऐसा है तो इसका मतलब ये कतई नही है की ये आतंकवादी हमला सही है। तो गलत क्या है और गलती कैसे सुधारी जाए?

हर आतंकवादी हमले के बाद सरकार ने आम जनता को या तो आश्वासन दिया या मुआवजा या फिर दोनों। मगर किसी भी सरकार ने वजह नहीं बताई, किसी ने भी इस आतंकवाद का धर्म नहीं बताया। सरकार ने सिर्फ ठोस कदम उठाने का वादा किया। भले ही वो पठानकोट हमला हो, गुरदासपुर हमला या उड़ी हमला या अमरनाथ यात्रियों पे हमला।

ऐसा नहीं है की सरकार कुछ नहीं कर रही है? आज की सरकार, पुरानी सरकार से ज्यादा कड़ी निंदा कर रही है और ज्यादा तेज भी। हमले के एक घंटे के अंदर ही निंदा का टविट् कर दिया जाता है। ये अलग बात है की पुरानी सरकार के प्रधानमंत्री टविटर पे थे ही नहीं, वरना वो भी जल्दी मे निंदा करना नही चूकते।

125 करोड़ हिन्दुस्तानियों के लिए सोचने वाली बात ये है की

“अगर हमले की निंदा ही करनी है तो, मनमोहन जी क्या ख़राब निंदा करते थे? उन्हें निंदा करने का १० साल का तजुर्बा भी था।”

सर्जिकल स्ट्राइक कर के भरोसा दिलाया गया था की आतंकवादियों पर इतना बड़ा हमला होने के बाद उनके हौसले पस्त हो जाऐंगे। माफ करे, मुझे याद नही आ रहा पर मगर नोट बंदी के बाद किसी ने हम से कहा था की सर्जिकल स्ट्राइक से आतंकवादियों और नक्सलियों की कमर टूट जाएगी। जो लोग अमरनाथ यात्रा मे मारे गए हैं, वो और उनका परिवार भी नोटबंदी मे ATM के कतार में खड़ा था इस उम्मीद के साथ की आतंकवादियों को हराने में वो सरकार का साथ दे रहे हैं।

आपने विश्वास दिलाया था की आप देश के प्रधानमंत्री नहीं, चौकीदार बन के खड़े रहेंगे। मगर सच तो ये है की एक के बाद एक आतंकवादी हमले से ये साबित हो रहा है की चौकदारी में कही ना कही कमी तो है?

जब पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ आपके साथ खड़ा है तो आतंकवाद की कब्र क्यों नही खोद दी जाए? सच तो ये है की हम ऐसे देश में रहते हैं, जहाँ रक्षामंत्री का पद एक पार्ट टाईम जाॅब की तरह है। अफसोस की 125 करोड़ वाले देश में, एक फूल टाईम रक्षामंत्री भी नहीं हैं हमारे पास!

सुबह कोई कह रहा था कि “नरेंद्र मोदी जी को नरेंद्र मोदी जी के आदेश का इंतजार है। एक बार नरेंद्र मोदी जी को नरेंद्र मोदी जी का आदेश मिल गया तो नरेंद्र मोदी जी जरूर आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाऐंगे, क्योंकि नरेंद्र मोदी जी ने ऐसा पहले भी किया है।”

जंग के लिए तो हम 1948, 1965, 1971 या 1999 में भी तैयार नहीं थे। मगर जब जंग थोपा गया तो हमने मुँह तोड़ जवाब दिया। रूस या इजराईल से जो हथियार हमने खरीदे हैं, क्या वो सिर्फ संग्रहालय में दिखाने के लिए है?

या फिर हम-

“बुजदिली तो देखो उस पार से आए हमलावर की?

या फिर देखो हार दिल्ली में बैठी सरकार की?”

एक देशवासी

S. Saurabh

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